AP Inter 2nd Year Hindi Grammar सार लेखन या संक्षेपीकरण

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 2nd Year Hindi Study Material Intermediate 2nd Year Hindi Grammar सार लेखन या संक्षेपीकरण Questions and Answers.

AP Intermediate 2nd Year Hindi Grammar सार लेखन या संक्षेपीकरण

निम्नलिखित गद्यांशों का एक तिहाई में सार लेखन प्रस्तुत कीजिए ।

प्रश्न 1.
वर्तमान – काल विज्ञापन का जुग माना जाता है। समाचार – पत्रों के अतिरिक्त रेडियो और टेलीविजन भी विज्ञापन के सफल साधन हैं । विज्ञापन का मूल उद्देश्य उत्पादक और उपभोक्ता में सीधा संपर्क स्थापित करना होता है । जितना अधिक विज्ञापन किसी पदार्थ का होगा, उतनी ही उसकी लोकप्रियता बढ़ेगी । इन विज्ञापनों पर धन तो अधिक व्यय होता है, पर इनसे बिक्री बढ़ जाती है । ग्राहक जब इन आकर्षक विज्ञापनों को देखता है, तो वह उस वस्तुविशेष के प्रति आकृष्ट होकर उसे खरीदने को बाध्य हो जाता है।
उत्तर:
विज्ञापन से लाभ
यह विज्ञापन का युग है । समाचार-पत्र, रेडियो, टेलिविजन विज्ञापन के मुख्य साधन हैं । विज्ञापन का मुख्य उद्देश्य है उत्पादन को उपभोक्ता से जोडन । विज्ञापन उत्पादन की लोकप्रियता बडाता है । विज्ञापन से ग्राहक आकर्षित होता है । उत्पादन को अधिक संख्या में खरीदता है।

AP Inter 2nd Year Hindi Grammar सार लेखन या संक्षेपीकरण

प्रश्न 2.
वैदिक काल से हिमालय के पहाड़ बहुत पवित्र माने जाते हैं । इसमें कोई संदेह नहीं कि हिमालय के पहाड़ों का दृश्य अति सुंदर है। उनकी विशालता को देखकर मन में आनंद और कृतज्ञता की लहर उठती है । ऐसा लगता है कि यह विशाल सृष्टि कैसी अनुपम देन है। सारी सृष्टि के प्रति समभाव जागृत होता है । वस्तुतः यह दृष्टि कोरी कल्पनात्मक या आध्यात्मिक नहीं है । देखा जाए तो सारे भारत की जलवायु का समतौल करने वाले यह हिमालय श्रृंग हैं, विशेषकर उत्तरी भारत को वर्षा और पानी देने वाले यही हैं । गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्री, केदार को तीर्थ माना जाता है, जो व्यर्थ कल्पना नहीं है। उन स्थानों से निकलने वाली पवित्र नदियाँ ही वास्तव में
प्राणदायिनी रही हैं।
उत्तर:
हिमालय की गरिमा
वैदिक काल से हिमालय पर्वत पवित्र, सुंदर एवं विशाल हैं। इन्हें देख कर आनंद होता है । मानो विशाल सृष्टि की अनुपम देन है । यह समानता का प्रतीक है । यह उत्तर भारत को वर्षा देनेवाली प्राणदायिनी है । गंगा, यमुना, सरस्वती का जन्मस्थान हिमालय ही है, ये निदियाँ पुण्य तीर्थ है।

प्रश्न 3.
मनुष्य के लिए प्रतिभा नहीं, उद्देश्य आवश्यक है । विश्वास करिए, आँख मींच कर फेंका हुआ तीर अपना लक्ष्य नहीं बेध सकता, अंधे होकर भागने से मार्ग नहीं कट सकता, आँख मूंद कर बेमौसम बीज फेंकनेवाला किसान कभी सफल नहीं होता। भला आप उस व्यक्ति के बारे में क्या सोचेंगे जो गाड़ी में सवार होने के लिए स्टेशन पर पहुंचा हुआ है, पर जिसे यह नहीं मालूम कि उसे कहाँ जाना है। हम सब भी विश्व के रंगमंच पर आए हुए हैं। जीवन की नौका को संसार में खेने से पूर्व हमें जान लेना चाहिए कि हमें जाना कहाँ है । अतः हम अपनी इन बंद आँखों को खोल लें, उद्देश्य बनाएँ और चल पढ़ें । जिस नायिक ने लक्ष्य स्थिर नहीं किया उसके अनुकूल हवा कभी नहीं चलेगी तुम शव नहीं हो कि संसार – सागर की लहरें जिस किनारे चाहें तुम्हें पटक दें, परिस्थितियाँ जिधर चाहें ले चलें । भाग्य के नाम पर तुमको प्रवाह में बहना नहीं है अपितु प्रवाह का रुख बदलना है।
उत्तर:
मानव जीवन का उद्देश्य
मनुष्य के विषय में प्रतिभा की तुलना उद्देश्य अहं है । बिना उद्देश्य के चलनेवाले का रास्ता कठिन बन जाता है । जीवन के आरंभ से ही उद्देश्य तथा लक्ष्य को निर्धारित करना है । उद्देश्य को तय करने से भाग्य के प्रभाव को भी बदला जा सकता है।

AP Inter 2nd Year Hindi Grammar सार लेखन या संक्षेपीकरण

प्रश्न 4.
अहिंसा परम – धर्म है और हिंसा आपद् – धर्म । मनुष्य अहिंसा की ओर चलना चाहता है, किंतु परिस्थितियाँ उससे हिंसा कराती हैं, अर्थात् परम् धर्म की रक्षा के लिए आदमी बराबर आपद् – धर्म से काम लेता रहा है । भारत अपनी सेनाओं को विघटित कर दे, तब भी उसका अपमान उससे अधिक होनेवाला नहीं, जितना नेफा में हुआ । किंतु परम – धर्म पर टिकने का सामर्थ्य भारत में नहीं है, तो आपद् – धर्म पर उसे आना ही चाहिए । व्यावहारतः आपद् – धर्म का विरोधी नहीं, उसका रक्षक है।
उत्तर:
अहिंसा परमो धर्म
मनुष्य अहिंसा मार्ग पर चलते हुए भी परिस्थितियों के अनुरूप हिंसा से काम लेता आ रहा है । ऐसी ही स्थिति भारत की सेना की भी है । परमधर्म आपद्धर्मका विरोधी नहीं उसका रक्षक है ।

Leave a Comment