AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 1 तुलसी के दोहे

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 2nd Year Hindi Study Material पद्य भाग 1st Poem तुलसी के दोहे Textbook Questions and Answers, Summary.

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material 1st Poem तुलसी के दोहे

दोहों के भाव – దోహాలకు సరళమైన అర్ధం

प्रश्न 1.
एक भरोसो एक बल, एक आस विश्वास ।
एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास ॥
उत्तर:
भावार्थ : तुलसीदास जी कहते हैं कि चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र के बादलों पर विश्वास रखता है क्यों कि वही उसका बल है। इसीलिए वह स्वाती नक्षत्र के बादलों की प्रतीक्षा करता है स्वाती नक्षत्र के वर्षा की, बूंदों को ही पीता है । उसी प्रकार तुलसी भी श्रीरामचंद्र पर विश्वास रखते है । वही उनका बल है । वह उनकी प्रतीक्षा में ही रहता है । इसी लिए तुलसी रुपी चातक के लिए राम बादल बन गये ।

భావము : కవి తులసీదాస్ ఈ పద్యం ద్వారా రామునిపై తనకున్న భక్తిని, విశ్వాసాన్ని తెలియజేస్తున్నారు. ఏ విధంగా అయితే చాతక పక్షి స్వాతి నక్షత్రపు వాన చినుకుల కోసం కఠోర దాహాన్ని తీర్చుకోకుండా కూడా వేచి ఉంటుందో అదే విధంగా కవి శ్రీరామచంద్రుడిపై పూర్తి విశ్వాసాన్ని నమ్మకాన్ని కలిగి ఉన్నారు. తన కోరికలు ఏదో ఒక రోజు శ్రీరామచంద్రుడే తీరుస్తాడనేటటువంటి ప్రగాఢ విశ్వాసంతో ఎదురు చూస్తున్నారు.

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 1 तुलसी के दोहे

प्रश्न 2.
राम नाम मनि – दीप धरु, जीह देहरी द्वार ।
तुलसी भीतर बाहिरौ, जौ चाहसि उजियार ||
उत्तर:
भावार्थ : कवि तुलसीदास कहते हैं ‘राम’ शब्द मणि के समान है । इसे दीप के रूप में द्वार पर रखे तो भीतर – बाहर प्रकाश फैलता है। उसी प्रकार मुह में राम शब्द का प्रयोग करने से देह के भीतर – बाहर भी उजियाला होगा | अर्थात राम शब्द से मन की शुद्धी होगी।

భావము : ఈ పద్యం ద్వారా కవి తులసీదాస్ రామనామస్మరణ మహిమను తెలుపుతున్నాడు. కవి రామ నామాన్ని వెలుగునిచ్చే దీపంతో పోలుస్తున్నాడు. ఏ విధంగా అయితే ఇంటి గడప వద్ద మనం దీపం పెట్టినప్పుడు గడప లోపల బయట వెలుగు ప్రసరిస్తుందో అదే విధంగా మన నాలుక ద్వారా శ్రీరామ నామ స్మరణం చేస్తే మన మనసే కాకుండా మన చుట్టూ ఉన్న సమాజం కూడా సుఖ శాంతులతో వర్థిల్లుతుంది.

प्रश्न 3.
तुलसी मीठे वचन तै, सुख उपजत चाहूँ ओर ।
भोर। बसीकरन यह मंत्र है, परिहरु वचन कठोर ॥
उत्तर:
भावार्थ : कवि तुलसीदास इस दोहे के माध्यम से कह रहे हैं – कोई भी व्यक्ति मीठे वचन बोलने से सब को अपने वश में कर ले सकते हैं अपनी ओर अकर्षित कर सकते हैं | अच्छी वाणी वशीकरण मंत्र के समान है। अच्छी वाणी से चारों ओर सुःख शाँती फैली रहती है । अच्छी वाणी के कारण शत्रुता कभी भी पैदा नहीं होगी । इसलिए कठोर वचन को हमेशा के लिए त्याग कर वाणी में माधुर्य लाना चाहिए।

భావము : కవి తులసీదాస్ ఈ పద్యం ద్వారా మధుర వచనాలు ఉచ్ఛరించుట ద్వారా కలిగేటటువంటి సుఖాన్ని ఆనందాన్ని వ్యక్తపరుస్తున్నాడు. మధుర వచనాల ఉచ్ఛరణ ద్వారా నలువైపుల సుఖ శాంతులు వర్ధిల్లడమే కాకుండా ప్రశాంతత కలుగుతుంది. మధుర వచనాలు వశీకరణ మంత్రంతో సమానమైనవి కనుక కఠోర భాషను త్యజించడం వల్ల మన చుట్టూ సుఖ శాంతులు వెల్లివిరుస్తాయి.

प्रश्न 4.
सूधे मन, सूधे वचन, सूधी सब करतूति ।
तुलसी सूधि सकल विधि, रघुबर – प्रेम प्रसूति ॥
उत्तर:
भावार्थ : कवि तुलसीदास इस दोहे के माध्यम से कह रहे हैं कि मन, वाणी और कर्म से भगवान के प्रेम के पात्र बन सकते हैं । जिस का मन सरल हो वाणी सरल हो और समस्त क्रियायें सरल हों ऐसे व्यक्ति के लिये भगवान श्री रघुनाथ जी के प्रेम को प्राप्त करनेवाली सभी क्रियाएँ सरल हो जाती हैं। इसलिए वाणी, मन, कर्म सरल होना चाहिए ।

భావము : కవి తులసీదాస్ ఈ పద్యం ద్వారా పవిత్ర మనస్సు – వాక్కు – కర్మల ద్వారా మాత్రమే భగవంతుని ప్రేమకు పాత్రులౌతామని ప్రకటిస్తున్నారు. ఎవరి మనస్సు – వాక్కు – కర్మలు. పవిత్రంగా ఉంటాయో వారు శ్రీరాముని ఆశీస్సులు పొందుతారు. మనస్సు – వాక్కు – కర్మలు సరళంగా ఉంటాయో వారికి శ్రీరామచంద్రుడి ప్రేమను పొందే క్రియలన్ని సరళమౌతాయి. కావున త్రికరణ శుద్ధి కలిగి ఉండవలెను.

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 1 तुलसी के दोहे

प्रश्न 5.
चरन चोंच – लोचन रँगौ, चलौ मराली चाल ।
छीर – नीर विवरन – समय, बक उधरत तेहि काल ।।
उत्तर:
भावार्थ : कवि तुलसीदास इस दोहे के माध्यम से बगुला चाहे अपने पैर, चोंच, आँखें और रंग हंस जैसा रंग ले और चाहे वह हंस की चाल चले, पर वह कभी हंस नहीं हो सकता है । दूध और पानी को अलग करते समय बगुले को पहचाना जा सकता है । केवल हंस ही दूध और पानी को अलग कर सकता है बगुला नहीं । अर्थात दुर्जन देखने में सज्जन जैसा भले ही लगे पर व्यवहार से सज्जन और दुर्जन में फ़र्क जान सकते हैं ।

భావము : కవి తులసీదాస్ ఈ పద్యం ద్వారా కొంగ తన కాళ్ళు – కళ్ళు – ముక్కు మొ।। భౌతిక ఆకారంతో హంసను పోల్చుకున్నప్పటికి అది ఎప్పటికి హంస కాజాలదు. నీరు – క్షీరం వేరు చేసే సమయంలో కొంగ విఫలమౌతుంది. కేవలం హంస మాత్రమే నీరు క్షీరాన్ని వేరు చేయగలదు. దుర్జనుడు వ్యావహారికంగా సజ్జనుడిలా కనపడినప్పటికి, క్లిష్ట పరిస్థితులలో అతని వాస్తవ వ్యక్తిత్వం బయట పడుతుంది.

प्रश्न 6.
साखी, सबदी दोहरा, कहि कहनी उपखान ।
भगति निरुपहिं भगत कलि, निंदहिं वेद – पुरान ॥
उत्तर:
भावार्थ : कवि तुलसीदास कह रहे हैं कलियुग अत्यंत कठिन काल है। इस काल में सब कुछ अपने अनुरूप परिवर्तित कर ले सकते हैं । भक्त जन अपने मन से साखी, पद, दोहे, कहानी और आख्यान अदि की रचना करते हैं। उन्हीं को धर्म वाक्य मानते हैं और वेद – पुराण आदि धार्मिक ग्रंथों की निंदा करते हैं यह कलियुग की विशेषता है।
భావము : కవి తులసీదాస్ ఈ పద్యం ద్వారా కలియుగం అత్యంత కఠిన కాలంగా విపరిస్తున్నారు. ఈ కాలంలో అన్నింటిని తమకు అనుకూలంగా మార్చుకొనుచున్నారు. భక్తులు స్వబుద్ధితో పద్యాలు, కథలు, ధర్మగ్రంథ వ్యాఖ్యానాలు రచించడమే కాకుండా వాటినే ధర్మగ్రంథాలుగా ఉటంకిస్తున్నారు. మరియు వాస్తవమైన ధర్మ గ్రంథాలు, వేదాలు, పురాణాలను మిడిమిడి జ్ఞానంతో నిందిస్తున్నారు. ఇది కలియుగ లక్షణం.

भावार्थ – కవితా పంక్తులకు భావము

प्रश्न 1.
एक भरोसो एक बल, एक आस विस्वास ।
एक राम घनश्याम हित, चातक तुलसीदास ॥
उत्तर:
कविपरिचय : प्रस्तुत दोहे के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी हैं । तुलसीदास राम भक्ति शाखा के प्रमुख कवि हैं । आपका जन्म संवत् 1589 को उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर (चित्रकूट) गाँव में हुआ है। इन के माता – पिता का नाम हुलसी, आत्माराम दुबै था । आपकी रचनाएँ – विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली, बरवै रामायण और रामचरित मानस | इन की रचनाओं का विषय भक्ति नीति, उपदेश है । इनका निधन संवत् 1680 को हुआ है।

भावार्थ : तुलसीदास जी कहते हैं कि चातक पक्षी स्वाति नक्षत्र के बादलों पर विश्वास रखता है क्यों की वही उसका बल है । इसलिए वह स्वाती नक्षत्र के बादलों की प्रतीक्षा करता है, स्वाती नक्षत्र के वर्षा की बूंदों को ही पीता है । उसी प्रकार तुलसी भी श्रीरामचंद्र पर विश्वास रखते हैं । वही उनका बल है । वह उनकी प्रतीक्षा में ही रहते हैं इसी लिए तुलसी रूपी चातक के लिए.. राम बादल बन गये।

विशेषताएँ : कवि तुलसीदास भगवान श्रीराम के प्रति अपनी अटूत आस्था चातक पक्षी के समान प्रकट रहे हैं। वे कहते हैं अपना बल, भरोसा, आस, विश्वास सब कुछ भगवान श्रीराम ही है । यह दोहा भक्ति को प्रोत्साहन देनेवाला है।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 1 तुलसी के दोहे

प्रश्न 2.
तुलसी मीठे वचन तें, सुख उपजत चहुँ ओर ।
बसीकरन यह मंत्र है, परिहरि वचन कठोर ॥
उत्तर:
कविपरिचय : प्रस्तुत. दोहे के कवि गोस्वामी. तुलसीदास. जी हैं । तुलसीदास राम भक्ति शाखा के प्रमुख कवि हैं । आपका जन्म संवत् 1589 को उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर (चित्रकूट) गाँव में हुआ है। इनके माला – पिता का नाम हुलसी, आत्माराम दुबे था । आप की रचनाएँ है – विन्यप दोहावली, कवितावली, बरवै रामायण, और रामचरितमानस | इन की रचनाओं का विषय भक्ति, नीति, उपदेश है । इनका निधन संवत् 1680 को हुआ है।

भावार्थ : कवि तुलसीदास इस दोहे माध्यम से कह रहे हैं – कोई भी व्यक्ति मीठे वचन बोलने से सब को अपने में कर ले सकते हैं अपनी और आकर्षित कर सकते हैं । अच्छी वाणी वशीकरण मंत्र के समान है। अच्छी वाणी से चारों ओर सुःख शाँति फैली रहती है । अच्छी वाणी के कारण शत्रुता कभी भी पैदा नहीं होगी । इसलिए कठोर वचन को हमेशा के लिए त्याग कर, वाणी में माधुर्य लाना चाहिए । .

विशेषताएँ : कवि तुलसीदास ने बताया है कि मधुर वाणी वशीकरण मंत्र के समान है और अपनी वाणी से चारों ओर शांति फैला सकते हैं साथ . ही साथ भगवान राम को प्राप्त कर सकते हैं । मधुर वाणी बोलने के साथ साथ सत्कर्म करने को प्रोत्साहन दे रहे हैं।

प्रश्न 3.
चरन – चोंच – लोचन रँगौ, चलो मराली चाल |
छीर – नीर विवरन – समय बक उधरत तेही काल ||
उत्तर:
कविपरिचय : प्रस्तुत दोहे के कवि गोस्वामी तुलसीदास जी हैं। .. तुलसीदास राम भक्ति शाखा के प्रमुख कवि हैं । आपका जन्म संवत् 1589 को उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर (चित्रकूट) गाँव में हुआ है। इन के माता- पिता का नाम हुलसी आत्माराम दुबे था । आप की रचनाएँ हैं – विनयपत्रिका, दोहावली, कवितावली, बरवै रामायण, और रामचरितमानस | इन की रचनाओं का विषय भक्ति नीति, उपदेश है । इनका निधन संवत् 1680 को हुआ है।

भावार्थ : कवि तुलसीदास इस दोहे के माध्यम से बगुला चाहे अपने पैर, चोंच, आँखें और रंग हंस जैसा रंग ले और चाहे वह हंस ही चाल चले, पर वह कभी हंस नहीं हो सकता है । दूध और पानी को अलग करते समय बगुले को पहचाना जा सकता है । केवल हंस ही दूध और पानी को अलग कर सकता है बगुला नहीं । अर्थात दुर्जन देखने में सज्जन जैसा भले ही लगे पर व्यवहार से सज्जन और दुर्जन में फ़र्क जान सकते हैं।

विशेषताएँ : कवि तुलसीदास इस दोहे में असली और नकली की बात करते हैं । मुखौटा लगाने पर दुर्जन सज्जन कभी नहीं बन सकता ।

एक वाक्य प्रश्न – ఏక వాక్య సమాధాన ప్రశ్నలు

प्रश्न 1.
तुलसीदास का जन्म कहा हुआ ?.
उत्तर:
तुलसीदास का जन्म उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर (चित्रकूट) गाँव मे हुआ है।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 1 तुलसी के दोहे

प्रश्न 2.
तुलसी की पत्नी का नाम क्या था ?
उत्तर:
तुलसी की पत्नी का नाम रत्नावली था

प्रश्न 3.
तुलसी के आराध्य कौन थे ?
उत्तर:
तुलसी के आराध्य भगवान श्रीरामचंद्र जी हैं ।

प्रश्न 4.
रामचरितमानस की भाषा क्या थी ?
उत्तर:
रामचरितमानस का भाषा अवधी थी ।

प्रश्न 5.
मीठे वचन से क्या होता है ?
उत्तर:
मीठे वचन बोलने से सब को अपने वश कर ले सकते हैं।

कवि परिचय – కవి పరిచయం

गोस्वामी तुलसीदास रामभक्ति शाखा के प्रतिनिधि कवि हैं | इनका जन्म संवत् 1589 को उत्तर प्रदेश के बाँदा जिले के राजापुर (चित्रकूट) में हुआ था । इनके पिता का नाम आत्माराम दुबे और माता का नाम हुलसी देवी था । इनके बचपन का नाम ‘रामबोला’ था । इनके गुरु नरहरिदास थे । तुलसी की पत्नी रत्नावली थी। पत्नी के उपालंभ ने इनको विरागी बनाया । विरागी बनने के बाद इन्होंने खूब भ्रमण किया । तुलसी राम – भक्त थे। उनकी भक्ति पद्धति सेव्य – सेवक भाव की है, इसे विनय भक्ति अथवा दास्य भक्ति भी कहते हैं । इसमें भक्त अपने को पापी और भगवान को करुणामय और उद्धारक मानता है । इसके अनुसार तुलसीदास मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीरामचंद्र को अपने रक्षक मानते हैं । भक्ति के द्वारा इन्होंने समाज को नीति मार्ग दिखाया, और भारतीय संस्कृती की रक्षा भी की।

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 1 तुलसी के दोहे

तुलसी संस्कृत के प्रकांड पंडित थे । ‘ब्रज’ और ‘अवधी भाषाओं पर भी उनका समान अधिकार था | उनके अधिकांश काव्यों की भाषा ‘अवधी’ है | रामचरितमानस अवधी भाषा में लिखित महाकाव्य है । रामचरितमानस तुलसी का ही नहीं, हिंदी साहित्य का सर्वश्रेष्ट महाकाव्य है। इसमें तुलसी ने राम के शक्ति, शील और सौंदर्य से समन्वित आदर्श रूप को प्रस्तुत किया । तुलसी की अन्य रचनाएँ हैं – विनय पत्रिका, दोहावली, कवितावली, गीतावली, बरवै रामायण, वैराग्य संदीपनी और जानकी मंगल आदि! तुलसीदास की मृत्यु संवत् 1680 को हुई था।

कठिन शब्दों के अर्थ – కఠిన పదాలకు అర్ధాలు

भरोसा – विश्वास, నమ్మకం
आस – आशा, ఆశ
राम घनश्याम हित – राम रूपी बादल के लिए, రాముని రూపంలో గల మేఘాల కోసం
मनि – दीप – मणि का दीपक, దీపం
जीह – जीभ, నాలుక
देहरी – चौखट, గుమ్మం
भीतर – बाहिरौ – भीतर और बाहर अर्थात् लौकिक और अलौकिक, లోపల మరియు బయట
चाहसि – चाहना, కోరుకొను
उजियार – उजाला, प्रकाश, కాంతి
वचन तै – बोलने से, మాట్లాడుట ద్వారా
उपजत – उत्पन्न होना, ఉత్పన్నం చేయు
बसीकरन – वशीकरण, ఇంద్రజాలము
परिहरू – दूर करना, నివారించు
सूधे – सीधे, सरल, సరళంగా
बचन – वचन, वाणी, పలుకు
करतूति – क्रियाएँ, काम, చేష్టలు
बिधि – विधि, పద్దతి
रघुबर – रघुनाथ, శ్రీరాముడు
प्रेम – प्रसूति – प्रेम को उत्पन्न करनेवाली, ప్రేమను వెదజల్లే
मराली – हंस, హంస
छीर – दूध, పాలు
विवरन – अलग करने से, వేరు
बक – बगुला, కొంగ
उधरत – प्रकट होना, ప్రకటింపబడుట
तेही काल – उसी समय, ఆ సమయం
साखी – दोहे, సాక్షి
सबदी – शबद, శబ్దం
दोहरा – दोहे, ద్విపద
कहनी – कहानी, కథనం
उपखान – उपाख्यान, नैतिक कथाएँ, నైతిక కథలు
निंदहि – निंदा करना, నిందమోపు

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