AP Inter 1st Year Hindi Study Material Chapter 5 चन्द्रशेखर वेंकटरमन्

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 1st Year Hindi Study Material गद्य भाग 5th Lesson चन्द्रशेखर वेंकटरमन् Textbook Questions and Answers, Summary.

AP Inter 1st Year Hindi Study Material 5th Lesson चन्द्रशेखर वेंकटरमन्

सारांश

प्रश्न 1.
“चन्द्रशेखर वेंकटरामन” पाठ का सारांश अपने शब्दों में लिखिए ।
उत्तर:
प्रस्तुत निबन्ध में भारतीय वैज्ञानिक श्री चन्द्रशेखर वेंकटरमन के व्यक्तित्व और उनके अनुसंधानों पर प्रकाश डाला गया है । उनका जन्म तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में सन् 1888 मे हुआ । उनके पिता चन्द्रशेखर अय्यर जो भौतिक और गणित के प्राध्यापक थे और उनकी माता पार्वती अम्मल थी। उनकी आरम्भिक शिक्षा विशाखपट्टनम् मे हुई । उन्होंने ग्यारह वर्ष की आयु मे मेट्रिक्युलेशन की परीक्षा, तेरह वर्ष में एफ.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की । वो मद्रास के प्रेसिडेन्सी कॉलेज में बी.ए. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए और गणित में एम.ए. प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हए ।

उन्होंने अपने शिक्षार्थी जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य किए । सन् 1906 मे प्रकाश विवर्तन पर उनका पहला शोध पत्र लंडन के फिलासाफिकल पत्रिका मे प्रकाशित हुआ । उसका शीर्षक था – आयताकृत छिद्र के कारण उत्पन्न असीमित विवर्तन पट्टियाँ । उन्हे वैज्ञानिक सुविधाएँ ठीक से न मिलने के कारण वित्त विभाग के असिस्टेंट एकांउटेंट जनरल बनकर कलकत्ता चले गए । इसके बाद वैज्ञानिक अध्ययन के लिए भारती परिषद की प्रयोगशाला मे प्रयोग के लिए अनुमति प्राप्त की । अपने घर में भी उन्होंने प्रयोगशाला बनाया । उसका उनका अनुसंधान क्षेत्र था – ध्वनि के कम्पन और कार्यों का सिद्धांत इसपर जर्मनी मे प्रकाशित भौतिक विश्वकोश में भी एक लेख लिखा ।

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इसके बाद उन्होंने उच्च सरकारी पद त्याग कर कलकत्ता विश्व विद्यालय चले गए । वहाँ पर उन्होंने वस्तुओं मे प्रकाश चलने पर अध्ययन किया । और बाद में पार्थिव वस्तुओं को प्रकाश के बिखरने का नियमित अध्ययन किया जो रामन प्रभाव के नामसे जाना जाता है । इस पर विशेष प्रयोग करके के उन्होंने पारद आर्क के प्रकाश को स्पेक्ट्रम स्टेक्ट्रोस्कोप ने निर्मित किया और प्रमाणित किया कि यह अन्तर पारद प्रकाश की तरंग लंबाइयों में परिवर्तित होने के कारण पंडता है इसके बाद उन्होंने रायल सोसयटी, लंदन के फेलो बने और रामन प्रभाव के लिए उन्हे सन् 1930 ई में नोबेल पुरस्कार दिया गया । सन् 1948 मे बंगलूर मे रामन शोध संस्थान की स्थापना की गई । उन्हें सन् 1954 ई. में भारत रत्न की उपाधि और सन् 1957 ई. में लेनिन शान्ति पुरस्कार प्राप्त हुई । 28 फरवरी, 1928 को उन्होंने रामन प्रभाव की खोज की । इसलिए प्रत्येक वर्ष इस दिन को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस से रूप में मनाया जाता है । सन् 1970 में उनकी मृत्यु हो गई।

इस प्रकार इसमें चन्द्र शेखर वेंकटरामन के व्यक्तित्व के साथसाथ उनके अनुसंधान, भौतिकी के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों और अनुसंधान के क्षेत्र में उनकी खोजों पर विशेष महत्व दिया गया है । उन्हे प्राप्त राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय सम्मानों पर भी रेखांकित किया गया है।

एक शब्द में उत्तर

प्रश्न 1.
सी. वी. रामन का जन्म कहाँ हुआ ?
उत्तर:
तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली में ।

प्रश्न 2.
सी.वी. रामन का पूरा नाम क्या है ?
उत्तर:
चंद्रशेखर वेंकटरामन ।

प्रश्न 3.
किस क्षेत्र में रामन को नोबेल पुरस्कार दिया गया.?
उत्तर:
रामन प्रभाव (भौतिकी क्षेत्र) ।

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प्रश्न 4.
सी.वी. रामन जी का आविष्कार किस नाम से जाना जाता है ?
उत्तर:
रामन प्रभाव ।

प्रश्न 5.
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस कब मनाया जाता है ?
उत्तर:
28 फरवरी को।

సారాంశము

భారతీయ శాస్త్రవేత్త శ్రీ చంద్రశేఖర్ వెంకట్రామన్ యొక్క వ్యక్తిత్వము, ఆయన చేసిన పరిశోధనల గురించి ఈ వ్యాసములో వివరించబడినది. ఈయన 1888 వ సంవత్సరములో తమిళనాడులోని తిరుచిరాపల్లిలో జన్మించారు.

ఈయన తండ్రి చంద్రశేఖర్ అయ్యర్ భౌతిక మరియు గణిత ఆచార్యులుగా పనిచేశారు. వీరి తల్లి పేరు పార్వతీ అమ్మల్. 11 ఏళ్ళ వయసులో మెట్రిక్యులేషన్, 13 ఏళ్ళ వయసులో ఎఫ్.ఎ. ఉత్తీర్ణులయినారు. మద్రాసు ప్రెసిడెన్సీ కాలేజ్ లో బి.ఎ. ప్రధమశ్రేణిలోను, గణితంలో ఎమ్.ఎ. ప్రథమ శ్రేణిలోను ఉత్తీర్ణులు అయినారు.

విద్యార్థి జీవితంలోనే ఎన్నో మహాకార్యాలను సాధించారు. 1906లో కిరణాలు ఎలా పరివర్తనం చెందుతాయో మొదటి వ్యాసాన్ని లండన్ కు చెందిన ఫిలసాఫికల్ పత్రికలో ప్రచురించారు. తన పరిశోధనలు జరుపుటకు వీలు కుదరక ఆర్థిక విభాగంలో అసిస్టెంట్ అకౌంట్ జనరల్ గా పనిచేశారు. తరువాత భారతీయ పరిషత్ లోని ప్రయోగశాలలో పరిశోధనలకు అనుమతి సాధించి ధ్వని క్షేత్రం మీద తన పరిశోధనలు కొనసాగించారు.

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దీనిని గురించి జర్మనీకి ‘. చెందిన విశ్వకోష్ లో తన వ్యాసాన్ని ప్రచురించారు. తరువాత ప్రభుత్వ ఉద్యోగానికి రాజీనామా చేసి కలకత్తా విశ్వవిద్యాలయంలో నియుక్తులయ్యారు. తరువాత జడపదార్ధములలో కూడా కిరణాలు ఎలా పరివర్తన చెందుతారో స్పెక్ట్రమ్ సిద్ధాంతం ద్వారా వివరించారు. దీనినే రామన్ ఎఫెక్ట్ అంటారు. తరువాత ఆయన రాయల్ సొసైటీ, లండన్ లో సభ్యులయినారు. 1948లో – రామన్ పరిశోధనా సంస్థను బెంగుళూరులో స్థాపించారు. రామన్ ఎఫెక్ట్ – గురించి 1954లో భారతరత్న బిరుదును, 1957లో లెనిన్ శాంతి పురస్కారము లభించింది. 1928, ఫిబ్రవరి 28న రామన్ ఎఫ్లైక్ట్ కనుగొన్న రోజును ప్రతి సంవత్సరము ‘సైన్స్ డే’ గా జరుపుకుంటున్నారు. 1970లో ఈయన మరణించారు.

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