TS 10th Class Hindi Guide 1st Lesson बरसते बादल

Telangana SCERT TS 10th Class Hindi Study Material 1st Lesson बरसते बादल Textbook Questions and Answers.

TS 10th Class Hindi 1st Lesson Questions and Answers Telangana बरसते बादल

प्रश्न-उत्तर :

प्रश्न 1.
मीटे गीत कौन गाती है ?
(बయ్యటి పాట ఎవరు పాడుతున్నారు ?)
उत्तर :
मीठे गीत कोयल गाती है।
(తియ్యటి పాట కోకిల పాడుతున్నది.)

प्रश्न 2.
कोयल किसके लिए पानी माँगती है?
(కోకిల దేనికోసం నీరు కావాలంటున్నది?)
उत्तर :
कोयल धरती का प्यास मिटाने के लिए पानी माँगती है।
(కోకిల భూమి యొక్క దాహన్ని తీర్చడానికి నీరు కావాలసుంటున్నది.)

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प्रश्न 3.
बादल प्रकृति की शोभा कैसे बढ़ाते हैं?
(మేఘాలు ప్రకృతి శోభను ఎట్లా పెంచుతాయి?)
उत्तर :
आकाश में फैले बादलों से पानी बरसता है। पानी से प्रकृति को नया जीवन मिलता है और प्रकृति का कण-कण पुलकित होता है। चारों ओर हरियाली फैलती है। तालाब, झील, नदियाँ, सर सब पानी से भर जाते हैं। सारी प्रकृति सुखदायी प्रेरणा और शक्ति भरती है। इस तरह बादलों से प्रकृति की शोभा बढती है।

(నింగిలో వ్యాపించిన మేఘాల నుండి వాన కురుస్తుంది. నీటి వలన (ప్రకృతికి క్రొత్త జీవితం లభిస్తుంది. ప్రకృతి యొక్క అణువణువు పులకిస్తుంది. నలువైపులా పచ్చదనం వ్యాపిస్తుంది. చెరువులు, సెలయేర్లు, నదులు, సరస్సులు అన్నీ నీటితో నిండుతాయి. (ప్రకృతి అంతా సుఖకరమైన (పేరణ, శక్తిని నింపుతుంది. ఈ విధంగా మేఘాల వలన (ప్రక్లతి శోభ పెరుగుతుంది.)

प्रश्न – ప్రశ్నలు :

प्रश्न 1.
मेघ, बिजली और बूँदों का वर्णन यहाँ कैसे किया गया है?
(మేఘం, మెరుపు మరియు నీటి బిందువుల వర్ణన ఇక్కడ ఎలా చేయబడింది ?)
उत्तर :
“बरसते बादल” कविता में पंतजी ने सावन के समय के प्राकृतिक सौंदर्य का सुंदर चित्रण किया है। सावन के समय आकाश में काले घनघोर बादल छाये रहते हैं। वे झम – झम बरसते हैं। काले बादलों के हृदय में बिजली चमकती है। वर्षा की बूँदें छम – छम धरती पर गिरती हैं। इनके स्पर्श से मन पुलकित होता है। धरती पर वर्षा की धाराएँ बहती हैं। सारी प्रकृति मनमोहक दिखती है।

(‘కురిసే మేఘాలు’ కవితలో పంత్గారు శాావణమాస ప్రకృతి సౌందర్యాన్ని చక్కగా వర్ణించారు. శ్రావణ సమయమందు ఆకాశంలో దట్టమైన నల్లని మేఘాలు వ్యాపించి ఉంటాయి. అవి హోరున కురుస్తాయి. నల్లని మేఘాల హృదయంలో మెరుపు మెరుస్తుంది. వాన చినుకులు చిటపటమని భూమి మీద పడతాయి. వాటి స్పర్శతో మనస్సు పులకిస్తుంది. భూమి మీద వర్షపు ధారలు ప్రవహిస్తాయి. (ప్రకృతి అంతా మనోహరంగా గోచరిస్తుంది.)

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प्रश्न 2.
प्रकृति की कौन-कौनसी चीजें मन को छू लेती हैं?
(కృతోని ఏఏ వస్తువులు మనస్సును హత్తుకుంటాయు ?
उत्तर :
वर्षा के समय की प्रकृति शोभा निराली होती है। इस समय के काले – काले बादल, वर्षा की बूँदें, चमकनेवाली बिजली, बहती जल धाराएँ; पेड – पौधे आदि प्रकृति कीं चीज़ें मन को छू लेती हैं।)

(వర్షాకాలపు ప్రకృతి శోభ అద్వితీయంగా ఉంటుంది. ఆ సమయంలో నల్లనల్లని మేఘాలు, వాన చినుకులు, మెరిసే మెరుపు, ప్రవహించే జల నీటిధారలు, చెట్లు – మొక్కలు (ప్రకృతిలోని మొదలైన వస్తువులు మనస్సును హత్తుకుంటాయి.)

अर्थग्राहयता -प्रतिक्रिया :

अ. घने बादलों का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।
(దట్టమైన మేఘాల వర్ణన మీ మాటలలో చేయండి.)
उत्तर :
सावन के समय (वर्षा ऋतु) आसमान में घने काले बादल छाये रहते हैं। वे भयांनक रूप से घूमते रहते हैं। विविध आकृतियों में रहकर वे गर्जन करते रहते हैं। रह – रहकर उनके बीच बिजली चमक उठती है। काले घने बादलों को देखकर सब प्राणी खुश हो जाते हैं। दादुर टर्राते हैं। मोर कूकते हैं। चातक शोर मचाते हैं। शीतल पवन के छूते ही बादल बरस पडते हैं। मूसलधार वर्षा होती है। धरती भी पुलकित होती है। प्रकृति का कण – कण प्रसन्न दिखने लगता है। बच्चे हर्षोल्लास से झूमते हैं।

(కశావణ మాస సమయములో ఆకాశంలో దట్టమైన నల్లని మేఘాలు వ్యాపించి ఉంటాయి. అవి భయానకరూపంలో విహరిస్తూ ఉంటాయి. అనేక రూపాలతో ఉండి అవి గర్జిస్తూ ఉంటాయి. ఉండీ ఉండీ వాటి మధ్య మెరుపుమెరుస్తూ ఉంటుంది. దట్టమైన నల్లని మేఘాలను చూసి ప్రాణులన్నీ ఆనందిస్తాయి. కప్పలు అరుస్తాయి. నెమళ్ళులు కూస్తాయి. చకోరములు కలరవము చేస్తాయి. చల్లని గాలి తగలగానే మేఘాలు కురుస్తాయి. వర్షపు ధారలు కురుస్తాయి. భూమాత కూడా పులకిస్తుంది. ప్రకృతిలోని అణువణువు సంతోషంగా కనిపస్తుంటుంది. పిల్లలు ఆనందోత్సాహములతో నాట్యమాడుతారు.)

आ. वाक्य उचित क्रम में लिखिए।

प्रश्न 1.
हैं झम – झम बरसते झम – झम मेघ के सावन।
उत्तर :
झम – झम – झम – झम मेघ बरसते हैं सावन के।

प्रश्न 2.
गगन में गर्जन घुमड़ – घुमड़ गिर भरते मेघ।
उत्तर :
घुमड – घुमड गिर मेघ गगन में भरते गर्जन।

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प्रश्न 3.
धरती पर झरती धाराएँ पर धाराओं।
उत्तर :
धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर।

इ. नीचे दिए गए भाव की पंक्तियाँ लिखिए।

प्रश्न 1.
बादलों के घोर अंधकार के बीच बिजली चमक रही है और मन दिन में ही सपने देखने लगा है।
उत्तर :
चम – चम बिजली चमक रही रे उर में घन के
थम – थम दिन के तम में सपने जगते मन के ॥

प्रश्न 2.
कवि चाहता है कि जीवन में सावन बार – बार आए और सब मिलकर झूलों में झूलें।
उत्तर :
इंद्रधनुष के झूले में झूलें मिल सब जन,
फिर-फिर आए जीवन में सावन मनभावन ॥

ई. पद्यांश पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

बंद किये हैं बादल ने अंबर के दरवाजे सारे,
नहीं नज़र आता है सूरज ना कहीं चाँद – सितारे।
ऐसा मौसम देखकर, चिड़ियों के भी पंख पसारे.
हो प्रसक्न धरती के वासी, नभ की ओोर निहारे॥

प्रश्न 1.
किसने अंबर के दरवाज़े बंद कर दिए हैं?
उत्तर :
बादल ने अंबर के दरवाज़े बंद कर दिए हैं।

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प्रश्न 2.
इस कविता का विषयं क्या है?
उत्तर :
इस कविता का विषय प्रकृति है।

अभिव्यक्ति – सृजनात्मकता :

अ. वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है। कैसे ?
(వర్షం అన్నిప్రాణులకు జీనాధారము. ఎట్లు ?
उत्तर :
धरती पर रिथत प्राणि मात्र के जीने के लिए पानी अत्यंत आवश्यक है। बिना पानी के कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता। ऐसा अमूल्य पानी वर्षा से ही मिलता है। मानव और अन्य प्राणियों को पेय जल मिलता है। खाद्यान्न उत्पन्न करने, जलचरों को जीने, पेड – पौधों के जीवित रहने, पर्यावरण का संतुलन बनाये रहने पानी ही एक मात्र आधार है। इसलिए यह कथन उचित ही है कि वर्षा सभी प्राणियों के लिए जीवन का आधार है।

(భూమి మీద నివసించే ప్రాణులన్నింటికి నీరు చాలా అవసరము. నీరు లేకుండా ఏ ప్రాణీ జీవించలేదు. అట్టీ అమూల్యమైన నీరు వర్షం ద్వారానే లభిస్తున్నది. మానవులకు ఇతర ప్రాణులకు క్రాగునీరు లభిస్తుంది. ఆహార పదార్థాలు పండించటానికి జల ప్రాణులు జీవించడానికి, చెట్లు – మొక్కలు జీవించడానికి వాతావరణ సమతౌల్యము ఏర్పడుటకు నీరే ముఖ్య అధారము. అందువలన వర్ష్ అన్ని ప్రాణులకు జీవనాధారము అని చెప్పడం (అనడం) సరియైనదే.)

आ. ‘बरसते बादल’ कविता में प्रकृति का सुंदर चित्रण है। उसे अपने शब्दों में लिखिए।
(బరస్తే బాదల్ కవితలో ప్రకృతిని చాలా అందంగా చిత్రీకరించారు”. దీనిని మి మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
‘बरसते बादल’ कविता के कवि श्री सुमित्रानंदन पंतजी है। प्रकृति सौंदर्य के वर्णन में आप बेजोड कवि माने जाते हैं। इस कविता में पंतजी ने सावन (वर्षा ऋतु) का सुंदर वर्णन किया है।
सावन (श्रावण मास) के बादल झम – झम बरसते हैं। पेडों से छनकर (छलकती) बूँदें छम – छम करके धरती पर गिरती हैं। बादलों के हृदय में बिजली चमकती है। तब दिन में भी अंधकार छा जाता है। मन में अनेक प्रकार के सपने जगने लगतें हैं।
वर्षा के होने पर मेंढक टर्राते हैं। झींगुर झीं – झीं करते हैं। मोर म्यव – म्यव – म्यव करते हैं। चातक पक्षी पीउ – पीउ की आवाज करते हैं। जल पक्षी उडते गीली सुख से क्रंदन करते हैं। आसमान में घुमड – घुमड कर बादल गरजते हैं।
वर्षा की बूँदें रिमझिम करते बरसती हैं। उनके स्पर्श से रोम – रोम सिहर उठते हैं। अर्थात् रोमांचित होता है। मन प्रफुक्कित होता है। धरती पर वर्षा की धाराएँ बहती हैं, मिट्टी के कण – कण से कोमल तृण उत्पत्न हो प्रसत्रता से झूमते हैं।

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इ. प्रकृति सौंदर्य पर एक छोटी – सी कविता लिखिए।
(ప్రకృతి సౌందర్యం మీీ ఒక దిన్న కవితను వ్రాయండి)
उत्तर :
मेरे घर के पास लठा है,
पेड नीम का हरा – भरा।
उसकी डालें झुक – इुक छूतीं,
मेरे रहने का कमरा।
अभी अभी निकली फुनठी में,
नयी – नयी प्यारी कोंपल,
लाल, बैंगनी रंग देखकर
मेरा मन बनता शीतल।
रोज़ सबेरे चिड़ियाँ आकर
इस कें शोर मचाती हैं,

तरह – तरह के ठाने गाकर
मेरा दिल बहलाती हैं।
वैसे भी मैं रोज़ बैठता
इसकी छाया के नीचे,
खेला करता आँख – मिचौनी
कभी – कभी आँखें मींचे।
नीम न होती अठर सामने
तो घर उजडा दिखलाता,
हरियाली के बिना हमारा
दिल न यों हरा रह पाता।

ई. ‘फिर – फिर आए जीवन में सावन मनभावन’ ऐसा क्यों कहा गया होगा? स्पष्ट कीजिए।
(“జీవితంలో మనసుకు నచ్చిన శ్రావణ మాసం రావాలి” చెప్పబడింది ? స్పష్టంచేయండ.)
उत्तर :
कवि चाहते हैं

कि जीवन में सावन बार-बार आए और सब मिलकर झूलों में झूलें। क्योंकि वर्षा ऋतु हमेशा सबकी प्रिय ऋतु रही है। वर्षा के समय प्रकृति की सुंदरता देखने लायक होती है। पेड – पौधे, पशु – पक्षी, मनुष्य और यहाँ तक कि धरती भी खुशी से झूम उठती हैं। वर्षा की धाराओं के कारण मिट्टी के कण – कण से कोमल अंकुर फूट कर तृण बन जाते हैं। उस वर्षा के पानी को पाकर सभी का मन झूलने लगता है। कवि कहते हैं कि इन्द्रधनुष को झूला बनाकर हम सब मिलकर आकाश में झूलना चाहते हैं। ऐसी सुंदर – सुंदर घटनाओं के कारण से कवि फिर फिर वर्षा ऋंतु का आगमन करना चाहते हैं।

(కవి జీవితంలో క్రావణవాసం మరలా మరలా రావాలని అందరూ ఉయ్లాలు ఉగాలని కోరుకుంటున్నారు. ఎందుకంటే వర్నాకాలం ఎప్పుడూ అందరికి ఇష్టమైన బుతువు.వర్షపు సమయం ప్రకృతి అందం చూడదగినది.చెట్లు – మొక్కలు, పశువులు – పక్షులు, మనిషి మరియు భూమి కూడా ఆనందంతో ఉగిపోతాయి. వర్షపు ధారల వలన మట్టిలోని ప్రతి ఒక కణములో సున్నిశమైన మొలకలు వచ్చి గడ్డిలాగా మారతాయి. అ వర్షప్ నీటిని పట్టుకోవటం వలన అందరి మనస్సు ఆనందంతో ఉగిపోతుంది. ఇంద్రధనస్సును ఉయ్యాలల మార్చి మనమందరం కలసి ఆకాశంలో ఉగాలన కోరుకుందాం అని కవి చెప్తన్నారు. అందమైన ఘునలను కారణముగ కవి మరలా మరలా వర్షబుతువును ఆహ్వానించాలనుకుంటున్నారు.)

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भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. तरु, गगन, घन (पर्याय शब्द लिखिए।) (పర్యాయ పదాలు వ్రాయండి.)
उत्तर :

  • तरु (చెట్టు) – पेड, वृक्ष, पादप, विटप, दरख्त
  • गगन (అకాశ०) – आकाश, नभ, अंबर, आसमान, व्योम
  • घन (మేఘ०) – मेघ, बादल, जलद, नीरद, अभ्र

आ. मेघ, तरु (वाक्य प्रयोग कीजिए।) (మేఘ్, తరు పదాలకు వాక్యహ్రయోగం చేయండి.)
उत्तर :

  • मेघ – वर्षा होने से पहले आकाश में नीले मेघ छा जाते हैं।
  • तरु – तरुओं से प्राणवायु आक्सिजन मिलता है और ये पर्यावरण में संतुलन बनाये रखते हैं।

इ. इन्हें समझिए और सुचना के अनुसार कीजिए। (వీటిని అర్థం చేసుకోండి, సూచన ప్రకారం చేయండి)

1. बादल बरसते हैं। (रेखांकित शब्द का पद परिचय दीजिए।) (గీత గీచిన పదానికి పద పరిచయం ఇవ్వండి.)
उत्तर :
बादल → संज्ञा, जातिवाचक, अन्य पुरुश, पुंलिंग, बहुवचन, बरसते हैं क्रिया का कर्ता।

2. पेड़ – पौधे, पशु – पक्षी (समास पहचानिए।) (సమాసాన్నిగుర్తించండి.)
उत्तर :
पेड़-पौधे → पेड और पौधे → द्वंद्व समास
पशु-पक्षी → पशु और पक्षी → द्वंद्व समास

ई. शब्द – संक्षेप लिखिए।

1. मन को भानेवाला
उत्तर :
मनभावन

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2. मन को मोहने वाला
उत्तर :
मनमोहक

परियोजना कार्य :

वर्षा, बादल, नदी, सागर, सूरज, चाँद, झरने आदि में किसी एक विषय पर प्रकृति वर्णन से जुड़ी कविता का संग्रह कीजिए। कक्षा में उसका प्रदर्शन कीजिए।
(వర్షం, మేఘం, నది, సముద్రం, సూర్యుడు, చంద్రుడు, సెలయేరు మొదలైన వాటిలో ఏదో ఒక విషయం మీద ఉన్న ప్రకృతి వర్ణనతో కూడిన కవితను సేకరంచండి. తరగతి లో దానిని ప్రదర్శించండి.)

चाँद

चम – चम – चम – चम चंदा चमके
तारे चमके झिलमिल।
आओ – आओ खेले हिल मिल
आज – चाँदनी में हम – सब॥

ठंडी – ठंडी हवा बह रही
लोरी – सी कुछ गाती।
अभी नहीं सोयेगा कोई
नींद किसे है आती॥

देखो धीमे – धीमे झूमीं
फूलों के ये पाँखें।
जुही, चमेली चमकीं जैसे
बग्रिया की सौं आँखें॥

खूब भरी है नदी दूध हो
दूध भरा है झरना।
अच्छा लगता आज सभी को
दूर – दूर तक फिरना॥

अरे चाँद, तुम कौन बताओ
चाँदी की थाली – से।
प्यारे तारे, झरे फूल से
बोलो, किस डाली से॥

झरना

कल – कल करता झरना बहता
कानों में रस घोल रहा है।
गुनगुनी धूप, रेत की चादर
माता के आंचल में छुपाकर
जैसे बच्चा सो रहा है।
कल – कल करता झरना बहता
कानों में रस घोल रहा है।
कलख करते पंछी गाते,
तोता मैना गीत सुनांते
मेरा भी मन डोल रहा है।
कल – कल करता झरना बहता

कानों में रस घोल रहा है।
नीला अंबर, मीठा पानी,
प्रकृति कहे सुनो कहानी
जग अपने पट खोल रहा है
कल – कल करता झरना बहता
कानों में रस घोल रहा है।

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उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :

प्रकृति के प्रति काव्य रचनाओं के प्रोत्साहन के साथ-साथ सौंदर्यबोध पाना और मनोरंजन करना ।
(ప్రకృతి పట్ల కావ్య రచనలలో ప్రోత్సాహాన్ని అందిస్తూ సౌందర్య బోధన పొందటం, మానసికోల్లాసం కలిగించటం.)

विधा विशेष (విభాగ-విశేషణము) :

‘बरसते बादल’ कविता पाठ है। कविता भावनाओं को उदात्त बनाने के साथ-साथ सौंदर्यबोध को भी सजाती – सँवारती है। प्रस्तुत् कविता नाद (ध्वनि) के साथ गेय योग्य है।
(“బరస్ బాదల్” కవితా పాఠము. కవితా భావనలను ఉన్నతం చేయటంతోపాటు సౌందర్య జ్ఞానాన్ని ఇనుమడింపచేస్తున్నది. ప్రస్తుత కవిత నాదయుక్తముగా పాడదగినది.)

कवि परिचय (కవి పరిచయము) :

ప్రకృతి చిత్రణలో అద్వితీయ కవి అని పిలువబడే సుమిత్రానందన్ పంత్ జననం 1900లో అల్మోడాలో జరిగింది. సాహిత్య రచనకుగాను ఈయనకు సాహిత్య అకాడమీ, సోవియత్ రూస్ మరియు జ్ఞానపీఠ్ పురస్కారాలు ఇవ్వబడినవి. వీణ, గ్రంథి, పల్లవ్, గుంజన్, యుగాంత్, గ్రామా, స్వర్ణ కిరణ్, కలా ఔర్ బూఢా చాంద్ మరియు చిదంబరా మొదలైనవి వీరి ప్రముఖ రచనలు. వీరిని చిదంబరా కావ్యానికిగాను జ్ఞాన్ పీఠ్ పురస్కారాన్ని ఇచ్చి సత్కరించడం జరిగింది. వీరు 1977లో మరణించారు.

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विषय प्रवेश (విషయ ప్రవేశము) :

(వర్ష ఋతువు ఎల్లప్పుడూ అందరికీ ఇష్టమైన ఋతువు. వర్షము కురుస్తున్న సమయంలో ప్రకృతి సౌందర్యం చూడదగినదిగా ఉంటుంది. చెట్లు, మొక్కలు, పశువులు, పక్షులు మరియు మానవులు ఆనందంతో ఊగిపోతారు. ఈ సౌందర్య వర్ణనే ఇక్కడ వ్యక్తపరచబడినది.)

शब्दार्थ-भावार्थ :

1. इमं-झम-झम-इस मेघ बरसते हैं सावन के,
छम-छम-छम गिरती बूँदे तरुओं से छन के।
चम-चम बिजली चमक रही रे उर में घन के,
थम-थम दिन के तम में सपने जगते मन के॥

शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :

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भावार्थ : सावन (श्रावण मास) के बादल झम – झम बरसते हैं। पेडों से छनकर (छलकती) बूँदें छम – छम करके धरती पर गिरती हैं। बादलों के हृदय में बिज़ली चमकती है। तब दिन में भी अंधकार छा जाता है। मन में अनेक प्रकार के सपने जगने लगते हैं।

భావార్థం : (శావణమాస మేఘాలు హోరున (శబ్దం చేస్తూ) వర్షిస్తాయి. చెట్ల నుండి చినుకులు టప్ మని శబ్దం చేస్తూ భూమి మీద పడతాయి. మేఘాల హృదయములో మెరుపు మెరుస్తుంది. అప్పుడు పగటి పూటే చీకటి వ్యాపిస్తుంది. మనస్సులో అనేక స్వప్నాలు మేలుకుంటాయి.

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2. दादुर टर-टर करते झिल्ली बजती इन-इन,
‘क्यव-क्यव’ रे मोर ‘पीउ’ ‘पीउ’ चातक के ठण।।
उड़ते सोनबालक, आर्द – सुख से कर क्रंदन,
घुमड़-घुमड़ विर मेघ ठगन में भरते गर्जन ॥

शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :

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भावार्थ : वर्षा के होने पर मेंढक टर्राते हैं। झींगुर झीं – झीं करते हैं। मोर म्यव – म्यव – म्यव करते हैं। चातक पक्षी पीउ – पीउ की आवाज करते हैं। जल पक्षी उडते गीली सुख से क्रकंदन करते हैं। आसमान में घुमड – घुमड कर बादल गरजते हैं।

భావార్ధం : వర్షం కురిసినప్పుడు కప్పలు బెకబెకమంటాయి. కీచురాళ్ళు కీచ్మని అరుస్తాయి. నెమళ్ళు కూ-కూమని . అరుస్తాయి. చకోర పక్షులు పీ – పీ అంటూ కూస్తాయి. జల పక్షులు ఎగురుతూ తడిసిన ఆనందముతో అరుస్తాయి. ఆకాశంలో మేఘాలు దట్టంగా కమ్ముకొని గర్జిస్తాయి.

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3. रिमझिम-रिमझिन्म क्या कुछ कहते बूँदों के स्वर,
रोम सिहर उठते छूते वे भीतर अंतर।
धाराओं पर धाराएँ झरती धरती पर,
रज के कण-कण में तृण – तृण को पुलकावलि थर ॥

शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :

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भावार्थ : वर्षा की बूँदें रिमझिम करते बरसती हैं। उनके स्पर्श से रोम – रोम सिहर उठते हैं। अर्थात् रोमांच होता है। मन प्रफुल्लित होता है। धरती पर वर्षा की धाराएँ बहती हैं, मिट्टी के कण – कण से कोमल तृण उत्पन्न हो प्रसत्रता से झूमते हैं।

భావార్థం: వాన చినుకులు చిటపటమంటూ కురుస్తాయి. వాటి స్పర్శతో రోమాంచితమవుతుంది. మనస్సు పులకించి పోతుంది. భూమి మీద వర్షపు ధారలు ప్రవహిస్తాయి. మట్టిలోని అణువణువు నుండి కోమలమైన గడ్డిపోచలు మొలిచి సంతోషంతో ఊగుతాయి.

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4. पकड़ वारि की धार झूलता है मेरा मन,
आओ रे सब मुझे घेर कर गाओ सावन।
इंद्रधनुष के इूले में इूलें मिल सब जन,
फिर-फिर आये जीवन में सावन मनभावन।

शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :

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भावार्थ : पानी की धारा देखकर कवि का मन झूलने लगता है। अर्थात् मन खुश होता है। सबको आमंत्रित करते हुए वे कहते हैं कि आप सभी लोग आइए। मुझे घेरकर सावन के गीत गाइए। हमारी कामना है कि इंद्रधनुष के झूले में हम सब झूलें। ऐसा मनभावन सावन हमारे जीवन में बार-बार आये। यही हमारी कामना है।

భావార్థం: వర్షపు నీటి !ప్రవాహం చూచి కవి మనస్సు ఆనందముతో నాట్యమాడుతుంది (ఉప్పొంగిపోతుంది). మీరందరూ రండి నా చుట్టూ చేరి (శావణ మాసపు పాటలు పాడండి – అని కవి అందరినీ ఆహ్వానిస్తున్నారు. ఇంద్ర ధనుస్సు ఊయలలో మనమందరము ఉగుదాము. మనస్సుకు నచ్చిన (శావణ మాసము మన జీవితములో మరల – మరల రావాలి. ఇదే మన కోరిక.

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