Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 1st Year Hindi Study Material पद्य भाग 3rd Poem फूल की चाह Textbook Questions and Answers, Summary.
AP Inter 1st Year Hindi Study Material 3rd Poem फूल की चाह
संदर्भ सहित व्यारव्या
प्रश्न 1.
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी – माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ, भाग्य पर इठलाऊँ,
उत्तर:
परिचय :- यह पद्य ‘फूल की चाह’ नामक कविता से लिया गया है । यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी के द्वारा लिखी गई है । वे भारतीय आत्मा के रूप से प्रसिद्ध है ।
सन्दर्भ :- इस में कवि एक फूल की इच्छा के द्वारा अपनी देशभक्ति को व्यक्त कर रहे हैं।
व्याख्या :- एक फूल के माध्यम से कवि अपनी इच्छा व्यक्त कर रहा है कि मुझे देवताओं के गहनों में गूंथ जाने की इच्छा नहीं है । अर्थात देवताओं के गले में माला बनने की इच्छा नही हैं । प्रियतम के हाथो में माला बनकर प्रेयसी को ललकारने की इच्छा नही है । सम्राटों के शवो पर पुष्प माला बनने की चाह नही है और देक्ता ईश्वर के सिर पर चढकर अपने भाग्य पर घमंड करने की इच्छा भी मुझे नही है । अर्थात यहां फूल अपने जीवन के लिए कुछ-न-कुछ विशेषता होने की मांग कर रहा है।
विशेषताएँ :-
- इसमें जीवन के लिए कुछ ऊँचे उमंग रखने की इच्छा फूल के द्वारा व्यक्त कर रहे है।
- उनकी भाषा सरल खड़ीबोली है ।
प्रश्न 2.
मुझे तोड लेना वनमाली !
उस पथ पर देना तुम फेंक ।
मातृ – भूमि पर शीश चढाने,
जिस पथ जावें वीर अनेक ।
उत्तर:
परिचय :- यह पद्य ‘फूल की चाह’ नामक कविता से लिया गया है। यह कविता माखनलाल चतुर्वेदी के द्वारा लिखी गई है । वे भारतीय आत्मा के रूप से प्रसिद्ध है।
सन्दर्भ :- कवि फूल की चाह के द्वारा अपनी देशभक्ति भावना को व्यक्त र रहे हैं।
व्याख्या :- कवि फूलों के द्वारा अपना विचार व्यक्त कर रहे है कि हे वनवाली ! मुझे अवश्य तोड़ लो । पर तोड़कर उस रास्ते मे मुझे फेंक दो जिस रास्ते पर मातृभूमि के लिए बलिदान करने के लिए वीर जाते है । ताकि उनके चरणों के नीचे पड़कर मैं पवित्र हो जाऊँगी और उनके पैरों को मै राहत दूंगी।
विशेषताएँ :-
- देश के लिए बलिदान करने वाले वीरो के प्रति कवि का गौरव स्पष्ट हो रहा है ।
- उनकी भाषा सरल खडीबोली है ।
दीर्घ प्रश्न
प्रश्न 1.
फूल की चाह कविता का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
कवि परिचय :- फूल की चाह नामक कविता के कवि माखनलाल चतुर्वेदी है । इनको हिंदी संसार में एक भारतीय आत्मा के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त हुई है। उनकी रचनाओं में राष्ट्रीयता और देशभक्ति स्पष्ट झलकती है।
सारांश :- प्रस्तुत कविता में कवि ने एक फूल की चाह के बहाने अपने राष्ट्र प्रेम को व्यक्त किया है । फूल नही चाहता है कि वह किसी सुंदर बाला का गहना बने । वह किसी प्रेमिका की माला में बिधंकर प्यारी को ललचाए । वह किसी सम्राट के शव पर डाला जाएँ । किसी देवता के सर चढ़कर अपने भाग्य पर गर्व करे ।
फूल चाहता है कि वनमाली उसे तोडकर उस रास्ते में फेंक दे जिस रास्ते में अपनी मात्रु भूमि की रक्षा करनेवाले सैनिक जाते है । वह उन सैनिकों के पैरों के नीचे कुचल जाना ही अपने लिए गौरव समझती है । वह देश भक्तों का सम्मान करने मे ही अपने को धन्य समझती है ।
विशेषताएँ :-
- कवि फूलों के द्वारा अपनी देश भक्ति भावना, देश के लिए मर मिटनेवाले वीरों के प्रति गौरव को व्यक्त करते है।
- कविता की भाषा सरल खडीबोली है ।
एक शब्द में उत्तर
प्रश्न 1. फूल की चाह कविता के कवि कौन है ?
उत्तर:
माखनलाल चतुर्वेदी ।
प्रश्न 2.
माखनलाल चतुर्वेदी की उपाधि क्या है ?
उत्तर:
एक भारतीय आत्मा ।
प्रश्न 3.
फूल की चाह कविता में कौनसा भाव व्यक्त हो रहा है।
उत्तर:
देश भक्ति ।
प्रश्न 4.
सुरबाला के गहनों में गूंथा जाने की इच्छा किसको नही है ?
उत्तर:
फूल को ।
प्रश्न 5.
फूल किसके पैरों के नीचे कुचल जाना चाहते है ?
उत्तर:
मात्रुभूमि की रक्षा करनेवाले सैनिकों के ।
कवि परिचय
माखनलाल चतुर्वेदी को हिन्दी संसार में एक भारतीय आत्मा के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त हुई है, इनका जन्म सन् 1889 में बाबई, होशंगाबाद मध्यप्रदेश में हुआ है । इनके पिता नन्दलाल चतुर्वेदी और माता सुन्दरबाई रही है, इन्होंने मीडिल स्कुल की पढाई के बाद सन् 1904 में खंडवा के एक स्कूल में अध्यापन कार्य प्रारम्भ किया । इन्होंने नौकरी छोडकर स्वाध्याय और साहित्य लेखन की रूचि ली और पत्रकारिता के क्षेत्र से साहित्य जगत में पर्दापण किया, इन्होंने अपने सम्पादकीय लेखों तथा टिप्पणियों के द्वारा स्वाधीनता के आहृवाहन और राष्ट्रीय उत्थान का प्रयास किया है । इन्होंने सन् 1913 से प्रभा, 1919 से कर्मवीर और सन् 1924 से प्रताप नामक तीन पत्रों का सम्पादन कार्य आरम्भ किया ।
इन्हें राष्ट्रीयता और देशभक्ति की प्रेरणा लोकमान्य तिलक, गणेशशंकर विद्यार्थी तथा श्री माधवराव सप्रे से मिली । इन्होंने अपने अनुभवों को कल्पना द्वारा प्रस्तुत किया जिसमें उनके कोमल और कठोर दोनों रूपों के दर्शन होते हैं। उन्हें कवि और राष्ट्र सेवी के रूप में सम्मान प्राप्त हुआ इनकी हिमकिरीटिनी नामक काव्य कृति पर देव पुरस्कार तथा हिमतरंगिणी पर साहित्य अकाडमी सम्मान प्राप्त हुआ । इनकी काव्य कृतियों में हिमकिरीटिनी, हिमतरंगिणी, माता, युगचरण, वेणु लो, गूंजे धरा, मरण ज्वार, और बीजुरी काजल आँज रही आदि प्रमुख रही है, इसके अलावा कृष्णार्जुनयुद्ध (नाटक), साहित्य देवता (गद्यकाव्य) कला का अनुवाद (कहानी संग्रह) अमीर इरादे, गरीब इरादे (निबन्द-संग्रह) आदि उल्लेखनीय कृतियाँ रही है । इनका देहावसान सन् 1968 में हुआ ।
कठिन शब्दार्थ
1. चाह – इच्छा; కోరిక
2. सुरबाला – अमृतपान करवाने वाली सुन्दरी; అమృతం చిలికే సుందరి.
3. गहनाँ – आभूषणों; నగలు.
4. गूंथा – पिरोना; సూదిలో దారం ఎక్కించుట.
5. बिंध – बन्ध; బంధం.
6. इठलाऊँ – अभिमान करना; గర్వపడడం.
7. वनमाली – बागबानी करने वाला; తోట పనిచేసేవారు.
8. शीशा – सिर; తల
9. चढाने – बलिदान देने; బలిచేయుట.
10. पथ – रास्ते; దారి.
11. जावें – जाते है; వెళ్తారు.