AP Inter 1st Year Hindi Study Material Poem 5 भिक्षुक

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 1st Year Hindi Study Material पद्य भाग 5th Poem भिक्षुक Textbook Questions and Answers, Summary.

AP Inter 1st Year Hindi Study Material 5th Poem भिक्षुक

सारांश

प्रश्न 1.
“भिक्षक” कविता का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
एक भिखारी की दयनीय स्थिति का वर्णन करते हुए निराला जी कह रहे हैं कि एक भिखारी टूटे हुए हृदय से अपनी दयनीय स्थिति पर पछताता हुआ उस पथ पर आ रहा है । उसका पेट और पीठ दोनों मिले हुए दिखाई पड़ रहे हैं । अर्थात भूख के कारण उसका पेट पीछे चला जाकर पीठ से मिल गया जैसा दिखाई पड रहा है । उसने चलने के लिए भी शक्ति नही है । इसलिए हाथ में डंडा लेकर धीरे-धीरे अपनी भूख मिटाने एक मुट्ठी भर अन्न के लिए फटे हुआ होल को मुँह फैलाता है । उसके साथ दो बच्चे भी हाथ फैलाकर चल रहे हैं । वे अपने बाँए हाथ से भूखे पेट को मल रहे है और दाहिनी हाथ से दया की भीख माँग रहे हैं । भूख के कारण उनके ओठ सूखे जा रहे हैं । दाताओं से भीख माँगकर अपने भाग्य परखने के लिए उनके पास शक्ति भी नही है । यदि कही सडक पर जूठी पत्तल चाटने के लिए मिले तो उनसे पहले ही उन जूठे पत्तलों को झपटने के लिए कुत्ते वहाँ खडे थे । इतनी दयनीय स्थिति उस भिखारी परिवार की थी।

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इस प्रकार कवि की प्रयोगवादी दृष्टिकोण इसमें दिखायी पड रहा है । भिखारी की दयनीय स्थिति के द्वारा शोषित वर्ग की ओर कवि संकेत दे रहे है । शोषक और शोषित वर्ग भिन्नता का स्पष्ट चित्रण वे दे रहे है । उनकी भाषा शुद्ध खडीबोली है ।

संदर्भ सहित व्याख्या

प्रश्न 1.
वह आता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता ।
पेट-पीठ दोनों मिलकर है एक
चल रहा लकुटिया टेक
मुट्ठी भर दाने को भूख मिटाने को
मुँह फटी – पुरानी झोली का फैलाता –
दो टूक कलेजे के करता पछताता पथ पर आता ।
उत्तर:
कवि परिचय :- यह पद्य निराला जी के द्वारा लिखी गयी ‘भिक्षुक’ नामक कविता से लिया गया है वे छायावादी कवि है ।

सन्दर्भ :- इसके एक भिक्षुक की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है। व्याख्या :- कवि एक भिक्षुक के जीवन का वर्णन कर रहा है कि एक भिक्षुक अपनी दयनीय स्थिति पर टूटे हृदय से उस पथ पर आ रहा है । भूख के कारण उसका पेट और पीट दोनों मिले हुए है । अपनी भूख मिटाने एक मुट्ठी भर अन्न के लिए लकडी टेकता हुआ आ रहा है । वह लकडी के सहारे खडे होकर अपने फटे हुए झोले का मुँह फैलाता है । अपनी दयनीय स्थिति से वह टूटे हृदय से मन ही मन रो रहा हैं ।

विशेषताएं

  1. शोषित वर्ग के प्रति कवि की सहानुभूति व्यक्त होती है।
  2. इसके कवि की प्रगतिवादी धारणा स्पष्ट होती है ।
  3. उनकी भाषा शुद्ध खडीबोली है ।

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प्रश्न 2.
साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए,
बाएँ से वे मलते हुए पेट चलते है,
और दाहिना दया दृष्टि पाने की ओर बढाए ।
भूख से सूख ओठ जब जाते,
दाता – भाग्य – विधाता से क्या पाते !
घुट आँसूओं के पीकर रह जाते ।
चाट रहे है जूठी पत्तल कभी सड़क पर खड़े हुए
और झपट लेने को उनसे कुत्ते भी हैं अडे हुए।
उत्तर:
कवि परिचय :- यह पद्य निराला जी के द्वारा लिखी गयी ‘भिक्षुक’ नामक कविता से लिया गया है वे छायावादी कवि है ।

सन्दर्भ :- इसमें एक भिखारी और उसके दो बच्चों की दयनीय स्थिति का वर्णन किया गया है।

व्याख्या :- एक भिक्षुक रास्ते पर आ रहा है और उसके साथ दो बच्चे भी है। वे अपने बाए हाथ से अपने भूखे पेट को मल रहे है और दाहिने हाथ से दया की भीख माँग रहे है । भूख के कारण उनके ओठ सूख गए है । अपने भाग्य के लिए वे तडप रहे है । सडक पर जूठी पत्तल चाटने के लिए भी उनके पहले ही कुत्ते उन पत्तलों को लपटने के लिए वहाँ खडे हो रहे है।

विशेषताएँ :

  1. शोषित वर्ग के प्रति कवि की सहानुभूति व्यक्त होती है ।
  2. इसके कवि की प्रगतिवादी धारणा स्पष्ट होती है ।
  3. उनकी भाषा शुद्ध खडीबोली है ।

एक शब्द में उत्तर

प्रश्न 1.
भिक्षुक कविता के कवि कौन है ?
उत्तर:
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला ।

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प्रश्न 2.
निराला के पिता कौन है ?
उत्तर:
पंडित राम सहाय त्रिपाठी ।

प्रश्न 3.
निराला का पहला व्यंग्य संग्रह क्या है ?
उत्तर:
अनामिका ।

प्रश्न 4.
भिक्षुक किसके सहारे खडे हो जाता है ?
उत्तर:
लकडी के सहारे ।

प्रश्न 5.
मिक्षुिक के साथ कौन है ?
उत्तर:
उसके दोनो बच्चे ।

कवि परिचय

श्री सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ हिन्दी साहित्य के आधुनिक काल में छायावाद युग के प्रमुख चार कवियों में एक हैं । आपका जन्म सन् 1898 ई. में बंगाल के महिषादल राज्य में हुआ था । बचपन में ही आप माता की ममता से दूर हो गए और इसकी वेदना आपको जीवन के अंतिमकाल तक रही । आपके पिताजी राम सहाय तेवारी महिषादल रियासत के सिपाही थे । पिताजी, निराला से बहुत कठोर व्यवहार करते थे । पिताजी के राजघराने में रहने के कारण राजाओं तथा जमींदारों का व्यवहार सूर्यकान्त बचपन में ही देखा करते थे । सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला ने बंगला, अंग्रेजी और संस्कृत का गंभीर अध्ययन घर पर ही किया । विवाह के बाद पत्नी मनोहरा देवी के कारण आपने हिन्दी का भी अध्ययन किया । दर्शन, भावुकता एवं ओज आपके साहित्य में सहज गुण बनकर उभरे ।

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निराला ने ‘अनामिका’, ‘परिमल’, ‘गीतिका’, ‘तुलसीदास’, ‘राम की शक्तिपूजा’, ‘अर्चना’, ‘आराधना’, ‘गीतकुंज’ आदि काव्य लिखे । ‘अलका’, ‘अप्सरा’, ‘निरुपमा’ आपके उपन्यास हैं । ‘लिली’, ‘सखी’, ‘सुकुल की बीवी’ आपके कहानी – संग्रह हैं तो ‘चतुरी चमार’, ‘बिल्लेसुर बकरीहा’ तथा ‘कुल्लीभाट’ रेखाचित्रात्मक उपन्यास हैं । ‘चाबुक’, ‘प्रबन्ध प्रतिमा’, ‘रवीन्द्र कविता- कानन’ आदि आपके आलोचनात्मक निबंधों के संग्रह हैं । आपने अनेक अनुवाद और बालोपयोगी जीवन-परक रचनाएँ भी कीं । निराला ने ‘मतवाला’, ‘सुधा’, ‘माधुरी’ जैली पत्र-पत्रिकाओं का भी संपादन किया । इस प्रकार हर विधा में हर तरह से हिन्दी साहित्य को सुसंपन्न करनेवाले निराला का निधन 1961 ई. में इलाहाबाद में हुआ ।

प्रस्तुत पाठ एक गीत है जो सरस्वती प्रार्थना के रूप में गाने के योग्य है । इसका संग्रह ‘गीतिका’ से किया गया ।

कठिन शब्दार्थ

1. टूक = टुकडे ; ముక్కలు
2. कलेजे के = हृदय के ; హృదయ
3. लकुटिया = डंडा लकडी ; కర్రలు
4. दया दृष्टिं = भीख मिलने की आशा में
5. दाता = दानी ; దానం చేసేవాడు
6. भाग्यविधाता = भाग्य को बनाने वाला ; దేవుడు
7. चॅट = आँसु ; కన్నీళ్లు .

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