AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 2 बिहारी के दोहे

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 2nd Year Hindi Study Material पद्य भाग 2nd Poem बिहारी के दोहे Textbook Questions and Answers, Summary.

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material 2nd Poem बिहारी के दोहे

दोहों के भाव – దోహాలకు సరళమైన అర్ధం

प्रश्न 1.
मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरी सोई।
जा तन की झाई परै, स्यामु हरित दुति होई ॥
उत्तर:
भावार्थ : इस दोहे के माध्यम से कवि बिहारीलाल जी राधा की स्तुति करते हुए कहते है कि – मेरी सांसारिक बाधाएँ वही चतुर जानी राधा दूर करेगी जिसके शरीर की छाया पड़ते ही काले रंग वाले श्रीकृष्ण गोरे रंग के प्रकाशावाले बन जाते हैं । अर्थात राधा के मिलन से श्रीकृष्ण प्रसन्न हो जाते हैं । श्री कृष्ण का रंग काला है और राधा का वर्ण पीला है । पीले और काले रंग के मेल हरे रंग का बनना सहज और स्वाभाविक है । पीला शुभ का, काला दुःख का और हरा खुशहाली या प्रसन्नता का प्रतीक है । इन तीनों रंगों का सम्मिश्रण ही संसार है।

భావము : కవి బిహారి ఈ పద్యం ద్వారా రాధాదేవిని స్తుతిస్తూ, తన ప్రాపంచిక ‘ బాధలను చతురమైన రాధా దేవియే దూరం చేయగలదు అని నమ్ముతున్నాడు. ఎందుకంటే, రాధాదేవి యొక్క ఛాయ పడుతూనే శ్యామ వర్ణం కలిగిన శ్రీకృష్ణుడు శ్వేత వర్ణం పొంది, ప్రకాశవంతుడిగా మారిపోతాడు. అనగా రాధా దేవి సాంగత్యంతో శ్రీకృష్ణుడు ప్రసన్నడౌతాడు. కాబట్టి అంతటి మహత్తుగల రాధాదేవి భక్తుడైన తనను కాపాడుతుందని కవి నమ్మకం

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 2 बिहारी के दोहे

प्रश्न 2.
कोऊ कोटिक संग्रहौं, कोऊ लाख हजार ।
मो संपति जदूपति सदा, बिपति बिदारन हार ॥
उत्तर:
भावार्थ : कवि बिहारीलाल इस दोहे के माध्यम से कह रहे हैं कि …. “कोई लाखों करोडों रूपये कमा लेते हैं, कोई लाखों या हजारों रूपये कमा लेते हैं। मेरी दृष्टि में धन का कोई महत्व नहीं है | मेरी दृष्टि में इस संसार की सबसे अनमोल संपत्ति मात्र श्रीकृष्णा ही है जो हमेशा मेरी विपत्तियों को नष्ट कर देते हैं, मुझे सदा सुखी रखते हैं । इसलिए सदा श्रीकृष्ण का नाम स्मरण करना चाहिए ।

భావము : కవి బిహారి ఈ పద్యం ద్వారా శ్రీకృష్ణుడిపై తన ఆపార భక్తిని ప్రకటిస్తూ ఇహలోక జగత్తులో ఎవరైన లక్షలూ, కోట్ల రూపాయలు సంపాదించుకున్న వారు ధనికులు ఎంత మాత్రం కారు. ఎవరైతే శ్రీకృష్ణుని ఆశీస్సులు పొందుతారో వారికి ఎళ్ళవేళలా విపత్తులు, కష్టనష్టాలు రాజాలవు. కావున శ్రీకృష్ణుని శరణాగతి కంటే గొప్ప సంపద ఈ ప్రపంచంలో ఏదీలేదు.

प्रश्न 3.
या अनुरागी चित्त की गति समझौ नहिं कोई ।
ज्यों – ज्यों बूडै स्याम रंग, त्यौं – त्यौं उज्ज्वलु होई ॥
उत्तर:
भावार्थ : कवि बिहारीलाल इस दोहे के माध्यम से श्रीकृष्ण के प्रति अपने अटू प्रेम को प्रकट करते हुए कह रहे हैं …. “इस प्रेमी मन की स्थिति को कोई समझ नहीं सकता । जैसे – जैसे मेरा मन कृष्ण के रंग में रंगता जाता है, वैसे – वैसे उज्ज्वल होता जाता है । अर्थात श्रीकृष्ण के प्रेम में रंमने के बाद अधिक निर्मल हो जाता है । यही श्रीकृष्ण के प्रेम का महत्व है । अपने आप को निर्मल बनाने के लिए श्रीकृष्ण के प्रेम में रमने की अधिक आवश्यकता है।”

భావము : కవి బిహారిలాల్ ఈ పద్యం ద్వారా శ్రీకృష్ణుడి పై తనకున్న ఆపార ప్రేమను వ్యక్తపరుస్తూ … ఈ మనస్సును అర్థం చేసుకోలేకున్నాను. రోజు రోజుకి నా మనస్సు శ్రీకృష్ణుని ప్రేమలో మరింత విలీనం అవుతూ వస్తున్నది. కృష్ణభక్తిలో ఉజ్వలం అగుచున్నది. అనగా శ్రీకృష్ణుని ప్రేమలో లీనం అయ్యే కొలది నా మనస్సు నిర్మలమౌతున్నది.

प्रश्न 4.
बसै बुराई जासु तन, ताही कौ सनमानु ।
भलौ भलौ कहि छाँडियै खोटे ग्रह जपु दान ।
उत्तर:
भावार्थ : कवि बिहारीलाल इस दोहे के माध्यम से संसार की वास्तविकता को उदाहरण सहित कह रहे हैं कि….जिस के शरीर में बुराई का निवास होता है अर्थात जो व्यक्ति बुरे होते हैं संसार में उन्हीं का आदर होता है । जिस प्रकार अच्छे ग्रह को तो लोग भला या अच्छा कह कर छोड़ देते हैं, परन्तु दुष्ट ग्रह की शांति के लिए लोग जप-तप, शांति कराते हैं और दान देते हैं । इस संसार में बुरे लोगों से डर कर उनके प्रभाव से बचने के लिए अधिक प्रयत्न करते हैं।

భావము : కవి బిహారి ఈ పద్యం ద్వారా మన సమాజం దుష్టులకు భయపడి వారికే గౌరవిస్తుందని సోదాహరణగా వివరిస్తున్నారు. మానవులు శుభ గ్రహాలను మంచి గ్రహాలని కేవలం పొగడ్తలతో తృప్తిపరుస్తారు. కాని దుష్ట గ్రహాలైన శని, రాహు, కేతువులకు భయపడి వాటి శాంతి కొరకు జపాలు, దానాలు, శాంతులు చేసి సాగనంపుతారు. అదే విధంగా మన సమాజం చెడు వ్యక్తులకు భయపడి వారినే గౌరవిస్తుంది.

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प्रश्न 5.
कागद पर लिखत न बनत कहतु संदेसु लजात ।
कही है सब तेरे हियो, मेरे हिय की बात ॥
उत्तर:
भावार्थ : कवि बिहारीलाल इस दोहे के माध्यम से कह रहे हैं कि जो प्रेमिका अपने प्रेमी के लिए संदेश भेजना चाहती है प्रेमी को इतना लंबा संदेश भेजना है कि वह संदेश कागज़ पर समा नहीं पाएगा । लेकिन अपने संदेशवाहक के सामने उसे वह सब कुछ कहने में शर्म भी आ रही है इस लिए वह अपने प्रियतम से कहती है कि तुम मेरे अत्यंत करीब हो तुम अपने दिल से मेरे दिल की बात, बांधा या पीड़ा जान लेना अर्थात मेरा और तुम्हारा हृदय अलग – अलग नहीं । हम दोनों अलग होते हुए भी अभिन्न हैं।

భావము : ఇది కవి బిహారి ద్వారా రచింపబడిన శృంగార పద్యం. ఇందులో ప్రేయసి యొక్క విరహవేదన వర్ణించబడింది. ప్రేయసి తన ప్రియుడికి ప్రణయ సందేశాన్ని ప్రేమలేఖ ద్వారా పంపించాలని ప్రయత్నించి విఫలమై తన భావాలను వార్తాహరుల దగ్గర వ్యక్తపరచడానికి సిగ్గుపడి, ప్రియునితో ఇలా అంటున్నది. నీవు నాకు అత్యంత సన్నిహితుడవి. నా మనస్సులోని మాటలను, ప్రేమను విరహాన్ని సహృదయంతో నీకు నీవుగానే అర్థం చేసుకొని ఆదరించు.

प्रश्न 6.
अंग – अंग नग जगमगत, दीपसिखा सी देह ।
दिया बढ़ाए हू रहै, बडौ उज्यारौ गेह ॥
उत्तर:
भावार्थ : कवि बिहारीलाल इस दोहे के माध्यम से कह रहे हैं कि ….. नायिका का प्रत्येक अंग रत्न की भाँति चमक रहा है । उस का तन – बंदनं दीपक की शिखा की तरह झिलमिलाता नजर आ रहा हैं । दीपक बुझा देने पर भी घर में उजाला बना रहता है।

భావము : కవి బిహారి ఈ పద్యం ద్వారా నాయికా అంగాంగ సౌందర్యాన్ని వర్ణిస్తున్నాడు. నాయికా శరీరం దీపంలాగా వెలుగులు వెదజల్లుతుందని తన సుందర రూపం కాంతివంతంగా ఉందని, ఇంట్లోని దీపం ఆర్పివేసినప్పటికి ఇల్లంతా వెలుగులతో నిండి ఉందని కవి నాయిక యొక్క అందచందాలను అభివర్ణిస్తున్నాడు.

भावार्थ – కవితా పంక్తులకు భావము

प्रश्न 1.
कोऊ कोटिक संग्रहौं, कोऊ लाख हजार ।
मो सम्पति जदुपति सदा, बिपति बिदारन हार ॥
उत्तर:
कविपरिचय : बिहारी रीतिकाल के प्रसिद्ध एवं प्रतिनिधि कवि हैं | उनका जन्म ग्वालियर राज्य के बसुआ गोविंदपूर में सन् 1652 को हुआ था । वे जयपूर के राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे। बिहारीलाल की उपलब्ध एक मात्र रचना ‘बिहारी सत्तसई है। इस में 713 दोहे संग्रहित है । यह एक मुक्तक काव्य है । इनके दोहों का विषय है भक्ति, नीति, श्रृंगार, उपदेश आदी । उन्हों ने दोहा जैसे छोटे छंद में बड़ा अर्थ भर दिया । इसलिए ग्रियर्सन ने उन्हें ‘गागर में सागर’ भरनेवाले कहा है । उनका निधन 1721 में हुआ था ।

भावार्थ : कवि बिहारी इस दोहे के माध्यम से कह रहे हैं कि ….. “कोई लाखों करोडों या हजारों रूपये कमा लेते हैं । मेरी दृष्टि में धन का कोई महत्व नहीं है | मेरी दुष्टि में इस संसार की सबसे अनमोल संपत्ति मात्र श्रीकृष्ण ही है जो हमेशा मेरी विपत्तियों को नष्ट कर देते हैं, मुझे सदा सुखी रखते हैं । इसलिए सदा श्रीकृष्ण का नाम स्मरण करना चाहिए।”

विशेषताएँ : यह बिहारीलाल का भक्तिपरक दोहा है । इस दोहे में कवि श्रीकृष्ण को भौतिक धन संपत्ति से भी विशेष मानते हैं ।

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प्रश्न 2.
कागद पर लिखत न बनत कहतु संदेसु लजात ।
कहि है सब तेरे हियो, मेरे हिय की बात ||
उत्तर:
कविपरिचय : बिहारी रीतिकाल के प्रसिद्ध एवं प्रतिनिधि कवि हैं । उनका जन्म ग्वालियर राज्य के बसुआ गोविंदपूर में : 1652 को हुआ था । वे जयपूर के राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे। बिहारीलाल की उपलब्ध एक मात्र रचना है ‘बिहारी सत्तसई है। इस में 713 दोहे संग्रहित है । यह एक मुक्तक काव्य है । इनके दोहों का विषय है भक्ति, नीति, श्रृंगार, उपदेश आदी । उन्होंने दोहा जैसे छोटे छंद में बड़ा अर्थ भर दिया । इसलिए ग्रियर्सन ने उन्हें ‘गागर में सागर’ भरनेवाले कहा है । उनका निधन 1721 में हुआ था ।

भावार्थ : कवि बिहारी इस दोहे के माध्यस से कह रहे हैं कि जो प्रेमिका अपने प्रेमी के लिए संदेश भेजना चाहती है प्रेमी को इतना लंबा संदेश भेजना है कि वह संदेश कागज पर समा नहीं पाएगा । लेकिन अपने संदेशवाहक के सामने उसे वह सब कुछ कहने में शर्म भी आ रही है । इस लिए वह अपने प्रियतम से कहती है कि तुम मेरे अत्यंत करीब हो तुम अपने दिल से मेरे दिल की बात, बाधा या पीड़ा जान लेना । अर्थात मेरा और तुम्हारा हृदय अलग – अलग नहीं । हम दोनों अलग होते हुए भी अभिन्न हैं ।

विशेषताएँ : यह बिहारीलाल का श्रृंगारपरक दोहा है | प्रिय और प्रियतमा की अभिन्नता को वियोग श्रृंगार के माध्यम से कह रहे हैं।

प्रश्न 3.
अंग – अंग नग जगमगत, दीप सिखा सी देह ।
दिया बढ़ाए हु रहै, बडौ उज्यारौ गेह ॥
उत्तर:
कविपरिचय : बिहारी रीतिकाल के प्रसिद्ध एवं प्रतिनिधि कवि हैं । उनका जन्म ग्वालियर राज्य के बसुआ गोविंदपूर में सन् 1652 को हुआ था । वे जयपूर के राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे। बिहारीलाल की उपलब्ध एक मात्र रचना ‘बिहारी सत्तसई है। इस में 713 दोहे संग्रहित है । यह एक मुक्तक काव्य है । इनके दोहों का विषय है भक्ति, नीति, श्रृंगार, उपदेश आदी । उन्हों ने दोहा जैसे छोटे छंद में बड़ा अर्थ भर दिया । इसलिए ग्रियर्सन ने उन्हें ‘गागर में सागर’ भरनेवाले कहा है । उनका निधन 1721 में हुआ था ।

भावार्थ : कवि बिहारीलाल इस दोहे के माध्यम से कह रहे हैं कि …. नायिका का प्रत्येक अंग रत्न की भाँति चमक रहा है । उसका तन -बदन दीपक की शिखा की तरह झिलमिलाता नजर आ रहा है । दीपक बुझा देने पर भी घर में उजाला बना रहता है । नायिका दीपक बुझा देने पर भी ऐसी लग रही है मानो सोने की जीवित प्रतिमा ।

विशेषताएँ : यह बिहीरीलाल का श्रृंगारपरक दोहा है, इस दोहे में उपमालंकार है । नायिका के अंगांग का वर्णन है।

एक वाक्य प्रश्न – ఏక వాక్య సమాధాన ప్రశ్నలు

प्रश्न 1.
बिहीरीलाल का जन्म कब हुआ ?
उत्तर:
सन् 1652.

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प्रश्न 2.
बिहारी के ग्रंथ का नाम क्या था ?
उत्तर:
बिहारी सत्त्सई ।

प्रश्न 3.
बिहारी किसके भक्त थे ?
उत्तर:
श्रीकृष्ण ।

प्रश्न 4.
नायिका के अंग किसकी भाँति चमक रहे हैं ?
उत्तर:
रत्न।

प्रश्न 5.
लोग किसके लिए जप और दान करते हैं ?
उत्तर:
दृष्टग्रहों के लिए।

कवि परिचय – కవి పరిచయం

बिहारीलाल रीतिकाल के प्रसिद्ध एवं प्रतिनिधि कवि हैं । उनका जन्म ग्वालियर राज्य के बसुआ गोविंदपुर में सन् 1652 को हुआ था । वे जयपुर के राजा जयसिंह के दरबारी कवि थे। बिहारीलाल की उपलब्ध एक मात्र रचना है ‘बिहारी सतसई । इस में 713 दोहे संग्रहीत है । यह एक मुक्तक काव्य है । इनके दोहों का विषय है भक्ति, नीति, श्रृंगार, उपदेश आदि । उन्होंने दोहे जैसे छोटे छंद में बड़ा अर्थ भर दिया है । इसलिए ग्रियर्सन ने उन्हें ‘गागर में सागर’ भरनेवाले कहा है । उनका निधन 1721 में हुआ था ।

कठिन शब्दों के अर्थ – కఠిన పదాలకు అర్ధాలు

भव बाधा – सांसारिक कष्ट, ప్రాపంచిక కష్టాలు
हरौ – दूर करो, తొలగించడం
नागरि – चतुर, నేర్పరి
सोई – वही, అతనే
झाड़ी परै – छाया पड़ने से , మసక నీడ
हरित दुति – हरे रंगवाला, प्रसन्न, సంతోషించుకో
कोऊ – कोई, ఎవరైన
कोटिक – करोड़ों, కోటి
संग्रहों – इकट्टा करे , సేకరణ
मो – मेरी, నా యొక్క
जदुपति – श्रीकृष्ण, శ్రీ కృష్ణుడు
बिपति – विपत्ति, संकट, ఆపద
बिदारन हार – हटानेवाला, दूर करनेवाला, తొలగించేటటు వంటి

AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Poem 2 बिहारी के दोहे

अनुरागी – प्रेमी, ప్రేమికుడు
चित्त – मन, మనస్సు
गति – स्थित, గతి
ज्यौं-ज्यौं – जैसे – जैसे, ఏవిధంగా అయితే
बूडै – डूबना, నిమగ్నమగు
स्याम – काला, कृष्ण ,  కృష్ణుడు
त्यौं – त्यौं – वैसे – वैसे, అదే రకంగా
उज्ज्वलु – पवित्र, అద్భుతమైన
बसै – बसना, रहना, నివశించుట
जासु तन – जिसके शरीर में, ఎవరి శరీరంలో
ताही को – उसी को, అతనికే
छाँडियौ – छोड़ना, వదులుకోను
खोटे ग्रह – दुष्ट ग्रह (शनि और मंगल), దుష్ట గ్రహాలు
कागद – कागज, కాగితం
संदेसु – संदेश, సమాచారం
लजात – लज्जा , शर्म, సంచోకం, సిగ్గు
हियौ – हृदय या मन, మనస్సు
नग – रत्न, వజ్రం
देह – शरीर, శరీరం
दिया – दीपक, దీపం
बढ़ाए – बुझा देना, ఆర్పివేయడం
उज्यारौ – उजाला, प्रकाश,  కాంతి
गेह – घर, ఇల్లు

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