TS 10th Class Hindi Guide 5th Lesson लोकगीत

Telangana SCERT TS 10th Class Hindi Study Material 5th Lesson लोकगीत Textbook Questions and Answers.

TS 10th Class Hindi 5th Lesson Questions and Answers Telangana लोकगीत

प्रश्न-उत्तर :

प्रश्न 1.
हाथों में क्या रचनेवाली है?
(చేతులలో ఏమి పండించనుంది ?)
उत्तर :
हाथों में मेहंदी गहरी लाली रचनेवाली है।
(చేతులలో గోరింటాకు గాఢమైన ఎర్రదనాన్ని పండించనుంది.)

प्रश्न 2.
इस तरह के गीतों को क्या कहा जाता है ?
(ఈ రకపు పాటలు ఏమని పిలువబడతాయి?)
उत्तर :
इस तरह के गीतों को “लोकगीत”‘ कहा जाता है।
(ఈ రకపు పాటలు “జానపద గీతాలు” అని పిలువబడతాయి.)

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प्रश्न 3.
किन – किन संदर्भों में लोकगीत गाये जाते हैं ?
(ఏ – ఏ సందర్భములలో జానపద గీతాలు పాడబడతాయి ?)
उत्तर :
शादी – ब्याह, तीज – त्योहार, बरहो, नाक – कान छेदन आदि शुभ बेलों में लोकगीत गाये जाते हैं।
(వివాహము, బతుకమ్మ పండుగ, బాలింతస్నానము, ముక్కు, చెవులు కుట్టుట వంటి శుభ సమయములలో జానపద గీతాలు పాడబడతాయి.)

प्रश्न (ప్రశ్నలు) :

प्रश्न 1.
लोकगीत के बारे में आप क्या जानते हैं?
(జానపద గీతాల గురించి మీకేమి తెలుసు ?)
उत्तर :
लोकगीत मुख्यतः उत्तर भारत में गाँव व देहातों में, गाँव या क्षेत्रीय बोली में गाये जाने वाले गीत हैं, जो विभिन्न अवसरों पर जैसे तीज त्योहारों, जन्म, विवाह के अवसरों पर गाये जाते हैं। ये मार्मिक, हृदयस्पर्शी होते हैं।

(జానపద గీతాలు ముఖ్యంగా ఉత్తర భారతదేశంలో గ్రామాలలో. గ్రామీణ ప్రాంతీయ మాండలిక భాషలో పాడబడే పాటలు. ఇవి బతుకమ్మ పండుగ, పుట్టినరోజు, పెళ్ళి రోజు వంటి సందర్భాలలో పాడబడుతున్నాయి. ఇవి మిక్కిలి ప్రభావశాలి, హృదయమునకు హత్తుకుపోయేవిగా ఉంటాయి.)

प्रश्न 2.
लोकगीत और संगीत का क्या संबंध है ?
(జానపద గీతాలకు, సంగీతానికి ఉన్న సంబంధం ఏమిటి?)
उत्तर :
लोकगीत अपनी लोच, ताज़गी और लोकप्रियता में शास्त्रीय संगीत से भिन्न हैं। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं। इनके लिए साधना की ज़रूरत नहीं होती। त्यौहार और विशेष अवसरों पर सदा से ये गाये जाते आ रहे हैं। इनके रचयिता भी अधिकतर स्त्रियाँ ही होती हैं। ये ढोलक, झाँझ, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाए जाते हैं।

(జానపద గీతాలు తమ సరళత, నిర్మలత్వము, ప్రజాదరణలో శాస్త్రీయ సంగీతము కంటే భిన్నమైనది. జానపద గీతాలు పూర్తిగా ప్రజా సంగీతపరమైనవి. కుటుంబ, గ్రామ, పట్టణ ప్రజల గీతాలు. వీటికి సాధన చేయవలసిన అవసరము లేదు. పండుగలు, ప్రత్యేక సందర్భాలలో ఇవి పాడబడుతూ ఉన్నవి. వీటిని రచించేవారు కూడా ఎక్కువగా స్త్రీలే ఉంటారు. డోలు, కంచు వాద్యము, కంజీర మరియు మురళి మొదలగు వాటి సహాయంతో ఇవి పాడబడతాయి.)

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2. अनंत संख्या अपने देश में स्त्रियों के गीतों की है। हैं तो ये गीत भी लोकगीत ही, पर अधिकतर इन्हें औरतें ही गाती हैं। इन्हें सिरजती भी अधिकतर वही हैं। वैसे मर्द रचने वालों या गाने वालों की भी कमी नहीं है पर इन गीतों का संबंध विशेषतः स्त्रियों से हैं। इस दृष्टि से भारत इस दिशा में सभी देशों से भिन्न है क्योंकि संसार के अन्य देशों में स्त्रियों के अपने गीत मर्दों याजनगीतों से अलग और भिन्न नहीं हैं, मिले – जुले ही हैं।

एक विशेष बात यह है कि नारियों के गाने साधारणतः अकेले नहीं गाये जाते हैं, दल बाँधकर गाये जाते हैं। अनेक कंठ एकसाथ फूटते हैं यद्यपि अधिकतर उनमें मेल नहीं होता, फिर भी त्यौहारों और शुभ अवसरों परवे बहुत ही भले गाते लगते हैं। गाँवों और नगरों में गायिकाएँ भी होती हैं जो विवाह जन्म आदि के अवसरों परगाने के लिए बुला ली जाती हैं। सभी ऋतुओं में स्त्रियाँ उल्लासित होकर दलबाँधकरगाती हैं। पर होली बरसातकी कजरी आदि तो उनकी अपनी चीज़ है, जो सुनते ही बनती है। पूरब की बोलियों में अधिकतर मैथिल कोकिल विद्यावाड़ – गुजरात राजस्थान से उड़ीसा आंध्र तक अपने अपने विद्यापति हैं।

स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं। अधिकतर उनके गाने के साथ नाचका भी पुटहोता है। गुजरात का एक प्रकार का दलीय गायन ‘गरबा’ है जिसे विशेष विधि से धेरे में घूम-घूमकर औरतें गाती हैं। साथ ही लकड़ियाँ भी बजाती जाती हैं। जो बाजे का काम करती हैं। इसमें नाच गान साथ-साथ चलते हैं। वस्तुतः यह नाचही है। सभी प्रांतों में यह लोकप्रिय हो चला है। इसी प्रकार होली के अवसर पर ब्रज में रसिया चलता है जिसेदलके दल लोग गाते हैं, स्त्रियाँ विशेष तौर पर। गाँव के गीतों के वास्तव में अनंत प्रकार हैं। जीवन जहाँ इठल-इठलाकर लहराता है, वहाँ भला आनंद के स्रोतों की कमी होसकती है ? उद्दाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यकगाने के प्रतीक हैं।

మన దేశంలో స్త్రీల పాటల సంఖ్య అసంఖ్యాకం. ఈ పాటలైతే జానపద గీతాలే కాని వీటిని ఎక్కువగా స్త్రీలే పాడుతూంటారు. వీటిని సృష్టించేవారు కూడా వారే. పురుష కవులు, గాయకులు కూడా తక్కువేమీ కాదు. కాని ఈ గీతాలు ప్రత్యేకించి స్త్రీలకి సంబంధించినవే. ఈ విధముగానైతే భారతదేశం ఈ దిశలో అన్ని దేశముల కన్నా భిన్నమైనది. ఎందుకంటే ప్రపంచములోని ఇతర దేశాలలో స్త్రీలకు ప్రత్యేక గీతాలు, పురుషులు లేదా జానపద గీతాలకు వేరుగా, భిన్నంగా లేవు. కలిసే ఉన్నవి.

స్త్రీల పాటలు సాధారణంగా ఒంటరిగా కాక సామూహికంగా పాడబడటం ప్రత్యేక విషయము. సమూహాలుగా అనేక కంఠాలు ఒక్కసారిగా పాడుతాయి. వాటిలో ఎక్కువగా పొంతన ఉండదు. అయినప్పటికీ పండుగలు, శుభకార్య సందర్భాలలో- చాలా బాగా పాడుతుంటారు. గ్రామాలు, పట్టణాల్లో వివాహములు, పుట్టిన రోజు మొదలగు సందర్భాలలో పాటలు పాడేందుకు పిలువబడే గాయనిలు కూడా ఉంటారు. అన్ని ఋతువులలో స్త్రీలు ఆనందముతో సమూహములుగా ఏర్పడి పాడుతారు. కాని వినగానే, తెలిసే హోలీ, శ్రావణ మాస పాటలు మాత్రం వారి స్వంతం. తూర్పుకు చెందిన భాషలలో ఎక్కువగా మైథిల్ – కోకిల్ “విద్యాపతి” పాటలు పాడబడతాయి. కాని యావత్తు దేశపు కాశ్మీరు మొదలు కన్యాకుమారి వరకు మరియు కారియవాడ్ – గుజరాత్ నుంచి ఒడిసా – ఆంధ్ర వరకు తమ తమ విద్యాపతులు (కవులు) ఉన్నారు.

స్త్రీలు డోలు సహాయంతో పాడుతారు. వారి పాటతోపాటు నాట్యం చేసే రీతి కూడా ఉంటుంది. ఒక రకమైన గుజరాత్ సమూహపు గీతం ‘గర్భా’ దీన్ని ప్రత్యేక పద్ధతిలో వృత్తాకారంలో తిరుగుతూ స్త్రీలు పాడతారు. తోడుగా అమ్మాయిలు కూడా సంగీతం వాయిస్తుంటారు. ఇందులో నాట్యం – గానం ఒక్కసారిగా జరుగుతాయి. నిజానికి ఇది నాట్యమే. అన్ని ప్రాంతాలలో ఇది ప్రజాదరణ పొందినది. ఇదే విధంగా హోలీ సందర్భంగా బ్రజ్, భాషలో రసియా సాగుతుంది. దీని సమూహంలో అందరూ ప్రత్యేకించి స్త్రీలు పాడతారు. గ్రామీణ గీతాలు వాస్తవానికి అనేక రకాలు. జీవితం ఎక్కడైతే ఉత్సాహభరితంగా ఉంటుందో అక్కడ ఆనంద నిధుల కొరత ఉండగలదా? అక్కడి అనేక రకాలైన పాటలు సుఖమయమైన జీవనానికి ప్రతీకలు.

प्रश्न (ప్రశ్నలు) :

प्रश्न 3.
स्त्रियों के लोकगीत कैसे होते हैं?
(స్త్రీల జనపద గీతాలు ఏ విధంగా ఉంటాయి?)
उत्तर :
वास्तव में गाँवो और नगरों में लोकगीत गानेवाली गायिकाएँ भी होती हैं जो त्योहारों के अवसरों उल्लासित होकर दल बाँधकर गाती हैं। होली के अवसर पर ब्रज में रसिया चलता है। बरसात की कजरी इनकी प्रिय लोकगीत हैं।

(వాస్తవంగా గ్రామాలు, పట్టణాలలో జానపదగీతాలు పాడే గాయనిలు ఉంటారు. వీరు పండుగల సందర్భములో ఉల్లాసంతో సమూహం కట్టి పాడుతారు. హోలీ సందర్భంగా బ్రజ్ లో ‘రసియా’ జరుగుతుంది. (శావణ మాసంలో పాడే ‘కజరీ’ వీరి (ప్రియమైన జానపద గీతము.)

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प्रश्न 4.
लोकगीत किसके प्रतीक हैं?
(జానపద గీతాలు దేనికి చిహ్నాలు ?)
उत्तर :
लोकगीत आनंद और उल्लास के प्रतीक माने जाते हैं। क्योंकि देहातों में इन्हें आनंद से तीज – त्यौहार, शादी, बरहो, आदि विभिन्न आनंददायक ऱमों के अवसर पर गाया जाता है। उद्दाम जीवन के ही वहाँ के अनंत संख्यक गाने प्रतीक हैं।

(జానపద గీతాలు సంతోషము, ఉల్లాసమునకు చిహ్నములుగా భావించ బడుచున్నవి. ఎందుకంటే గ్రామాలలో పల్లెల్లో బతుకమ్మ పండుగ, వివాహము, బాలింత స్నానము మొదలగు సాంప్రదాయక ఆచారాల సందర్భముగా సంతోషంతో పాడుతారు. అక్కడి సుఖమయమైన జీవనానికి బహుసంఖ్యాక గీతములు చిహ్నాలు.)

अर्थग्राहयता – प्रतिक्रिया (అర్థగ్రహణ – ప్రతిస్పందనన) :

अ. प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి.)

प्रश्न 1.
लोकगीत ग्रामीण जनता का मनोरंजक साधन है। कैसे?
(‘జానపద గీతాలు గ్రామీణ ప్రజలకు మానసిక ఆనందమునిచ్చు సాధనము.’ ఎట్లు ?)
उत्तर :
“लोकगीत” ग्रामीण जनता का मनोरंजक साधन है। क्योंकि गाँवो में शहरों की अपेक्षा मनोरंजन के साधनों का अभाव है। खासकर प्राचीन समय में पर्दा प्रथा के कारण स्त्रियों का घर से बाहर मनोरंजन स्थलों में जाना न होता था। अतः वे विभिन्न शुभ अवसरों फ्र जैसे त्यौहारों पर, नदियों में नहाते समय के, नहाने जानेवाले मार्गों के, विवाह के मटकोड, ज्यौनार के, संबंधियों के लिए प्रेमयुक्त गाली के, जन्म आदि अवसरों पर स्त्रियाँ प्राचीन काल से ही गीत गाती रही हैं। नारियाँ दल बाँधकर गाती हैं। यह उनके मनोरंजन के लिए सबसे अच्छा और सुगम साधन है।

(జానపద గీతాలు గ్రామీ ప్రజలకు మానసక ఆనందము కలిగించు సాధనము. ఎందుకంటే గ్రామాలలో పట్టణముల కంటే మానసి ఆనందం కలిగించు సాధనముల లోటు ఉన్నది. ముఖ్యంగా ప్రాచీన కాలములో ప్దా సాంప్రదాయము కారణముగా స్త్రీలు ఇంటి నుండి బయటకు, మానసిక ఆనందము కలిగించు ప్రదేశాలకు వెళ్ళడం జరిగేది కాదు. అందువలన వారు వివిధ చుభసందర్భాలలో పండుగలు, నదులలో స్నానము చేయు సమయపు, స్నానమునకు వెళ్ళేదారులు వివాహ వయ్యారి నడకల (సొగసుల), పిండివంటల, బంధువులకు (పేమతో కూడిన తిట్లు, పుట్టుక మొదలగు సందర్భాలప్పుడు స్త్రీలు సమూహములుగా చేరి పాడుతారు. ఇది వారికి మానసిక ఆనందమునిచ్చు అన్నిటికంటే మంచి, చక్కని సాధనము.)

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प्रश्न 2.
हिन्दी या अपनी मातृभाषा का कोई लोकगीत सुनाइए।
(హిందీ/మీ మాతృభాష యొక్క ఏదేని జానపద గీతము వినిపించండి.)
उत्तर :
चालो ठजानंद जोसी क्याँ चालाँ
चालो ठजानंद बजाजी क्याँ चालाँ
कई आछा – आछा लगनाँ लिखावाँ गजानंद
कोटारी गाद्धी से नो बत बाजे
नौबत बाजे इंदर गड़ गाजे
नौबत बाजे इंदर गड गाजे
तो इीणी – इीणी इालर बाजे गजाजंद
कोटारी गादी पे नौबत बाजे गजानंद
चालो गजानंद सोनी क्याँ चालाँ
चालो गजानंद भाली क्याँ चालाँ
तो आखा – आछा गोणा मोलवाँ गजानंद
तो आछा – आछा सेवरा मोलवाँ गजानंद
कोटारी गादी पे नौबत बाजे

आ. वाक्य उचित क्रम में लिखिए। (వాక్యాలను సరియైన క్రమంలో వ్రాయండి)

प्रश्न 1.
लोकगीत हैं संगीत सीधे जनता के।
उत्तर :
लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं।

प्रश्न 2.
मदद ढोलक की से स्त्रियाँ हैं गाती।
उत्तर :
स्त्रियाँ ढोलक की मदद से गाती हैं।

इ. दिया गया गदूयांश पढ़िए और दो प्रश्न बनाइए।
(ఇవ్వబడిన గద్యాంశమును చదవండి మరియు రెండు ప్రశ్నలు తయారు చేయండి)
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उत्तर :
1. गाँव के गीत वास्तव में कितने प्रकार हैं ?
2. इठला – इठलाकर क्या लहराता है ?

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ई. पंक्तियाँ पढिये और प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
(క్రింద ఇవ్వబడిన జానపదగీతము చదివి ప్రశ్నలకు జవాబులు ఇవ్వండి)
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उत्तर :
1. तेलंगाणा के गाँव-गाँव की विकास की बात है।
2. पानी से तालाब भरना किसानों की खुशी का कारण है।

अभिव्यक्ति-सृजनात्मकता (వ్యక్తీకరణ/ప్రస్తుతీకరణ – నిర్మాణాత్మకత) :

अ. लोकगीतों की क्या विशेषता होती हैं?)
(జానపదగీతాలు యొక్క గొప్పతనము ఏమిటి?)
उत्तर :
हमारी संस्कृति में लोकगीत और संगीत का अटूट संबंध है। मनोरंजन की दुनिया में लोकगीत का महत्वपूर्ण स्थान है। गीत – संगीत के बिना मानव जीवन नीरस हो जाता है।

  • लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। घर, गाँव और नगर की जनता के गीत हैं। इनके लिए साधना की जरूरत नहीं होती।
  • विविध बोलियों पर लोकगीत गाए जाते हैं। गीतों का विषय रोजमर्रा के जीवन से लिया जाता है।
  • अधिकतर संख्या में लोकगीत औरतें ही गाती हैं। ये मार्मिक होते हैं।
  • लोकगीत, शुभ अवसरों पर, मनोरंजन के उद्देश्य से रस्मों को पूर्ति करने हेतु गाये जाते हैं।
  • आल्हा, बारह मासा, फगुआ आदि लोकगीत अत्यधिक प्रसिद्ध हैं।

(మన సంస్కృతిలో జానపద గీతాలు, సంగీతానికి విడదీయరాని సంబంధము ఉన్నది. మానసికోల్లాస ప్రపంచములో జానపద గీతాలకు విశిష్ట స్థానమున్నది. పాటలు – సంగీతము లేకపోతే మానవ జీవితము నిస్సారమైపోతుంది.

  • జానపద గీతాలు నేరుగా ప్రజల సంగీతములు. నివాసము, గ్రామము, పట్టణ ప్రజల గీతములు. వీటికి అభ్యాసము చేయవలసిన అవసరము లేదు.
  • అనేక భాషలలో జానపద గీతాలు పాడబడుతున్నాయి. గీతముల విషయము దైనందిన (రోజువారీ) జీవితము నుండి తీసుకొనబడుతుంది.
  • జానపద గీతాలు ఎక్కువగా స్త్రీలే పాడుతారు. ఇవి ప్రభావశాలియైనవి.
  • జానపద గీతాలు శుభసందర్భములో, మానసికోల్లాసము కలిగించే ఉద్దేశ్యముతో పాడబడతాయి.
  • ఆల్హా బారాహ్ మాసా, ఫగుఆ మొదలగు జానపద గీతాలు మిక్కిలి ప్రసిద్ధమైనవి.)

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आ. ‘लोकगीत’ पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
(జానపదగీతాలు పాఠ సారాంశమును మీ సొంత మాటలలో వ్రాయండి.)
उत्तर :
लोकगीत वार्तव में उत्तर भारत में मुख्यतः उत्तर प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ, मध्यप्रदेश, छोटा नागपुर आदि जगहों में, तीज – त्यौहार, शादी आदि के संदर्भों में गाये जाते हैं। इनका महत्व शास्त्रीय संगीत से भिन्न है। लोकगीत सीधे जनता के संगीत हैं। इनके लिए साधना की जरूरत नहीं होती। इनको रचनेवाले भी अधिकतर गाँववाले ही होते हैं। ये गीत बाजों की मदद के बिना ही साधारण ढोलक, करताल, बाँसुरी आदि की मदद से गाए जाते हैं।

एक समय शास्त्रीय संगीत के सामने इन्हें हीन दृष्टि से देखा जाता था परन्तु आजकल लोकगीत का चलन शहरों में भी हो गया है। लोकगीत कई प्रकार के होते हैं। मध्यप्रदेश, दक्कन, छोटा नागपुर में रहनेवाले गोंड, भील जाति के आदिवासी 20-20,30-30 आदमी – औरतों का समूह बनाकर गीत गाते हैं।
लोकगीत कई प्रकार के होते हैं। मध्यप्रदेश, दक्कन, छोटा नागपूर में रहने वाले गोंड, भील जाति के आदिवासी 20-20,30 – 30 आदमी – औरतो का समूह बनाकर गीत गाते हैं।
इनकी भाषा के संबंध में कहा जा चुका है कि ये सभी लोकगीत गाँवों और इलाकों की बोलियों में गाये

जाते हैं।इसी कारण ये बड़े आहलादकर और आनंददायक होते हैं।राग तो इन गीतों के आकर्षक होते ही हैं, इनकी समझी जा सकने वाली भाषा भी इनकी सफलता का कारण है।
ये लोकगीत अपने दैनिक जीवन से लिये जाने वाले मर्मस्पर्शी होते हैं। इनकी भाषा लोकगीतों में गाँवो की बोली में गाया जाता है।
लोकगीत विभिन्न अवसरो में जैसे शादी की रस्म, मटकोड, ज्यौनार के समय, तीज त्यौहारों पर नदियों में पनघट में नहाते समय स्त्रियाँ गाती हैं।
लोकगीतों के विषय अपने दैनिक जीवन से संबंधित होते हैं। जो मार्मिक होते हैं। पीलू, सारंग, दुर्गा, सावन, सोरठ आदि हैं। ये गीत गाँव की बोलियों में गाए जाते हैं।
गाँव और नगरों में गायिकाएँ भी होतीं हैं जो विवाह, जन्म आदि के अवसरों पर गाने के लिए बुला ली जाती है। पूरब की बोलियों मे कोकिल, विद्यापति के गीत गाये जाते हैं।
स्त्रियाँ गीत के साथ ढोलक बजाकर नाचती भी हैं। गुजरात में गरबा गीत गाया जाता है। इसमें नाच – गान साथ – साथ चलता है। इस प्रकार होली पर ब्रज में रसिया चलता है। जिसे सित्रियाँ विशेष तौर पर दल बनाकर गाती हैं।
इस प्रकार गाँव में लोकगीत आनंदमयी वातावरण बना देता है।

(జానపద గీతాలు వాస్తవానికి ఉత్తర భారతంలో ప్రముఖంగా ఉత్తరర్రదేశ్, బీహార్, ఛత్తీస్గఢ్, మధ్యప్రదేశ్, ఛోటా నాగపూర్ మొదలగు ప్రాంతాలలో బతుకమ్ము (తీజ్) పండుగ, వివాహము వంటి సందర్భాలలో పాడబడతాయి. వీటీ గొప్పతనము శాస్త్రీయ సంగీతము కంటే భిన్నమైనది. జానపద గీతాలు నేరుగా ప్రజల సంగీతమునకు చెందినవి. వీటికి సంగీత సాధన అవసరం ఉండదు. వీటిని రచించేవారు కూడా ఎక్కువగా గ్రామీణ ప్రజలే. ఈ పాటలు (గీతాలు) వాయిద్యాల సహాయం లేకుండానే సామాన్య డోలు, కంచు వాద్యము, కంజీర, మురళి వంటి వాది సహాయంతో పాడబడుతున్నాయి.
జానపద గీతాలు గ్రామాలు,ప్రాంతీయ భాషలలో పాడబడతాయి – అని వీటి గురించి చెప్పబడింది. ఈ కారణంగా ఇవి చాలా ఆహ్లాదకరంగాను, ఆనందదాయకంగాను ఉంటాయి. వీటి రాగాలు ఆకర్షణీయంగా ఉండనే ఉంటాయి, వీటి అర్థం చేసుకోగల భాష వీటి సఫలతకు కారణం.

ఒకప్పుడు శాస్త్రీయ సంగీతము ముందు వీటిని తక్కువ భావముతో చూచేవారు. కాని ఈనాడు జానపద గీతాల ఒరవడి పట్టణాలకు కూడా వ్యాపించింది. జానపద గీతాలు అనేక రకములు. మధ్యప్రదేశ్, దక్కన్ ఛోటానాగపూర్ నివసించెడి గోండ్లు, భిల్లు జాతికి చెందిన ఆదివాసులు ఇరవై – ఇరవై, ముప్ఫై – ముప్ఫై మంది పురుషులు – స్త్రీలు సమూహములుగా చేరి పాటలు పాడుతారు.

జానపద గీతాలు విభిన్న (వేరు – వేరు) సందర్భాలో వివాహ ఆచారాలు, బతుకమ్మ పండుగ సమయమందు తీజ్ పండుగప్పుడు నదులు, నీటి రేవులలో స్నానము చేసే స్త్రీలు పాడుతారు.

జానపదగీతాల విషయము తమ దైనందిన జీవితమునకు సంబంధించినది. పీలూ, సారంగ్, దుర్గా, సావన్, సోరఠ్ మొదలుగునవి మిక్కిలి ప్రభావశాలితైనవి. ఈ గీతాలు గ్రామీణ స్వరాలలో పాడబడతాయి. గ్రామాలు, పట్టణాల్లో గాయనులు కూడా ఉంటారు. వివాహ పుట్టినరోజు సందర్భాలప్పుడు పాడటానికి పిలిపించుకోబడతారు. తూర్పు భాషలలో కోకిల్, విద్యాపతి గీతాలు పాడబడతాయి.

స్త్రీలు డోలు (డోలక్) సహాయంతో పాడుతారు. వారు పాటలతోపాటు నాట్యము కూడా చేస్తారు. ప్రత్యేక పద్ధతిలో గుండ్రంగా తిరుగుతూ స్త్రీలు పాటలు పాడే “గర్ బా” అనే సమూహ గానము గుజరాత్ ది. ఇదే విధముగా హోలీ సందర్భంగా ఈ విధంగా బ్రజ్ (రేపల్లే) లో రసయా జరుగుతుంది. దీనిని సమూహ ప్రజలందరూ ప్రత్యేకించి స్త్రీలు పాడుతారు. గ్రామీణ గీతాలు ఆనందమయమైన వాతావరణాన్ని నెలకొల్పుతున్నాయి.)

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इ. अपने मनपसंद विषय पर एक निबंध लिखिए।
(మీ మనస్సుకు నచ్చిన విషయం మీద ఒక వ్యాసం వ్రాయండి.)
उत्तर :
किसी भी जांति का सांस्कृतिक विकास क्रम में उस जाति के पर्व (त्यौहारों) का बहुत बड़ा हाथ रहता है। मनुष्य के सामाजिक व पारिवारिक दैनंदिन जीवन में एकरूपता के कारण सांस्कृतिक चेतना के कुंठित होने की जो संभावना है, उसे रोकने के लिए उसके जीवन में कुछ परिवर्तन अवश्य भावी हैं। सांस्कृतिक चेतना में नयी स्फूर्ति व सजगता लाने के उद्देश्य से समाज में पर्व – त्यौहारों का आयोजन हुआ है, यह मानना उचित ही है।

आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाणा के निवासी नववर्षारंभ के दिन को उगादि कहते हैं। “उगादि” शब्द की उत्पत्ति क्या है तथा नववर्षारंभ के दिन को यह नाम कैसे पड़ा है ? – इसका समाधान देना मुश्किल है। यह तो मानी हुई बात है कि बहुत पुराने ज़माने से यह आन्ध्रा और तेलंगाणा वासियों का प्रमुख व विशिष्ट पर्वदिन रहा है। शायद यह ” युगादि” शब्द का अपभ्रंश रूप हो सकता है। उगादि – पर्व आन्ध्र और तेलंगाणा जनता के जीवन में बड़ा ही महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

आन्ध्रा और तेलंगाणा वासियों का नववर्ष चैत्र प्रतिपदा से प्रारंभ होता है तथा फाल्गुन कृष्ण अमावास्या को समाप्त होता है। लोग इस उगादि पर्वदिन को अतिपवित्र मानते हैं। उस दिन घर के सब लोग मुँह अंधेरे जाग पड़ते हैं। तेल व उबटन लगाकर गरम पानी से अभ्यंग – स्रान करते हैं। नियमित रूप से उस दिन परिवार के सब लोग नये कपड़े पहनते हैं। पूजा – पाठ आदि के बाद सब लोग नीम के फूलों की चटनी चखते हैं। इस पर्वभोग में छहों रसों का एक विचित्र सम्मिश्रण होता है, जिसे खाना उगादि पर्व का पहला व प्रमुख रसम है। शाम को सी – पुरुष बाल – बच्चों के साथ मंदिरों में जाकर पूजा – पाठ आदि करते हैं। उसके बाद नये साल के पंचांग का उद्धाटन सभारंभ सम्पन्न होता है। उगादि पर्वदिन का दूसरा प्रमुख रस्म नये पंचांग का श्रवण है।

लोग सुख – समृद्धि के मधुर स्वप्न देखते उगादि की रात बिताते हैं। इस तरह तेलुगु जनता के संस्कृति का प्रमुख पर्व उगादि का शुभ दिन देखते – देखते बीत जाता है।

(ఏదేని జాతియొక్క సాంస్కృతిక వికాస క్రమంలో ఆ జాతియొక్క పండుగలు ప్రధాన పాత్త పోషస్తాయి. మానవుల సామాజిక దైనందిన జీవనంలో సారూప్యత కారణంగా సాంస్కృతిక చైతన్యం మొద్దుబారే అవకాశముంది. దానిని నిరోధించడానికి వారి జీవనంలో కొంతమార్పు ఆవశ్యకం. సాంస్క్రతితి చైతన్యంలో నూతన స్భూర్తిని నింపే ఉద్దేశ్యంతో సమాజంలో పండుగలను ప్రవేశపెట్టానడం సముచితమే.

తెలంగాణ, అంరర్రదేశ్ రాష్ట్రాల్లో నివసించే ప్రజల నూతన సంవత్సర ఆరంభ దినాన్ని ‘ఉగాది’ అంటారు. ,ఉగాది’ శబ్దం ఎలా పుట్టింది మరియు నూతన సంవత్సర ఆరంభ దినానికీ ఈ పేరు ఎలా వచ్చింది అనే ప్రశ్నలకు సమాధానాలివ్వడం కష్ట్రం ప్రాచీన కాలం నుండి ఇవి తెలంగాణ ప్రజలకు మరియు ఆంధ్రులకు ప్రముఖమైన మరియు విశిప్టమైన పండుగ అని చెప్పబడుతోంది. బహుశా ఇది ‘యుగాది’ శబ్దానికి అపభ్రంశ రూపం అయి ఉంటుంది. ఉగాది పర్వదినానికి తెలంగాణ మరియు ఆంధ్రప్రదేశ్ ప్రజల జీవనంలో ఎంతో గాప్పస్థానం ఉంది.

తెలంగాణ మరియు ఆంధ్ర ప్రజల కొత్త సంవత్సర చైత్రశుద్ధ పాడ్యమి నుండి ప్రారంభమవుతుంది మరియు ఫాల్గు కృష్ణపక్ష అమావాస్యతో అంతమవుతుంది. తెలుగు ర్ధాష్ట్రాల ప్రజలు ఈ ఉగాది పర్వదినాన్ని అత్యంత పవిత్రంగా భావిస్తారు. ఆ రోజున కుటుంబ సభ్యులందరు తెల్లవారు జామునే నిద్రలేచి, నూనెతో తలంటుకొని, వేడి నీటితో అభ్యంగ స్నానం చేస్తారు. కొత్త బట్టలు ధరిస్తారు. పూజా కార్యక్రమాల అనంతరం అందరు వేపపువ్వు పచ్చడి ఆరగిస్తారు. ఈ పచ్చడి షడ్రుచుల (ఆరు రుచుల) సమ్మిశ్రితంగా ఉంటుంది. ఉగాది పండుగనాడు ఈ పచ్చడి తినడం సాంప్రదాయంగా వస్తోంది.

సాయంత్రం స్త్రీ, పురుషులు, పిల్లలతో పాటు దేవాలయాలకు వెళ్ళి పూజలు నిర్వహిస్తారు. అనంతరం కొత్త సంవత్సర పంచాంగ విశేషాలను వింటారు. పంచాంగ శ్రవణం చేయడం ఉగాది పర్వదినం నాటి మరొక సాంప్రదాయం. ప్రజలు సుఖసమృద్ధులను ఆశిస్తూ తీయని కలలు కంటూ ఉగాది రాత్రిని గడుపుతారు. ఈ విధంగా తెలుగు (ప్రజల (ప్రధాన పండుగ ఉగాది శుభదినం ఇట్టే గడిచిపోతుంది.)

TS 10th Class Hindi Guide 5th Lesson लोकगीत

ई. लोकगीतों में मुख्यतः ग्रामीण जनता की भावनाएँ हैं। अपने शब्दों में लिखिए।
(జానపద గీతాలలో ముఖ్య రూపంగా గ్రామీణ ప్రజల భావనలు ఉన్నాయి. మీ సొంత మాటలలో వ్రాయండి .)
उत्तर :
लोकगीतों में मुख्यतः गाँवों के लोगों की सरल हृद्यी, मार्मिक भावनाएँ, हमारे हृदय को छूती है। क्योंकि वहाँ प्रान्तीय बोली में ये गाये जाते हैं जो उनके दैनिक जीवन से संबंधित हैं। इसके लिए विशेष राग या संगीत आदि की आवश्यकता नहीं होती। साधारण ढोलक, करताल, सारंग के माध्यम से खासकर स्त्रियाँ सामूहिक रूप से गान करती हैं। विशेष तीज – त्योहारों, विभिन्न रस्मों – रिवाजों के वक्त ये गीत गाकर आनंद उठाते हैं।

(జానపద గీతాలలో ముఖ్యరూపంగా గ్రామీణ ప్రజల నిర్మల హృదయపు ప్రభావశాలితైన భావములు, మన మనస్సుకు హత్తుకుపోతాయి. ఎందుకంటే అక్కడి ప్రాంతీయ భాషలో ఇవి పాడబడతాయి. ఇవి వారి దైనందిన జీవితమునకు సంబంధించినవి. ఇందుకోసము విశేష రాగము, సంగీతము డొక్క అవసరమే ఉండదు. సామాన్య డోలుతో చప్పట్ల, సారంగము ద్వారా ప్రధానముగా స్త్రీలు సామూహికంగా పాడతారు. విశేష బతుకమ్మ పండుగలు, వివిధ ఆచార – సాంప్రదాయాలప్పుడు ఈ పాటలు పాడి ఆనందము అనుభవిస్తారు.)

भाषा की बात (భాషా విషయము) :

अ. कोष्ठक में दी गयी सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
(బ్రాకెట్టులో ఇచ్చిన సూచన చదవండి, దాని ప్రకారము వ్రాయండి.)

1. साधना, त्यौहार, देहात (पर्याय शब्द लिखिए।) (పర్యాయపదములు వ్రాయండి.)
उत्तर :

  • साधना (అభ్యాసము) – अभ्यास, सिद्धि
  • त्यौहार (పండుగ) – पर्व, उत्सव
  • देहात (గ్రామము) – गाँव, ग्राम

2. सजीव, परदेशी, शास्त्रीय (विलोम शब्द लिखिए।) (వ్యతిరేక పదములు వ్రాయండి.)
उत्तर :

  • सजीव (సజీవం) × निर्जीव
  • परदेशी (పరదేశీ) × स्वदेशी
  • शास्त्रीय (శాస్త్రీయమైన) × आधुनिक या पश्चिमी

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आ. सूचना पढ़िए और उसके अनुसार कीजिए।
(సూచన చదవండి. దాని ప్రకారం చేయండి.)

1. गायक, कवि, लेखक (लिंग बदलिए।) (లింగము మార్చండి)
उत्तर :

  • गायक – गायिका
  • कवि – कवयित्री
  • लेखक – लेखिका

2. धर्म, मास, दिन, उत्साह (“इक” प्रत्यय जोड़कर लिखिए।) (‘ఇక్’ ప్రత్యయము చేర్చి వ్రాయండి.)
उत्तर :

  • धर्म : धार्मिक
  • मास : मासिक
  • दिन : दैनिक
  • उत्साह : औत्साहिक

इ. इन्हें समझिए और अंतर स्पष्ट कीजिए।
(వీటిని తెలుసుకోండి, తేడాను స్పష్టం చేయండి.)
1. उपेक्षा – अपेक्षा
3. बहार – बाहर
2. कृतज्ञ – कृतघ्न
4. दावत – दवात
उत्तर :
TS 10th Class Hindi Guide 5th Lesson लोकगीत 1

TS 10th Class Hindi Guide 5th Lesson लोकगीत

ई. नीचे दिया गया उदाहरण समझिए। उसके अनुसार दिये गये वाक्य बदलिए।
(క్రింద ఇచ్చిన ఉదాహరణను తెలుసుకోండి. దాని ఆధారముగా ఇచ్చిన వాక్యములు మార్చండి.)TS 10th Class Hindi Guide 5th Lesson लोकगीत 4
ऊपर के उदाहरणों में कर्म वाच्य वाक्य हैं। इनके आधार पर पाठ में आये कर्त्तवाच्य, कर्म वाच्य वाक्य पहचानिए और उन्हें ऊपर तालिका में दिए गये उदाहरणों के अनुसार बदलिए।
(పై ఉదాహరణలలో కర్మణి వాక్యాలు ఉన్నాయి. వీటి ఆధారంగా పాఠంలో వచ్చిన కర్తరివాక్యం, కర్మణివాక్యం గుర్తించండి. మరియు వాటిని పై పట్టికలో ఇవ్వబడిన ఉదాహరణలను అనుసరించి మార్చండి.)
उत्तर :
TS 10th Class Hindi Guide 5th Lesson लोकगीत 5

परियोजना कार्य (నిర్మాణాత్మక పని/ప్రాజెక్ట్ పని) :

किसी एक लोकगीत का संकलन कीजिए।
(ఏదైనా ఒక జానపద గీతాన్ని సంకలనం చేయండి.)
उत्तर :
बतुकम्मा – बतुकम्मा झूला यह,
दहकने की जगह झूला यह।
फूलों की दादा की झूला यह,
वाग में 96 झूला यह।
किवाडों की चावी की झूला यह,
चाँदी के कीलों का झूला यह।
कुएँ में लटका झूला यह,
सोने में चमका झूला यह।
धर्मपुरी नरसिंहा का झूला यह,
फूलों से सजा झूला यह।
खेल, खेले रे झूला यह,
गानेवालों का झूला यह।

दहकने लगी झूला यह,
फूलों से सजी झूला यह।
वागो में रहती झूला यह,
किवाडों की चावी की झूला यह।
चाँदी के कीलों की झूला यह,
बतुकम्मा माँ की झूला यह।
राम सेना की झूला यह,
फूलों से सजा झूला यह।
मुठ्ठी से पकडे झूला यह,
ऐश्वर्य देती झूला यह।
धन – धान से भरती झूला यह।।

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उद्देश्य (ఉద్దేశ్యము) :

(వ్యాస పద్ధతిని పరిచయం చేస్తూ వ్యాసం రాసే ప్రేరణను ఇవ్వటం. జానపదగీతాల రచనకు ప్రేరణ కలిగించుట ఈ పాఠం ఉద్దేశం.)

विधा विशेष (విభాగ-విశేషణము) :

(“జానపద గీతాలు” వ్యాస పాఠము. ‘నిబంధ్’ యొక్క అర్థము “కట్టి వేయుట” చక్కటి మరియు సరియైన పదముల ద్వారా భావ మ్యక్తీకరణ చేయుటయే వ్యాసము.)

लेखक़ परिचय (రచయిత పరిచయము) :

భగవత్ శరణ్ ఉపాధ్యాయ్ హిందీ సాహిత్యంలో సుపరిచితులైన రచయిత. వీరు 1910 లో జన్మించారు. వీరు కథ, కవిత, విశిష్ట సందర్థవర్ణన, వ్యాసము, బాలసాహిత్య రచనలో తనదైన ప్రత్యేక స్థానాన్ని కలిగిఉన్నారు. విస్వ సాహిత్య్ కీ రూప్ రేఖా కైలిదాస్ కి భారత్ రూంఠా ఆమ్, గంగా – గోదావరి మొదలగునవి వీర ప్రసిద్ధ రచచసలు.

विषय प्रवेश (విషయ ప్రవేశము) :

(మన సంస్కృతి (నాగరికత)లో జానపద గీతాలకు, సంగీతానికి విడదీయరాని సంబంధమున్నది. మనోహ్లాద ప్రపంచములో నేడు కూడా జానపద గీతాలకు గొప్ప స్థానము ఉన్నది. గీతములు – సంగీతము లేకపోతే మన మనస్సు నిరుత్సాహమైపోతుంది. ఈ వ్యాసములో భారతీయ జానపదగీతాల వర్ణన చాలా చక్కటి పద్ధతిలో వర్ణించబడినది.)

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व्याकरणांश (వ్యాకరణాంశాలు)

उपसर्ग :

  • लोकप्रियता – लोक
  • सजीव – स
  • अटूट – अ
  • प्रस्तुत – प्र
  • निबंध – नि
  • प्रसिद्ध – प्र
  • आदिवासी – आदि
  • नीरस – नी
  • रूपरेखा – रूप
  • सुपरिचित – सु
  • विशेष – वि
  • जनगीत – जन
  • परिवर्तन – परि
  • अनुसार – अनु
  • सर्वांगीण – सर्व

प्रत्यय :

  • शास्त्रीय – ईयं
  • आहलादकर – कर
  • साधारणतः – तः
  • उल्लासित – इत
  • ओजस्वी – स्वी
  • अधिकतर – तर
  • आनंददायक – दायक
  • विद्यापति – पति
  • महत्वपूर्ण – पूर्ण
  • प्रकाशित – इत
  • विशेषत: – तः
  • लोकप्रिय – प्रिय
  • संस्कृति – इ

संधि :

  • यद्यपि = यदि + अपि
  • मनोरंजन = मन + रंजन
  • नीरस = निर् + रस
  • संग्रह = सम् + ग्रह

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समास :

  • नाच – गान = नाच और गान
  • गोंड – खांड = गोंड का खांड जिस स्थान पर गोंड निवास करते हैं वह
  • भील – संथाल = भील और संथाल
  • एक – दूसरां = एक और दूसरा
  • मैथिल – कोकिल = मैथिला की कोकिल
  • लोकप्रिय = लोक में प्रिय
  • विद्यापति = विद्या का पति

वचन :

  • स्त्री – स्त्रियाँ
  • बोली – बोलियाँ
  • दिशा – दिशाएँ
  • देश – देश
  • मर्द – मर्द
  • कमी – कमियाँ
  • नज़र – नजरें
  • बड़ा – बड़े
  • गीत – गीत
  • ऋतु – त
  • ॠँ अकेला – अकेले
  • सीधा – सीधे
  • बाँसुरी – बाँसुरियाँ
  • औरत – औरतें
  • दृष्टि – दृष्टियाँ
  • नारी – नारियाँ
  • गाँव – गाँव
  • आदमी – आदमी

मुहावरा :

कमर बाँधना = काम करने का पक्का इरादा करना

लिंग :

  • मर्द – औरत
  • कवि – कवयित्री
  • पुरुष – स्त्री
  • आदमी – औरत
  • गायक – गायिका

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विलोम शब्द :

  • सजीव × निर्जीव
  • शास्त्रीय × अशास्त्रीय
  • साथ × पृथक, अलग
  • विशेष × आम
  • परदेशी × स्वदेशी
  • साधांरण × विशिष्ट
  • जन्म × मृत्यु

पर्यायवाची शब्द :

  • साधना – उपासना, आराधना, सिद्धि, पूजा
  • त्यौहार – पर्व, उत्सव
  • देहात – गाँव, ग्राम, खेड़ा
  • विशेष – खास, मुख्य
  • तौर – तरीका, प्रकार, तरह
  • वास्तव – यथार्थ, सत्य, हकीकत
  • प्रतीक – चिह्न, निशान

शब्दार्थ (శబ్దార్ధములు) Meanings :

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