Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 1st Year Hindi Study Material Intermediate 1st Year Hindi Grammar शब्दविचारण (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया विशेषण) Questions and Answers.
AP Intermediate 1st Year Hindi Grammar शब्दविचारण (संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रिया विशेषण)
दो अक्षर अथवा दो से अधिक अक्षरों का समुदाय जिसका कोई अर्थ हो, वे शब्द कहलाते हैं । जैसे – मोहन, किताब, बालक, फल आदि ।
विकार की दृष्टि से शब्द के दो प्रकार हैं
- विकारी शब्द
- अविकारी शब्द
1. विकारी शब्द : लिंग, वचन, कारक के अनुसार जिन शब्दों के रूप बदलते रहते हैं, उन्हें विकारी शब्द कहते हैं । जैसे लडका, लडके, लडको – अच्छा, अच्छे, अच्छी – मैं, मुझे – हम, हमें, हमको – जाता, जाते, जाती आदि ।
2. अविकारी शब्द : जिन शब्दों में कभी भी परिवर्तन नहीं हो, उन्हें अविकारी या अव्यय शब्द कहते हैं। जैसे – यहाँ, वहाँ, कहाँ, बिना, और, परन्तु, हाय, वाह, हे, अरे, आदि ।
प्रयोग की दृष्टि से शब्द के आठ प्रकार है
शब्द
विकारी शब्द – अविकारी शब्द
- संज्ञा – क्रिया विशेषण
- सर्वनाम – संबंध बोधक
- विशेषण – समुच्चय बोधक
- क्रिया – विस्मादि बोधक
इन आठों प्रकारों के आधार पर ही हिन्दी भाषा का पूरा व्याकरण पढा जा सकता है।
संज्ञा (Noun)
किसी व्यक्ति (प्राणी) वस्तु, स्थान या भाव आदि के नामों को संज्ञा कहते हैं । संज्ञा और नाम एक ही अर्थ को स्पष्ट करते हैं ।
उदा – मोहन, किताब, विजयवाडा, सुन्दरता ।
संज्ञा के पाँच प्रकार हैं
- व्यक्तिवाचक संज्ञा
- जातिवाचक संज्ञा
- भाववाचक संज्ञा
- द्रव्यवाचक संज्ञा
- समूहवाचक संज्ञा
1) व्यक्तिवाचक संज्ञा : किसी एक व्यक्ति (प्राणी) स्थान या वस्तु के नामों को, व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं ।
जैसे – राम, कृष्ण, विजयवाडा, गुंटूर, रामचरित मानस, गोदान ।
2) जातिवाचक संज्ञा : जिस संज्ञा से एक जाति के सब प्राणियों अथवा वस्तुओं का बोध हो, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे – मनुष्य, नगर, पुस्तक, पहाड, गाय, वृक्ष आदि । (मनुष्य शब्द से सारी मानव जाति का बोध होता है उसी तरह अन्य शब्द के जातियों का भी).
3) भाववाचक संज्ञा : जिस संज्ञा से किसी गुण, दोष,स्वभाव, दशा, धर्म अथवा भाव का बोध हो, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं।
जैसे – सुन्दरता, मित्रता, वीरता, शीलता, प्रेम, शत्रुता, जवानी, बुढापा, बचपन, मिठास, क्रोध, दुख, पढाई, लिखाई आदि ।
भाववाचक संज्ञाएँ तीन प्रकार के शब्दों से बनाई जाती हैं ।
- जातिवाचक संज्ञा से : जैसे – बच्चा से बचपन, मनुष्य से मनुष्यता ।
- विशेषण से. : जैसे – वीर से वीरता, शूर से शूरता ।
- धातु से : जैसे – पढना से पढाई, लिखना से लिखाई ।
- द्रव्यवाचक संज्ञा : जिस संज्ञा से किसी द्रव्य का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं ।
जैसे – लोहा, मिट्टी, सोना, चाँदी, तांबा, पेट्रोल, पीतल आदि । - समूहवाचक या – ‘ समुदायवाचक संज्ञा : समूह को प्रकट करने वाले शब्द समूहवाचक या समुदायवाचक संज्ञा कहलाते हैं ।
जैसे – कक्षा, सेना, भीड, सभा, मेला, झुंड, मंडल आदि ।
विशेष
समूहवाचक संज्ञा तथा द्रव्यवाचक संज्ञा वास्तव में जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत आ जाती हैं । इसलिए वस्तुतः ये जातिवाचक संज्ञा के उपभेद मात्र ही हैं, पृथक नहीं ।
अभ्यास
इन वाक्यों में संज्ञा शब्द पहचान कर लिखिए ।
प्रश्न 1.
राम ने सीता के लिए फल लाया ।
उत्तर:
राम
प्रश्न 2.
मोहन ने विशाखापट्टणम् में समुंदर की सुन्दरता देखी। .
उत्तर:
मोहन
प्रश्न 3.
श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया ।
उत्तर:
श्रीकृष्ण
प्रश्न 4.
अमरावती आन्ध्रप्रदेश की सुन्दर राजधानी है।
उत्तर:
अमरावती
प्रश्न 5.
मौनिका पुस्तक पढती है ।
उत्तर:
मौनिका
सर्वनाम (Pronoun)
संज्ञा की पुनरूक्ति को रोकने के लिए उसके स्थान पर आनेवाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं।
जैसे- मैं, यह, वह, हम, आप, जो, अपने, खुद, स्वयं, सब, कोई, कौन, क्या, कुछ आदि ।
सर्वनाम के छः भेद होते हैं
- पुरूषवाचक सर्वनाम
- निश्चयवाचक सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
- संबंधवाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
- निजवाचक सर्वनाम
1) पुरुषवाचक सर्वनाम : जो सर्वनाम बोलनेवाले, सुननेवाले तथा जिसके बारे में कुछ कहा जाए अर्थात् अन्य पुरूष का ज्ञान कराता है, उसे पुरूषवाचक सर्वनाम कहते हैं।
इसके तीन भेद हैं
- उत्तम पुरूष (First Person) मैं – हम
- मध्यम पुरूष (Second Person) तू – तुम – आप
- अन्य पुरूष (Third Person) यह – ये, वह – वे
2) निश्चयवाचक सर्वनाम : जिस सर्वनाम से निश्चित वस्तु का बोध हो, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं ।
जैसे- यह, वह यह आया । वह गया ।
3) अनिश्चितवाचक सर्वनाम : जिस सर्वनाम से निश्चित वस्तु का बोध न हो, उसे अनिश्चितवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे – कोई, कुछ, किसी, किन्हीं
4) सम्बन्धवाचक सर्वनाम : जिस सर्वनाम से एक वाक्य का दूसरे के साथ संबंध प्रकट हो, उसे संबंधवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे – जो, सो, जिस जो करेगा सो भरेगा
5) प्रश्नवाचक सर्वनाम : जिस सर्वनाम से प्रश्न का बोध हो, उसे प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे – किस, किन, कौन, क्या आदि ।
तुम क्या कर रहे हो।
आप क्या पढ़ रहे हैं।
6) निजवाचक सर्वनाम : जिस सर्वनाम का प्रयोग वाक्य में कर्ता के लिए होता है, उसे निजवाचक सर्वनाम कहते हैं।
जैसे – मैं अपने आप जाऊँगा ।
वह स्वयं आयेगा ।
माधवी खुद गाडी चलाती है ।
अपने आप, स्वयं, खुद निजवाचक सर्वनाम हैं।
सर्वनाम शब्दों में विकार : सर्वनाम विकारी शब्द हैं । इस कारण उसका लिंग, वचन, कारक और रूप के कारण सर्वनाम बदलता है ।
सर्वनाम के रूप
पुरूषवाचक मैं शब्द का रूप (उत्तम पुरूष)
विशेष्य : पूरूषवाचक सर्वनाम में संबोधन नहीं होता ।
पुरूषवाचक तू शब्द – रूप (उत्तम पुरूष)
पूरुशवाचक
यह वह (अन्य पुरुष)
इसी प्रकार अन्य सर्वनाम के रूप भी बदलते हैं।
सर्वनामों में पुंलिंग और स्त्रीलिंग का भेद नहीं होता है। दोनों में एक रूपता होती है । क्रिया से ही पता चलता है कि वाक्य पुंलिंग बोधक है या स्त्रीलिंग बोधक ।
अभ्यास
इन वाक्यों में सर्वनाम शब्द पहचानकर लिखिए ।
प्रश्न 1.
वह अपने आप इस काम को कर लेगा।
उत्तर:
वह
प्रश्न 2.
मैंने उसे मनी पुस्तक दे दी।
उत्तर:
उसे
प्रश्न 3.
जो करेगा सो भरेगा।
उत्तर:
जो
प्रश्न 4.
सभा में कौन बोल रहे हैं ? ।
उत्तर:
कौन
प्रश्न 5.
आप क्या कर रहे हैं ?
उत्तर:
आप
विशेषण (Adjective)
जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं। विशेषण विकारी शब्द हैं, जो संज्ञा या सर्वनाम के विशेषण बताने का काम करता है।
विशेष्य : जिन शब्दों की विशेषता बताई जाती है, उन्हें विशेष्य कहते हैं ।
जैसे – मोटा आदमी चल रहा है ।
घोडा काला है।
ऊपर के वाक्यों में मोटा, काला शब्द आदमी और घोडा की विशेषता बतलाते हैं । इस तरह विशेषता बतानेवाले शब्द विशेषण कहलाते हैं ।
मोटा, काला – विशेषण आदमी, घोडा – विशेष्य हैं ।
विशेषण का प्रयोग विशेष्य से पूर्व भी होता है और पश्चात् भी । विशेषण का प्रयोग विशेष्य से पूर्व (पहले) हुआ है तो विशेषण – विशेष्य यदि विशेषण का प्रयोग विशेष्य के बाद हुआ है तो विशेष्य – विशेषण कहा जाते हैं ।
विशेषण के चार प्रकार हैं
- गुणवाचक विशेषण
- संख्यावाचक विशेषण
- परिणामवाचक विशेषण
- सर्वनामिक विशेषण
1) गुणवाचक विशेषण : जिस विशेषण से संज्ञा या सर्वनाम का गुण अथवा दोष प्रकट हो, उसे गुणवाचक विशेषण कहते हैं गुणवाचक विशेषण के छ: भेद हैं।
- गुणवाचक : नम्र, भला, बुरा, अच्छा, चालाक, कायर, गरम, ठंडा, परिश्रमी
- कालवाचक : नया, पुराना, प्राचीन, नवीन
- स्थानवाचक : उत्तरी, दक्षिणी, पहाडी, ग्रामीण, देशी, विदेशी, पूर्वी
- आकारवाचक : गोल, तिरछा, लम्बा, ऊँचा, नीचा, चौडा
- अवस्थावाचक : युवा, वृद्ध, स्वस्थ, रोगी, गीला, सूखा
- रंगवाचक : काला, पीला, नीला, गोरा, लाल
1. अन्य : मुलायम, कठोर, हल्का, भारी, चिकना ।
जैसे राधा गोरी है । आसमान नीला है । महेश अच्छा है आदि ।
2. संख्यावाचक विशेषण : जिस विशेषण से किसी संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध हो, उसे संख्यावाचक विशेषण कहते हैं ।
जैसे – एक कलम, कुछ लोग, पहला फाटक आदि ।
संख्यावाचक विशेषण में वस्तओं आदि की गणना, क्रम, समूह, आवृत्ति आदि का समावंश पाया जाता है ।
जैसे – गणना : एक, दो, दस, हजार
क्रम : पहला, दूसरा, तीसरा, दसवाँ
समूह : दोनो, तीनों, सैकडों, हजारों
आवृत्ति : दुगुना, तिगुना, चौगुना
प्रत्येक सूचक : हरघडी, प्रत्येक व्यक्ति, प्रतिवर्ष संख्यावाचक विशेषण के दो भेद हैं
1. निश्चित संख्यावाचक विशेषण : जिन शब्दों से निश्चित संख्या का बोध हो ।
जैसे :एक पुस्तक, दसवाँ भाग
2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :जिन शब्दों से निश्चित संख्या का बोध न हो।
जैसे:दो चार दिन में हो जाएगा।
ज्यादा पैसे खर्च मत कर । इस तरह अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण न्यूनता या अधिकता का बोध कराता है।
3. परिणामवाचक विशेषण : जिस विशेषण से वस्तु की मात्रा या माप तौल का पता लगे, उसे परिणामवाचक विशेषण कहते हैं ।
माप : चार मीटर कपडा, दस एकड भूमि
तौल : दस लीटर दूध, एक क्विंटल चावल
परिणामवाचक विशेषण के भी दो भेद हैं
1. निश्चित परिमाणवाचक : जिससे किसी वस्तु की निश्चित नाप तोल का ज्ञान होता हो ।
जैसे – एक किलो चना, दो बीघा जमीन
2. अनिश्चित परिमाणवाचक : जिससे किसी वस्तु की निश्चित नाप – तोल का ज्ञान नहीं होता हो ।
जैसे – बहुत सारे आम, थोडी सी जमीन इर तरह अनिश्चित परिमाणवाचक में वस्तु की स्वल्पता और विपुलता का बोध होता है।
3. सर्वनामिक विशेषण : जो सर्वनाम शब्द संज्ञाओं से पूर्व लगाकर विशेषण का कार्य करते हैं । उन्हे सर्वनामिका विशेषण या संकेतवाचक विशेषण कहते हैं।
जैसे – यह मेरी किताब है।
वह लडका आ गया ।
सर्वनाम तथा सर्वनामिक विशेषण में अंतर – जो शब्द संज्ञा के स्थान पर आये, वे सर्वनाम है । जो शब्द संज्ञा की विशेषता बता या संज्ञा के पहले या बाद में विशेषण रूप में आये, वे सर्वनामिक विशेषण हैं ।
जैसे – उसे मारो – सर्वनाम
उस बालक को मारो – सर्वनामिक
(विशेषण के लिंग और वचन विशेष्य के अनुसार होते हैं ख)
अभ्यास
निम्न वाक्यों में विशेषण को पहचानकर लिखिए ।
प्रश्न 1.
गरम चाय पिओ।
उत्तर:
गरम
प्रश्न 2.
क्रिकेट में ग्यारह खिलाडी खेलते हैं ।
उत्तर:
ग्यारह
प्रश्न 3.
वह बालक भाग गया।
उत्तर:
भाग
प्रश्न 4.
शरारती बालक किसी को अच्छा नहीं लगता।
उत्तर:
अच्छा
प्रश्न 5.
मौसमी दस मीटर कपडे लाती है।
उत्तर:
दस पीटर
क्रिया (Verb)
जिस शब्द से किसी काम का करना या होना समझा जाता है, उसे क्रिया कहते हैं।
जैसे – खाना, पीना, रहना, सहना, जाना, बैठना आदि ।
नरेश पत्र लिखता है । क्रिया के बिना वाक्य की समाप्ति नहीं होती हैं ख वाक्य में क्रिया ही मुख्य शब्द होता है ।
धातु : जिन मूल शब्दों से क्रियाएँ बनती हैं। उन्हें धातु कहते हैं । उदाहरण के लिए लिखना । क्रिया है इसमें ना प्रत्यय है। लिख शब्द मूल धातु है । इस प्रकार लिखना क्रिया की धातु लिख है ।
पढना = पढ + ना
रहना = रह + ना आदि
क्रिया के भेद
कर्म की दृष्टि से क्रिया के दो भेद हैं ।
- सकर्मक क्रिया (Transitive Root)
- अकर्मक क्रिया (Intransitive Root)
सकर्मक क्रिया
जहाँ क्रिया का फल कर्म पर पडे, उसे सकर्मक क्रिया कहते हैं । जैसे – देवराज सिनेमा देखता है ।
मोहन फल खाता है ।
यहाँ देखने का फल सिनेमा पर और खाने का फल (प्रभाव) पर पड रहा है । यहाँ सिनेमा देखा जाता है और फल खाता जाता है ।
अकर्मक क्रिया
जहाँ क्रिया का फल कर्ता पर पडे, उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं ।
जैसे – कृपाकर भागता है ।
कविता सोती है ।
यहाँ भागने का फल, सोने के फल कर्ताओं पर ही पडते हैं ।
सकर्मक और अकर्मक क्रिया की पहचान
1. क्रिया के साथ क्या प्रश्न करने पर यदि कोई उत्तर आये तो सकर्मक क्रिया, यदि उत्तर न आयं तां अकर्मक क्रिया समझनी चाहिए ।
जैसे- देवराज सिनेमा देखता है । (सकर्मक)
क्या देखता है ? सिनेमा (उत्तर)
कृपाकर भागता है।
क्या भागता है । – प्रश्न ही सही नहीं है । (उत्तर नहीं है)
जिस क्रिया के साथ कर्म का प्रयोग हो, या आ सकता हो, वह क्रिया सकर्मक है जिस क्रिया के साथ कर्म का प्रयोग न हो, वह क्रिया अकर्मक है।
जैसे- वह पाठ पढता है – कर्म स्पष्ट है।
वह पढता है। – कर्म आ सकता है।
वह उठता है। – कर्म आने की संभावना भी नहीं हैं ।
कुछ अकर्मक क्रियाओं का विवरण
जागना, हँसना, रोना, सोना, जाना, मरना, चलना, डरना, चमकना, बढना, घटना, लजाना, उठना, बैठना, होना, ठहरना, भागना, लडना, खेलना, नष्ट होना आदि ।
प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के पाँच भेद हैं
- प्रेरणार्थक क्रियाएँ
- संयुक्त क्रियाएँ
- नाम धातु
- सहायक क्रियाएँ
- अनुकरण वाचक क्रियाएँ
2. प्रेरणार्थक क्रियाएँ
कर्ता स्वयं काम न करके दूसरों के द्वारा करवाता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं ख प्रेरणा करने से अकर्मक क्रिया सकर्मक बन जाती है और सकर्मक क्रिया द्विकर्मक बन जाती है ।
जैसे – अध्यापक ने विद्यार्थी से चित्र बनवाया
यहाँ बनवाया प्रेरणार्थक क्रिया है ।
प्रेरणार्थक क्रिया के दो भेद हैं
1. अ. प्रथम प्रेरणार्थक आ. द्वितीय प्रेरणार्थक
2. संयुक्त क्रियाएँ
दो या दो से अधिक क्रियाओं का साथ – साथ प्रयोग हों, उसे संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे – राम पढ़ चुका लक्ष्मण आ गया है।
3. नाम धातु
क्रिया को छोडकर अन्य शब्दों (संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण) में प्रत्यय जोडने से जो धातुएँ बनती हैं, उन्हें नाम धातु कहते हैं ।
जैसे – हाथ (संज्ञा) – हथियाना
अपना (सर्वनाम) – अपनाना
चिकना (विशेषण) – चिकनाना
4. सहायक क्रियाएँ
जो क्रियाएँ मुख्य क्रिया की काल रचना में सहायक हो, उसे सहायक क्रियाएँ कहते हैं।
जैसे – प्रकाश आया है । प्रकाश आया था । प्रकाश आया होगा । आदि ।
5. अनुकरण वाचक क्रियाएँ
ध्वनि या दृश्य आदि के अनुकरण पर जो धातुएँ बनती हैं, उन्हें अनुकरणवाचक कहते हैं ।
जैसे – खट, खट से – खट खटाना
ठक, ठक से – ठक ठकाना
चम, चम से – चम चमाना
धड, धड से – धड धडाना आदि ।
अभ्यास
निम्नलिखित वाक्यों में क्रिया शब्द पहचानकर लिखिए ।
प्रश्न 1.
पिता ने पुत्र से संदेश भिजवाया ।
उत्तर:
भिजवाना
प्रश्न 2.
महेश मैदान में दौडता है।
उत्तर:
दौड़ना
प्रश्न 3.
प्रेमचन्द ने उपन्यास लिखा था ।
उत्तर:
लिखना
प्रश्न 4.
कल मोहन पुस्तक लाएगा ।
उत्तर:
लाना
प्रश्न 5.
विजयरानी कपडे सिलाती है ।
उत्तर:
सिलाना
क्रिया विशेषण
क्रिया की विशेषता बतानेवाले शब्द क्रिया विशेषण कहलाते हैं वे अविकारी और अव्यय होते हैं इनके रुप नहीं बदलते हैं ।
जैसे – जल्दी – जल्दी, धीरे – धीरे ।
क्रिया विशेषण के पाँच भेद हैं।
1. स्थानवाचक विशेषण
जिन शब्दों से क्रिया के स्थान का बोध हो ।
जैसे – राजकुमार वहाँ गया ।
यहाँ, वहाँ, कहाँ, जहाँ, तहाँ, इधर – उधर, ऊपर-नीच के नजदीक, दाएँ, बाएँ, पास, सर्वत्र, बाहर, भीतर,आगे, पीछे, तले, सामने, पार, परे, अलग, के दूर आदि ।
2. कालवाचक क्रिया विशेषण
जिन शब्दों से क्रिया के काल का बोध हो ।
जैसे – आपको कल जाना है ।
मैं अभी आऊँगा।
जैसे – अब, जब, कब, तब, कल, परसों, अभी, सदा, शीघ्र, अक्सर, बहुधा, आज, तुरंत, फिर, सवेर, शाम, दोपहर, रात, लगातार,देर में, दिनभर ।
3. परिमाणवाचक क्रिया विशेषण
जिन शब्दों से क्रिया के परिणाम का बोध हो ।
जैसे – सजनी बहुत कम बोलती है ।
कम, अधिक, अल्प, थोडा, बहुत, इतना, उतना, बूंद-बूंद, जितना,कितना, बराबर, केवल, कुछ-कुछ, थोडा-थोडा, भारी, अत्यन्त, अनन्त, बस, काफी, ठीक, उचित, केवल, क्रमशः, खूब, जरा, बिल्कुल, प्रायः, अतिशय, तनिक आदि ।
4. रीतिवाचक क्रिया विशेषण
जिन शब्दों से क्रिया के होने की रीति या ढंग का पता चले ।
जैसे – स्वामीजी सदा पैदल चलते हैं।
ऐसे, वैसे, जैसे, तैसे, ज्यों, त्यों, धीरे, धडाधड, एकाग्रता से, एकाएक, फटाफट, अवश्य, समुचित, साक्षात, भली-भाँति, शांतपूर्वक, सहसा, अकस्मात्,ध्यान से, शायद, अतः, न, नहीं, मत, ध्यान से, ईमानदारी, झटपट, हँसकर आदि ।
5. प्रश्नवाचक क्रिया विशेषण :- जिन शब्दों से क्रिया के प्रश्न करने का काम आता हो ।
जैसे – आपके पिता कब आयेंगे ।
मुरली क्यों आया था ?
कब, कहाँ, कैसे, क्या, क्यों, क्योंकर, कहाँ तक, किस प्रकार आदि ।
प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के तीन भेद हैं –
- साधारण
- संयोजक
- अनुबद्ध
1. साधारण : जिन क्रिया विशेषणों का प्रयोग वाक्य में स्वतंत्र रूप से होते हैं।
जैसे – मेनका खूब नाचती है ।
हुसेन बोल्ट तेज दौडता है।
2. संयोजक : जिन क्रिया विशेषणों का संबंध किसी खण्ड वाक्य या उपवाक्य से होता हो ।
जैसे – जब रात होती है तब तारे चमकते हैं ।
जहाँ राम जायेगा वहाँ सीता भी जाएगी ।
3. अनुबद्ध : जिन क्रिया विशेषणों का प्रयोग किसी शब्द के साथ अवधारण (निश्चित) के लिए नही होता हो (जैसे – तक, तो, भर, भी आदि)
जैसे – मैने किताब देखी तक नहीं आदि ।
अन्य क्रिया विशेषण शब्द : कदम – कदम, हाथों-हाथ, पल-पल, साफसाफ, पहले – पहल, घर-बाहर, अनजाने, यथाशक्ति, हरपल, भरसक, शक्तिभर, खास करके, प्रतिदिन, साधारणतयाः आदि ।
अभ्यास
प्रश्न 1.
सुनील अब तक नहीं आया ।
उत्तर:
अब तक
प्रश्न 2.
जहाँ कृष्ण जाएगा वहाँ राधा जाएगी।
उत्तर:
जहाँ – वहाँ .
प्रश्न 3.
वह धीरे – धीरे आता है।
उत्तर:
धीरे – धीरे
प्रश्न 4.
तुम यह काम मत करो।
उत्तर:
मत करना
प्रश्न 5.
घोडा तेज दौडता है।
उत्तर:
तेज