AP Inter 2nd Year Hindi Grammar समास

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Intermediate 2nd Year Hindi Grammar समास Questions and Answers.

AP Intermediate 2nd Year Hindi Grammar समास

समास शब्द का अर्थ है – ‘संक्षेप’ अर्थात् ‘छोटा करना’ ।

जैसे – ‘कमल के समान नयन’ या ‘कमल रूपी नयन’, इसे हम ‘कमलनयन’ भी कह सकते हैं।

परिभाषा : अर्थ में बिना परिवर्तन किये दो या अधिक परस्पर शब्दों को मिलाकर एक शब्द में संक्षिप्त कर देने की विधि ‘समास’ कहलाती है ।

सामासिक पद (समस्त पद): समास से बननेवाले शब्द को सामासिक शब्द या सामासिक पद कहते हैं । जैसे – कमलनयन

समास विग्रह : सामासिक शब्दों में विभक्ति लगाकर उन्हें अलग – अलग लिखने को विग्रह कहते हैं। जैसे – कमलनयन का विग्रह हआ – कमल के समान नयन ।

पूर्वपद : (पहला खंड) और उत्तरपद (दूसरा खंड) :
समास में दो पद या शब्द (खंड) होते हैं । जैसे – कमल के समान . नयन । इसमें कमल पूर्वपद और नयन उत्तर पद है।
समास के भेद :
समास के छः भेद होते हैं –

  1. अव्यययीभाव समास
  2. तत्पुरुष समास
  3. कर्मधारय समास
  4. द्विगु समास
  5. द्वंद्व समास
  6. बहुव्रीहि समास

उपर्युक्त छ: मेदों में से कर्मधारय समास तथा द्विगु समास तत्पुरुष समास के उपभेद हैं । समास की प्रधानता को इस प्रकार जान सकते हैं

  1. जिस समास में पूर्वपद प्रधान होता है वह ‘अव्ययीभाव समास है ।
  2. जिस समास में उत्तर पद प्रधान होता है वह ‘तत्पुरुष’ समास है ।
  3. जिस समास में दो पद प्रधान होते हैं वह ‘द्वंद्व’ समास है ।
  4. जिस समास में दोनों पद प्रधान नहीं होते अपितु अन्य पद प्रधान होता है वह ‘बहुव्रीहि समास है ।

AP Inter 2nd Year Hindi Grammar समास

1. अव्ययीभाव समास :
जिस समास में पहला पद प्रधान होता है तथा वह अव्यय भी होता है, वह अव्ययीभाव समास होता है । जैसे – हर दिन (दिन – दिन) यथाशक्ति (शक्ति के अनुसार) इसमें ‘हर’ और ‘यथा’ अव्यय हैं ।

अव्यय वह शब्द होते हैं जिनके रूप में वचन, लिंग आदि के कारण कोई विकार नहीं होता।
अव्ययीभाव समास के कुछ उदाहरण –
समास या सामासिक पद = समास विग्रह
आजन्म = जन्म – भर
आमरण = मृत्यु तक
यथासंभव = संभावना के अनुसार
रातों रात = रात ही रात में
हाथों हाथ = हाथ ही हाथ
हर पल = पल – पल

2. तत्पुरुष समास :
जिस समास का दूसरा पद प्रधान हो और पहला पद गौण हो, तथा कारक चिह्न का लोप हो उसे तत्पुरुष समास कहते हैं।
जैसे – राज – पुरुष = राजा का पुरूष ।
ऋण – मुक्त = ऋण से मुक्त । विग्रह में जो कारक प्रकट हो उसी कारकवाला तत्पुरूष समास होता है । विभक्तियों के नाम के अनुसार इसके छ: भेद हैं –
कर्ता तत्पुरुष – इसी का दूसरा नाम कर्मधारय तत्पुरुष है । इसका वर्णन आगे कर्मधारय तत्पुरुष में आएगा ।

  1. कर्म तत्पुरुष = (को) पुरस्कार प्राप्त (पुरस्कार को प्राप्त)
  2. करण तत्पुरुष = (से, के द्वारा) तुनसीकृत (तुलसी द्वारा कृत)
  3. संप्रदान तत्पुरुष = (के लिए) देश – भक्ति (देश के लिए भक्ति)
  4. अपादान तत्पुरुष = (से) रोग – मुक्त (रोग से मुक्त)
  5. संबंध तत्पुरुष = (का, के, की) लक्ष्मी – पति (लक्ष्मी का पति)
  6. अधिकरण तत्पुरुष = (में, पर) नगरवास (नगर में वास)

नत्र तत्पुरुष समास : यह तत्पुरुष समास का एक उपभेद है । इसमें पहला पद निषेधात्मक होता है । जैसे –
सामासिक पद = समास विग्रह
अधर्म = न धर्म
अन्याय = न न्याय
आहित = न हित
अपूर्ण = न पूर्ण

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3. कर्मधारय समास :
कर्मधारय को तत्पुरुष का ही एक भेद (उपभेद) माना जाता है और इसे समानाधिकरण तत्पुरुष भी कहते हैं । इसमें विशेषण – विशेष्य या उपमान – उपमेय शब्दों में समाम होता है –

सामासिक पद = समास विग्रह
पीतांबर = पीला कपड़ा
महाराज = महान राजा
चरण – कमल = चरण रुपी कमल
घनश्याम = घन के समान श्याम

4. द्विगु समास :
द्विगु समास भी तत्पुरुष समास का एक उपभेद है । जिस समास का पहला (खंड) पद संख्यावाचक होता है तथा शब्द समूहवाचक बन जाता है । उसे द्विगु समास कहते हैं ।

सामासिक पद = समास विग्रह
नवरात्र = नौ रात्रियों का समूह
पंचतत्व = पाँच तत्वों का समूह
त्रिभुवन = तीन भुवनों (लोकों) का समूह

5. द्वंद्व समास:
द्वंद्व का अर्थ है दो वस्तुओं का युग्म । अर्थात् जोड़ा । युग्म (जोड़) में दोनों पक्ष अर्थात् दोनों पद प्रधान होते हैं।
जिस समास के दोनों पद प्रधान होते हैं तथा विग्रह करने पर ‘और’ अथवा या एवं लगता है, उसे द्वंद्व समास कहते हैं । जैसे –

सामासिक पद = समास विग्रह
माता – पिता = माता और पिता
दिन – रात = दिन और रात
ऊँचा – नीचा = ऊँचा और नीचा
थोड़ा – बहुत = थोड़ा या बहुत
धर्माधर्म = धर्मा अथवा अधर्म

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6. बहुव्रीहि समास : जिसमें दोनों पद प्रधान न हों बल्कि सामासिक शब्द किसी और एक (अन्य) शब्द का वाचक हो, उसे बहवीह समास कहते हैं । जैसे – चतुर्मुख यहाँ ‘चार’ और ‘मुख’ प्रधान नहीं है बल्कि सामासिक पद ‘ब्रह्मा’ का वाचक है । इसके कुछ उदाहरण

सामासिक पद – समास विग्रह
त्रिनेत्र = तीन हैं नेत्र जिसके अर्थात् शिव
दशानन = दस हैं आनन (मुख) जिसके अर्थात् रावण
चक्रधर = चक्र को धारण करनेवाला अर्थात्

विष्णु कर्मधारय और बहुव्रीहि समास में अंतर :
कर्मधारय – इसमें सामासिक पद का एक दूसरे का विशेषण होता है, . इसमें शब्दार्थ प्रधान होता है। जैसे – पीताम्बर = पीला कपड़ा

बहुव्रीहि – इसमें समस्त पद के दोनों में विशेषण – विशेष्य का संबंध नहीं होता अपितु वह समस्त पद किसी अन्य संज्ञाओं का विशेषण होता है । इसके साथ ही शब्दार्थ गौण होता है और कोई भिन्नार्थ ही प्रधान होता है । जैसे –
पीतांबर = पीत है अंबर जिसका या पीले कपड़ेवाला – कृष्ण ।

अभ्यास

इसमें सामासिक पद तथा समास का नाम भी दिया गया है।

प्रश्न 1.
यथाशक्ति
उत्तर:
अव्ययीभाव समास (विग्रहवाक्य : शक्ति के अनुसार)

प्रश्न 2.
आजीवन
उत्तर:
अव्ययीभाव समास (विग्रहवाक्य : जीवन भर)

प्रश्न 3.
हर रोज
उत्तर:
अव्ययीभाव समास (विग्रहवाक्य : रोज – रोज)

प्रश्न 4.
कानों-कान
उत्तर:
अव्ययीभाव समास (विग्रहवाक्य : कान ही कान में)

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प्रश्न 5.
सीता पति
उत्तर:
तत्पुरुष समास . (विग्रहवाक्य : सीता का पति)

प्रश्न 6.
जयचंद्रकृत
उत्तर:
तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : जयचंद्र से कृत)

प्रश्न 7.
रसोईघर
उत्तर:
तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : रसोई के लिए घर)

प्रश्न 8.
पवन पुत्र
उत्तर:
तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : पवन का पुत्र)

प्रश्न 9.
सुख प्राप्त
उत्तर:
तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : सुख को प्राप्त करनेवाला)

प्रश्न 10.
कवि श्रेष्ठ
उत्तर:
तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : कवियों में श्रेष्ठ)

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प्रश्न 11.
असंभव
उत्तर:
नत्र तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : जो संभव न हो)

प्रश्न 12.
अनाचार .
उत्तर:
नत्र तत्पुरुष समास (विग्रहवाक्य : न आचार)

प्रश्न 13.
वायुवेग
उत्तर:
कर्मधारय समास (विग्रहवाक्य : पवन की भांति तेज)

प्रश्न 14.
दीनदयालु
उत्तर:
कर्मधारय समास (विग्रहवाक्य : दीनों पर दयालु) ।

प्रश्न 15.
मृगनयन
उत्तर:
कर्मधारय समास (विग्रहवाक्य : मृग के समान नयन)

प्रश्न 16.
गुरुदेव
उत्तर:
कर्मधारय समास (विग्रहवाक्य : गुरु रूपी देव)

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प्रश्न 17.
त्रिवेणी
उत्तर:
द्विगु समास (विग्रहवाक्य : तीन नदियों का समाहार)

प्रश्न 18.
नव रत्न
उत्तर:
द्विगु समास . (विग्रहवाक्य : नौ रत्नों का समाहार)

प्रश्न 19.
दशानन
उत्तर:
द्विगु समास (विग्रहवाक्य : जिसके दस आनन (मुख) हो)

प्रश्न 20.
चौमासा
उत्तर:
द्विगु समास – (विग्रहवाक्य : चार मासों का समूह)

प्रश्न 21.
पाप – पुण्य
उत्तर:
द्वंद्व समास (विग्रहवाक्य : पाप और पुण्य)

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प्रश्न 22.
दाल – रोटी
उत्तर:
द्वंद्व समास (विग्रहवाक्य : दाल और रोटी)

प्रश्न 23.
बीस – पच्चीस
उत्तर:
द्वंद्व समास .. (विग्रहवाक्य : बीस या पच्चीस).

प्रश्न 24.
थोड़ा – बहुत
उत्तर:
द्वंद्व समास (विग्रहवाक्य : थोडा या बहुत)

प्रश्न 25.
राजा – रंक
उत्तर:
द्वंद्व समास (विग्रहवाक्य : राजा और रंक)

प्रश्न 26.
लम्बोदर
उत्तर:
बहुव्रीहि समास (विग्रहवाक्य : जिसका उदर लम्बा हो)

प्रश्न 27.
इंद्रजीत
उत्तर:
बहुव्रीहि समास (विग्रहवाक्य : इन्द्र को जीत लिया है जिसने)

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प्रश्न 28.
हलधर
उत्तर:
बहुव्रीहि समास (विग्रहवाक्य : हल को धारण करनेवाला)

प्रश्न 29.
बजरंगी
उत्तर:
बहुव्रीहि समास (विग्रहवाक्य : बलशाली (या) जनेऊ धारण करनेवाला)

प्रश्न 30.
पंकज
उत्तर:
बहुव्रीहि समास (विग्रहवाक्य : पंक मे जन्म लेनेवाला)

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