Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 1st Year Hindi Study Material Non-Detailed 6th Lesson बदला Textbook Questions and Answers, Summary.
AP Inter 1st Year Hindi Study Material Non-Detailed 6th Lesson बदला
अभ्यास प्रश्न
प्रश्न 1.
बदला कहानी का सारांश लिखिए ।
उत्तर:
धम्मपट्टनं एक ऐसा जगह है, वहाँ पर एक अस्पताल है जहाँ कदम कदम पर भ्रष्टाचार, मामूल वसूल किया जाता है । वहाँ पर कुछ दूरी पर एक गाँव था वहाँ पर कोटय्या एक मामूली किसान, मजदूर था ।
वह खास पढा-लिखा नहीं होने पर भी अखबार पढ लेता है । उसकी पत्नी गर्भवती थी । नौ महीने मे तबियत खराब होने से अपने मालिक की बैलगाडी लेकर धर्मपट्टनं अस्पताल पहुँचता है अस्पताल के अन्दर जाने के लिए भी चवन्नी हाथ मे रखना पड़ता है। अन्दर जाने के बाद उसकी पत्नी बेहोश होने पर भी कोर्ह भी इसके प्रति ध्यान नहीं देते । शायद वहाँ बेहोशी होना भी मामूली बात है । कुछ देर बाद डाक्टर पद्मा वहाँ आती है । कोटय्या भय, विवशता, अज्ञान अन्धार मे पडकर वही बाहर खडा हो जाता है । बाद में उस पता चलना है कि प्रसव के पहले ही उसकी पत्नी चली गयी । उसकी लाश को लेकर जाने के लिए भी उसे मामूल देना पडता है । पत्नी का दहन संस्कार होने के बाद कोटय्या धम्मपट्टनं अस्पताल के सामने सात्याग्रह करना शुरू करता है । पर किसी ने इस पर ध्यान नहीं देता । पाँच दिन बाद डाक्टर पद्मा उसको समझाने आता है ।
धीरे-धीरे सब का ध्यान इसकी ओर आकृष्ट होता है । डाक्टर पद्मा पर शिकायत रखी जाती है और इस के द्वारा सभी कर्मचारियों के विषय बाहर आने लगते है । सत्याग्रह करते-करते कोटय्या का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है और उसी अस्पताल में दाखिल हो जाता है । इन समस्याओं के बीच डा. पद्मा की हत्या अस्पताल मे हो जाती है इसकी जिम्मेदारी कोटय्या पर पडती है और पुलीस उसको जेल लेजाता है । वह निर्दोष होकर भी अन्त मे उसे दण्ड भोगना पड़ता है । इस प्रकार इस कहानी का नायक एक गरीब मजदूर मामूली व्यक्ति था । आत्याचारों के विरूद्ध स्वर उठाने पर भी उसका कोई नहीं सुनता। निर्दोष होकर भी सजा भुगतनी पड़ती है । तत्कालीन सामाजिक स्थिति को मार्मिक रूप से कहानीकार ने चित्रण किया । उनकी भाषा सरल है ।
कहानीकार का परिचय
आरिगपूडि रमेश चौधरी का पूरा वास्तविक नाम रामेश्वरवनजासन गाँधी था । उनका जन्म सन् 1922 ई मे आंध्र जिले के कृष्णा जिले के वुय्यूर नामक ग्राम मे हुआ । वे अंग्रेजी के दैनिक पत्र हिन्दू के संवाददाता होने के साथ-साथ एक सार्वजनिक कार्यकर्ता तथा तेलुगु के अच्छे वक्त भी रहे । उन्होंने धर्मयुग, हिन्दूस्थान, साप्ताहिक हिन्दूस्तान, आजकल, नई कहानियाँ, कादम्बिनी तथा सारिका आदि में लेखन कार्य किया । वे एक प्रतिभा सम्पन्न अहिन्दी भाषी हिन्दी साहित्यकार रहे । उन्हे अनेक पुरस्कार भी प्राप्त हुए । उन्होंने उपन्यास, कहानी संग्रह, नाटक, एकांकी संकलन, अनुवाद सभी का सृजन किया । प्रस्तुत ‘बदला’ कहानी सामाजिक संदर्भ को लेकर लिखी गयी संवेदनशील कहानी है । इसमें एक आम आदमी कोटय्या के संघर्ष का चित्रण किया गया है । अस्ततालवालों की लापरवाही से अपनी पत्नी मर जाने से इस पर संघर्ष करता हुआ वह खुद दोषी बन जाता है । उसके जीवन संघर्ष का चित्रण इसमें व्यक्त किया गया है।
कहानी का सारांश
धम्मपट्टनं एक ऐसा जगह है, वहाँ पर एक अस्पताल है जहाँ कदम कदम पर भ्रष्टाचार, मामूल वसूल किया जाता है । वहाँ पर कुछ दूरी पर एक गाँव था वहाँ पर कोटय्या एक मामूली किसान, मजदूर था । वह खास पढा-लिखा नहीं होने पर भी अखबार पढ लेता है । उसकी पत्नी गर्भवती थी। नौ महीने मे तबियत खराब होने से अपने मालिक की बैलगाडी लेकर धर्मपट्टनं अस्पताल पहुँचता है अस्पताल के अन्दर जाने के लिए भी चवन्नी हाथ मे रखना पड़ता है। अन्दर जाने के बाद उसकी पत्नी बेहोश होने पर भी कोर्ह भी इसके प्रति ध्यान नहीं देते । शायद वहाँ बेहोशी होना भी मामूली बात है । कुछ देर बाद डाक्टर पद्मा वहाँ आती है । कोटय्या भय, विवशता, अज्ञान अन्धार मे पडकर वही बाहर खडा हो जाता है । बाद में उस पता चलना है कि प्रसव के पहले ही उसकी पत्नी चली गयी ।
उसकी लाश को लेकर जाने के लिए भी उसे मामूल देना पडता है । पत्नी का दहन संस्कार होने के बाद कोटय्या धम्मपट्टनं अस्पताल के सामने सात्याग्रह करना शुरू करता है । पर किसी ने इस पर ध्यान नहीं देता । पाँच दिन बाद डाक्टर पद्मा उसको समझाने आता है । धीरे-धीरे सब का ध्यान इसकी ओर आकृष्ट होता है । डाक्टर पद्मा पर शिकायत रखी जाती है और इस के द्वारा सभी कर्मचारियों के विषय बाहर आने लगते है । सत्याग्रह करते-करते कोटय्या का स्वास्थ्य बिगड़ जाता है और उसी अस्पताल में दाखिल हो जाता है । इन समस्याओं के बीच डा. पद्मा की हत्या अस्पताल मे हो जाती है इसकी जिम्मेदारी कोटय्या पर पडती है और पुलीस उसको जेल लेजाता है । वह निर्दोष होकर भी अन्त मे उसे दण्ड भोगना पड़ता है ।
इस प्रकार इस कहानी का नायक एक गरीब मजदूर मामूली व्यक्ति था । आत्याचारों के विरूद्ध स्वर उठाने पर भी उसका कोई नहीं सुनता । निर्दोष होकर भी सजा भुगतनी पड़ती है । तत्कालीन सामाजिक स्थिति को मार्मिक रूप से कहानीकार ने चित्रण किया । उनकी भाषा सरल है ।