AP Inter 1st Year Hindi Grammar पत्र-लेखन

Andhra Pradesh BIEAP AP Inter 1st Year Hindi Study Material Intermediate 1st Year Hindi Grammar पत्र-लेखन Questions and Answers.

AP Intermediate 1st Year Hindi Grammar पत्र-लेखन

पत्र लेखन एक विशेष एवं उपयोगी कला है। इसका संबंध हरेक मनुष्य के जीवन से हैं । यह कला हर व्यक्ति के लिए आवश्यक है । क्योंकि हमारे जीवन में ऐसे अनेक अवसर आते हैं कि दूर के दोस्तों, रिस्तेदारों, व्यापारियों तथा अफसरों को कुछ समाचार भेजे । हमारे विचारों व संदेशों को दूसरों तक पहुँचाने में पत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं । कभी वह जमाना था कि पत्र ही करोड़ो लोगों के संदेशों को लक्ष्य पर ले जाते थे। आज के कम्प्यूटर युग में भी पत्र संदेश भेजने का सबसे सस्ता साधन है । इस दृष्टि से उत्तम रीति से पत्र लिखने की कला का अध्ययन आज भी प्रासंगिक है । उत्तम पत्र के पाँच गुण होने चाहिए –

పత్ర లేఖనము ఒక విశేషమైన కళ. జీవితములో అనేక సందర్భాలలో ఉత్తరములు రాస్తూ ఉంటాము. మిత్రులకు, బంధువులకు, వ్యాపార, ఉద్యోగ సంబంధ విశేషములు రాస్తూ ఉంటాయి. ఉత్తరములు వ్రాయడంలో 5 ముఖ్య గుణములు క్రింది విధముగా ఉన్నవి.

  1. शब्दों तथा वाक्यों की शुध्दता एवं स्पष्टता
  2. संक्षिप्तता
  3. सरलता एवं शिष्टता
  4. विषय की पूर्णता
  5. उत्तम शैली।

व्यावहारिक दृष्टि से पत्रों को दो भागों में बाँटा जा सकता है

  1. औपचारिक पत्र
  2. अनौपचारिक पत्र

AP Inter 1st Year Hindi Grammar पत्र-लेखन

1) औपचारिक पत्र : औपचारिक पत्रों मे औपचारिकता (Formality) की प्रधानता होती है । इनमें तथ्यों एवं सूचनाओं का प्राधान्य होता है । इन पत्रों को व्यावहारिक एवं कामकाजी पत्र भी कहते हैं । कार्यालयीन क्रिया-कलापों के लिए लिखे जानेवाले विभिन्न प्रकार के सरकारी, अर्ध-सरकारी (Semi offi-. cial), व्यवसायिक, संस्थागत, व्यापारिक, आवेदन पत्र आदि इस कोटि के अंतर्गत आते हैं । औपचारिक पत्र लिखते समय प्रभावशीलता, विनम्रता, पूर्णता, स्पष्टता, शुध्दता, मौलिकता, संबध्दता आदि विषयों का ध्यान रखना चाहिए।
औपचारिक पत्र के मुख्य अंग निम्न प्रकार के होते हैं –

  1. शीर्षक – प्रेषक का नाम, व्यवसाय की प्रकृति, पत्र संख्या आदि को जानकारी देना आवश्यक हैं ।
  2. संबोधन – प्राप्तकर्ता का स्तर और शिष्टाचार के अनुसार ‘महाशय’, ‘मान्यवर’, ‘महोदय’, ‘आदरणीय’ आदि शब्दों से संबोधन करना चाहिए।
  3. विषय – संबोधन के बाद विषय को संक्षिप्त रूप में लिखकर,संदर्भ भी देना चाहिए ।
  4. कलेवर – कलेवर ही पत्र का प्रमुख अंग है । विषय को अनुच्छेदों में विभाजित करके पूर्ण तथा स्पष्ट रूप से मुहावरेदार भाषा में कलेवर लिखना चाहिए।
  5. स्वविर्देश – शिष्ट व्यवहार के लिए ‘भवदीय’, ‘आपका विश्वस्त भाजन’, ‘आपका विनम्र’ आदि का प्रयोग करना चाहिए ।
  6. हस्ताक्षर – पद सूचित करते हुए हस्ताक्षर करना जरूरी है।
  7. संलग्नक – विषय से संबंधित कुछ पत्र, मूल पत्र के साथ संलग्न किये जाते हैं । इनकी सूची पत्र के नीचे बाई ओर देनी चाहिए ।

2) अनौपचारिक पत्र : जिन लोगों के साथ हमारा निकट का संबंध होता हैं, उनके नाम पर लिखे जानेवाले पत्रों को अनौपचारिक पत्र कहते हैं। इन पत्रों को व्यक्तिगत या सामाजिक पत्र भी कहते हैं । मित्रों, संबंधियों तथा परिचितों को लिखे जानेवाले पत्र इस कोटि के अंतर्गत आते हैं । इन पत्रों में आत्मीयता का भाव रहता है । पिता द्वारा पुत्र को, बहिन के द्वारा भाई को, एक मित्र के द्वारा दूसरे मित्र को लिखे जानेवाले पत्र, निमंत्रण पत्र, शोक पत्र आदि इस श्रेणी में शामिल हैं।

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अनौपचारिक पत्रों के अंग निम्न प्रकार के होते हैं –

  1. पत्र लिखनेवाले का पता और दिनांक : पत्र के दाई ओर ऊपर पत्र लिखनेवाले का पूरा पता या शहर अथवा गाँव का नाम और उसके नीचे दिनांक लिखा जाता है।
  2. संबोधन : दिनांक के नीचे बायी ओर संबोधन लिखा जाता है । जैसे पूज्य, पूजनीय, परम पूज्य, आदरणीय, प्रियवर, प्रिय मित्र आदि ।
  3. अभिवादन : संबोधन के नीचे अभिवादन किया जाता है । बड़ों के प्रति सादर प्रणाम,छोटों के साथ शुभाषीश, बराबर वालों के साथ नमस्ते के साथ अभिवादन किया जाता है।
  4. कलेवर : कलेवर में विषय का स्पष्टीकरण पूर्ण तथा स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए । इसमें आत्मीयता की गंध रहनी चाहिए ।
  5. समापन : कलेवर के नीचे दायी ओर आज्ञाकारी, विनीत, भवदीय आदि शब्दों का प्रयोग करके उसके नीचे हस्ताक्षर किया जाता है ।
  6. पता : पत्र के अंत में प्राप्तकर्ता का पता लिखा जाता है ।

पिताजी को पत्र

विजयवाड़ा,
दिनांक 17.07.2018.

पूज्य पिताजी,

सादर प्रणाम ।

मैं यहाँ कुशल हूँ आशा है कि आप सब भी वहाँ कुशल होंगे । यहाँ अच्छे प्राध्यपक हैं । वे हमेशा हमारे संकोचों को दूर करते रहते हैं। मेरी पढाई ठीक से चल रही हैं । हमें इस महीने के अंत तक कॉलेज की फीस भरनी है । इसलिए आपसे प्रार्थना है कि दो हजार रूपये भेजने की कृपा करें।

आदरणीय माताजी को मेरा प्रणाम बहन माधुरी को प्यार ।

आपका प्रिय पुत्र,
वी, किरण

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सेवा में,
वी.दास,
मकान नं. 11-9-27,
पार्क सेंटर,
नरसरावपेट – 522601.

छुट्टी के लिए प्राचार्य के नाम पत्र

विजयवाड़ा,
दिनांक 14.10.2018.

सेवा में,
प्राचार्य महोदय,
प्रभत्व जूनियर कलाशाला,
विजयवाड़ा ।

मान्यवर,

सविनय निवेदन है कि मैं बुखार से पीड़ित होने के कारण आज और कल दो दिन विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता हूँ । मेरी चिकित्सा नियमित रूप से चल रही हैं । डाक्टर ने चार दिन विश्राम करने की सलाह दी है । अतः आपसे प्रार्थना है कि मुझे 15.10.2018 से 18.10.2018 तक चार दिन की छुट्टी देने की कृपा करें ।

धन्यवाद !

आपका आज्ञाकारी शिष्य
बी. धनराज
इंटर प्रथम वर्ष
अनुक्रमांक – 17.

पुस्तक – विक्रेता के नाम पत्र

नागार्जुन सागर,
दिनांक 23.02.2018.

प्रेषक :
वी. मोनिका सहानी,
इंटर प्रथम वर्ष,
मकान नं. बी – 832
नागार्जुन सागर,

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सेवा में,
व्यवस्थापक,
लोकमान्य हिन्दी बुक सेंटर,
एल्लुरु रोड, गवर्नरपेट,
विजयवाडा – 2.

मान्यवर महोदय,

कृपया निम्नलिखित हिन्दी पाठ्य पुस्तकों को वी.पी.पी. के द्वारा यथाशीघ्र भेजने का कष्ट करें। अग्रिम राशि के रूप में रू 500/- भेज रही हूँ आपकी ओर से उचित कमीशन मिलने की आशा है।

  1. साहित्य परिमल – 5 प्रतियाँ
  2. कथा कुंज – 5 प्रतियाँ
  3. हिन्दी व्याकरण – 5 प्रतियाँ
  4. हिन्दी पत्र लेखन – 5 प्रतियाँ

धन्यवाद !

भवदीय
वी. मौनिका सहानी

नौकरी के लिए आवेदन पत्र

नरसराव पेट,
दिनांक 17.07.2018.

प्रेषक :
वी. सहदेवी,
मकान नं. बी – 185
एन.जी.वो. कॉलोनी,
नरसराव पेट – 522601.

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सेवा में,
प्रधानाचार्य जी,
एस.के.बीर.आर.कॉलेज,
माचार्ला

विषय : हिन्दी प्राध्यापक के लिए आवेदन पत्र ।

संदर्भ : दैनिक ईनाडु में 20.6.2018 को प्रकाशित विज्ञापन ।

दैनिक ईनाडु में प्रकाशित आपके विज्ञापन के द्वारा मुझे पता चला कि आपके कॉलेज में हिन्दी प्राध्यापक की नौकरी खाली है । इसके उत्तर में मैं आपना आवेदन पत्र आपकी सेवा में विचारार्थ भेज रही हूँ । आपसे प्रार्थना है कि मेरा आवेदन स्वीकार करें मेरे संबंध में विवरण साथ संलग्न हैं ।

भवदीय,
वी.सहदेवी

संलग्न :

  1. दसवी कक्षा प्रमाण पत्र ।
  2. इंटरमीडियट प्रमाण पत्र ।
  3. बी.ए. प्रमाण पत्र ।
  4. एम.ए. प्रमाण पत्र ।
  5.  चिकित्सा प्रमाण पत्र ।
  6. अनुभव प्रमाण पत्र ।
  7. यू.जी.सी. नेट प्रमाण पत्र ।

अनुभव – मैं स्थानीय प्रभुत्व जूनियर कलाशाला में तीन वर्ष से हिन्दी प्राध्यापिका का काम कर रही हूँ । अंग्रेजी माध्यम से पढने वाले छात्रों के आवश्यकतानुसार मैं अंग्रेजी में भी समझा सकती हूँ ।

धन्यवाद !

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हस्ताक्षर
वी.सहदेवी

पुलिस स्टेशन के नाम शिकायती पत्र

पिडुगुराला,
दिनांक 25.11.2018.

प्रेषक :
बी. सुरेश,
मकान नं. – 177,
कस्तूरी नगर,
पिडुगुराल्ला – 522413.

सेवा में,
पुलिस इंसपेक्टर,
पुलिस थाना,
पिडुगुराल्ला – 522413,

महोदय,

निवेदन है कि कल रात हमारे घर में चोरी हुई है । आज सुबह हम गुंटुर से लौटे तो देखा कि घर का दरवाजा खुला पड़ा है हम बहुत भयभीत हुए घर के अंदर जाकर देखे तो पूरा सामान बिखरे पड़े हुए हैं । अलमारी का भी दरवाजा खुला पड़ा है । अलमारी में रखे पाँच हजार रूपये, सोने का हार तथा कुछ प्रमाण पत्र की चोरी की गयी है । इसलिए आपसे प्रार्थना है कि आप शीघ्रातिशीघ्र चोरों का पता लगाएँ और हमारी चीजों को दिलवाने की कृपा करें।

आपका,
बी.सुरेश

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