Access to the AP 9th Class Hindi Study Material Sparsh 7th Lesson रहीम के दोहे Questions and Answers are aligned with the curriculum standards.
रहीम के दोहे AP 9th Class Hindi Sparsh 7th Lesson Questions and Answers
प्रश्न-अभ्यास :
1. निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
प्रश्न क.
प्रेम का धागा टूटने पर पहले की भाँति क्यों नहीं हो पाता ?
उत्तर:
प्रेम की तुलना धागे से की गई है। प्रेम का बंधन नाजूक होता है। प्रेम आपसी विश्वास, आकर्षण और लगाव से होता है। एक बार यह विश्वास टूट जाए तो उसमें पहले जैसा भाव नहीं होता। उसी तरह धागा टूटने पर वह जुड नहीं पाता, यदि उसे जोडने की कोशिश की जाए तो गांठ पड जाती है।
प्रश्न ख.
हमें अपना दुःख दूसरों पर क्यों नहीं प्रकट करना चाहिए? अपने मन की व्यथा दूसरों से कहने पर उनका व्यवहार कैसा हो जाता है ?
उत्तर:
हमें अपना दुःख दूसरों पर प्रकट नहीं करना चाहिए। क्योंकि अपनी बातों का मजाक बनाकर नीचा दिखाते हैं। वे हमारे दुःख को नहीं बाँटते। प्रसन्न होते हैं। जलन पर और नमक छिड़कते हैं। इसलिए अपने मन का दर्द मन में ही छुपाकर रखना चाहिए।
प्रश्न ग.
रहीम ने सागर की अपेक्षा पंक जल को धन्य क्यों कहा है?
उत्तर:
सागर का जल पीने का काम नहीं आता। पंक- जल (कीचड) गंदा होते हुए भी श्रेष्ठ है। इसे पीकर छोटे छोटे जीवों की प्यास बुझती है। इसलिए रहीम ने पंक जल उसकी उपयोगिता के कारण धन्य कहा है।
प्रश्न घ.
एक को साधने से सब कैसे सध जाता है?
उत्तर:
रहीम के अनुसार एक साथ कई काम नहीं करना चाहिए। एक समय में एक ही काम करना चाहिए। पहले अधिक महत्वपूर्ण काम पर ध्यान देना चाहिए। उससे संबंधित काम पूरे हो जाते हैं।
प्रश्न ङ.
जलहीन कमल की रक्षा सूर्य भी क्यों नहीं कर पाता ?
उत्तर:
सूर्य कमल का पोषण करता है। लेकिन पानी नहीं होता तो कमल सूख जाता है। रहीम ने पानी को ही कमल की संपत्ति कहा। जल के न रहने पर सूर्य भी उसकी सहायता नहीं कर सकता है। जल भीतरी शक्ति है। सूर्य बाहरी शक्ति है। भीतरी शक्ति से ही जीवन चलता है।
प्रश्न च.
अवध नरेश को चित्रकूट क्यों जाना पड़ा ?
उत्तर:
अवध नरेश श्रीराम को चित्रकूट इसलिए जाना पडा, क्योंकि अपने माता पिता की आज्ञा पालन के लिए 14 वर्ष तक वनवास जाना पडा। उस वनवास के समय उन्हें चित्रकूट में जाने का अवसर मिला।
प्रश्न छ.
‘नट’ किस कला में सिद्ध होने के कारण ऊपर चढ़ जाता है?
उत्तर:
‘नट’ स्वयं को समेटने और सिकोडने की कला में निपुण है। इसी कला के कारण वह कुंडली में से निकलकर ऊपर चढ़ जाता है।
प्रश्न ज.
‘मोती, मानुष चून’ के संदर्भ में पानी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
- मोती के संदर्भ में पानी का अर्थ है – चमक।
- चमक (कांति) के बिना मोती का कोई महत्व नहीं होता ।
- मनुष्य के संदर्भ में पानी का अर्थ है – इज्जत (सम्मान)
- आत्म – सम्मान के बिना मनुष्य का कोई मूल्य नहीं होता।
- चूने के संदर्भ में पानी का अर्थ है पानी।
- बिना पानी के आटे की रोटी नहीं बनाई जा सकती। पानी का होना अनिवार्य है।
2. निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न क.
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय।
उत्तर:
प्रेम की तुलना धागे से की गई है। प्रेम का बंधन नाजूक होता है। प्रेम का बंधन टूटने पर सरलता से नहीं जुडता है। यदि जुडना भी है तो उसमें गाँठ पड जाती है। प्रेम का बंधन कभी भी पहले जैसा नहीं हो पाता है।
प्रश्न ख.
सुनि अलै हैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय।
उत्तर:
रहीम कहते हैं कि हम अपने मन की वेदना को दूसरों को नहीं बताना चाहिए। अपना दुःख, वेदना अपने तक ही सीमित रखना चाहिए। दूसरे लोग हमारा कष्ट सुनकर प्रसन्न हो जाते हैं। दुःख को नहीं बाँटते हैं।
प्रश्न ग.
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय।
उत्तर:
रहीम कहते हैं कि, हम एक समय में एक ही कार्य करना चाहिए। इससे अन्य काम भी पूरे हो जाएँगे। जिस प्रकार पेड के जड़ को ही सींचा जाए तो फल – फूल अपने आप खिल जाएँगे। इसलिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण कार्य को संपन्न करना चाहिए।
प्रश्न घ.
दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं।
उत्तर:
रहीम कहते हैं कि, दोहे में अक्षर कम होते हैं। उनमें अर्थ बहुत व्यापक होता है। दोहा कम शब्दों में गूढ़ अर्थ समेट रहता है। उसी प्रकार नर कुंडली को समेटकर कूदकर रस्सी पर चढ़ जाता है।
प्रश्न ङ.
नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत ।
उत्तर:
रहीम के अनुसार मधुर संगीत सुनकर हिरण अपने प्राण न्योछावर करने को तैयार हो जाता है। मनुष्य किसी की कला पर मोहित होकर उसे धन देता है। कल्याण करता है। जो मनुष्य दूसरों से प्रसन्न होकर कुछ भी नहीं देता, वह नर पशु समान है।
प्रश्न च.
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि ।
उत्तर:
रहीम कहते हैं कि, सभी चीज़ों का अपना अपना महत्व होता है। जो काम सुई कर सकती है, वह काम तलवार नहीं कर सकती है। और जो काम तलवार कर सकती है, वह काम सुई नहीं कर सकती । इसलिए हमें कभी भी बड़े पद को देखकर छोटे का तिरस्कार नहीं करना चाहिए।
प्रश्न छ.
पानी गए न ऊबरै, मोती, मानुष, चून।
उत्तर:
रहीम कहते हैं कि मोती, मनुष्य और चूना (आटा) पानी के बिना बेकार है। सीप में पानी की बूँद ही मोती का रूप लेती है। पानी ही मोती को चमकीला बनाता है। चमक के बिना मोती बेकार है। आत्मसम्मान के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। बिना पानी के आटे से रोटियाँ नहीं बनायी जा सकती है।
3. निम्नलिखित भाव को पाठ में किन पंक्तियों द्वारा अभिव्यक्त किया गया है –
प्रश्न क.
जिस पर विपदा पड़ती है वही इस देश में आता है।
उत्तर:
जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस ।
प्रश्न ख.
कोई लाख कोशिश करे पर बिगड़ी बात फिर बन नहीं सकती।
उत्तर:
बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
प्रश्न ग.
पानी के बिना सब सूना है अतः पानी अवश्य रखना चाहिए।
उत्तर:
रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सूना
4. उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
प्रश्न :
उदाहरण के आधार पर पाठ में आए निम्नलिखित शब्दों के प्रचलित रूप लिखिए-
उदाहरण: कोय कोई, जे – जो
- ज्यों ________
- नहि ________
- धनि ________
- जिय ________
- होय ________
- तरवारि ________
- मूलहिं ________
- पिआसो ________
- आवे ________
- ऊबरै ________
- विथा ________
- परिजाय ________
- कछु ________
- कोय ________
- आखर ________
- थोरे ________
- माखन ________
- सींचिबो ________
- पिअत ________
- बिगरी ________
- सहाय ________
- बिनु ________
- अठिलैहैं ________
उत्तर:
- जज्यों – जैसे
- नहि – नहीं
- धनि – धन्य
- जिय – हदय
- होय – होना
- तरवारि – तलवार
- मूलहि – जड, मूल
- पिआसो – प्यासा
- आवे – आना
- ऊबरै – उबरना
- बिथा – व्यथा
- परिजाय – पड़ जाना
- कछु – कुछ
- कोय – कोई
- आखर – अक्षर
- थोरे – थोडे, कम
- माखन – मक्खन
- सींचिबो – सींचना
- पिअत – पीना
- बिगरी – बिगड़ी
- सहाय – सहायक
- बिनु – बिना
- अठिलैहै – मजाक उड़ाना
योग्यता-विस्तार :
प्रश्न 1.
‘सुई की जगह तलवार काम नहीं आती’ तथा ‘बिन पानी सब सून’ इन विषयों पर कक्षा में परिवर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर:
सुई की जगह तलवार काम नहीं आती।
- मोहन (छात्र) – सुई सिलवाई के लिए काम आती है।
- गोपाल (छत्र) – सुई की तुलना में तलवार बडी है।
- महेश (छात्र) – सुई का काम उसी से ही होता है।
- राम (छात्र) – तलवार से सुई का काम नहीं होता।
- राकेश (छात्र) – हर वस्तु की अपनी – अपनी महत्ता होती है।
- मोहन (छात्र) – छोटों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए।
- ‘बिन पानी सब सूना’
- राधा (छात्रा) – पानी आवश्यक तत्व है।
- शीला (छात्रा) – पानी के बिना सब व्यर्थ है।
- शीमा (छात्रा) – पानी में जीवन होता है।
- राधा (छात्रा) – पानी को हमेशा बचाकर रखना चाहिए।
प्रश्न 2.
‘चित्रकूट’ किस राज्य में स्थित है, जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर:
मध्य प्रदेश
परियोजना काय :
नीति संबंधी अन्य कवियों के दोहे / कविताएँ एकत्र कीजिए और उन दोहों / कविताओं को चार्ट पर लिखकर भित्ति पत्रिका पर लगाइए।
उत्तर:
अपनी पहुँच बिचारि कैं करतब करिये ठौर ।
तेते पाँव पसारियै जैती लांबी सौर ||
सब मैं होत सरीक जै दुख सरीक सौ होय ।
जाकी मीठी खाइये कटुक खाइये सोय ।
सबै सहायक सबल के कोउ न निबल सहाय ।
पवन जगावत आग कौं दीपहि देत बुझाय ||
जो पहिलै कीजै जतन सो पीछे फलदाय ।
आग लगे खोदै कुँवा कैसे आग बुझाय ।।
साँच बराबर तप नहीं, झूठ बराबर पाप ।
जाके हिरदै साँच है, ताके हिरदै आप ||
पाहन पूजे तो हरि मिले, तो मैं पूजूँ पहाड ।
ताते या चाकी भली, पीस खाए संसार ||
कवि परिचय :
रहीम का जन्म लाहौर (अब पाकिस्तान) में सन् 1556 में हुआ। इनका पूरा नाम अब्दुर्रहीम खानखाना था। रहीम अरबी, फ़ारसी, संस्कृत और हिंदी के अच्छे जानकार थे । इनकी नीतिपरक उक्तियों पर संस्कृत कवियों की स्पष्ट छाप परिलक्षित होती है। रहीम मध्ययुगीन दरबारी संस्कृति के प्रतिनिधि कवि माने जाते हैं। अकबर के दरबार में हिंदी कवियों में इनका महत्तपूर्ण स्थान था। रहीम अकबर के नवरत्नों में से एक थे। रहीम के काव्य का मुख्य विषय शृंगार, नीति और भक्ति है।
रहीम बहुत लोकप्रिय कवि थे। इनके दोहे सर्वसाधारण को आसानी से याद हो जाते हैं। इनके नीतिपरक दोहे ज़्यादा प्रचलित हैं, जिनमें दैनिक जीवन के दृष्टांत देकर कवि ने उन्हें सहज, सरल और बोधगम्य बना दिया है। रहीम को अवधी और ब्रज दोनों भाषाओं पर समान अधिकार था। इन्होंने अपने काव्य में प्रभावपूर्ण भाषा का प्रयोग किया है। रहीम की प्रमुख कृतियाँ हैं : रहीम सतसई, श्रृंगार सतसई, मदनाष्टक, रास पंचाध्यायी, रहीम रत्नावली, बरवै, भाषिक भेदवर्णन | ये सभी कृतियाँ ‘रहीम ग्रंथावली’ में समाहित हैं।
प्रस्तुत पाठ में रहीम के नीतिपरक दोहे दिए गए हैं। ये दोहे जहाँ एक ओर पाठक को औरों के साथ कैसा बरताव करना चाहिए, इसकी शिक्षा देते हैं, वहीं मानव मात्र को करणीय और अकरणीय आचरण की भी नसीहत देते हैं। इन्हें एक बार पढ़ लेने के बाद भूल पाना संभव नहीं है और उन स्थितियों का सामना होते ही इनका याद आना लाज़िमी है, जिनका इनमें चित्रण है।
पद्यांश-भावार्थ :
1. रहिमन धागा प्रेम का, मत तोड़ो चटकाय ।
टूटे से फिर ना मिले, मिले गाँठ परि जाय ।।
भाव : रहीम कहते हैं कि, प्रेम रूपी धागा अगर एक बार टूट जाता है तो फिर नहीं जुड़ता है। यदि उसे जोडने का प्रयत्न किया जाए तो उसमें गाँठ पड जाती है। उसी प्रकार प्रेम आपसी विश्वास के कारण होता है। विश्वास टूट जाए तो फिर उसमें पहले जैसा भाव नहीं रहता ।
భావం: ప్రేమ అనే దారం తెగిపోతే మళ్ళీ అతకదు. ఆ తెగిన దారాన్ని కలపాలని ప్రయత్నిస్తే ముడిపడిపోతుందని రహీమ్ తెలుపుతున్నాడు. అదే విధంగా ప్రేమ, పరస్పర విశ్వాసం వల్ల నిలబడుతుంది. విశ్వాసం లేకపోతే దానిలో మునుపటి అనుభూతి ఉండదు.
Meaning: Rahim says that once the thread of love breaks, it does not join again. If an attempt is made to connect it. It gets knotted. Similarly, love is due to mutual trust. If the trust is broken, then there is no feeling in it as before.
2. रहिमन निज मन की बिथा, मन ही राखो गोय।
सुनि अटिलैहैं लोग सब, बाँटि न लैहैं कोय ||
भाव : हमें अपने मन की वेदना, दुख को मन के अंदर रखना चाहिए। अपने दुख को कभी बाँटना नहीं है। लोग हमारा मज़ाक उड़ाते हैं। लोग दुख की बात सुनकर प्रसन्न ही होते हैं। उसे बाँटने को तैयार नहीं होते।
భావం: మనం మన దుఃఖాన్ని మనస్సులోనే ఉంచుకోవాలి. ఇతరులతో పంచుకోకూడదు. దాన్ని విని ఇతరులు మనలను ఎగతాళి చేస్తారు. మన కష్టం, దుఃఖం పట్ల వాళ్ళు సంతోషిస్తారు. మన దుఃఖాన్ని పంచుకోవడానికి సహాయపడడానికి వారు సిద్ధపడరు.
Meaning: We should keep our pain and sorrow inside our mind. Never share your sorrows with others. People make fun of us. People are happy to hear about sorrow. They are not ready to share the sorrow or ready to help us.
3. एकै साधे सब सधै, सब साधे सब जाय।
रहिमन मूलहिं सींचिबो, फूलै फलै अघाय ॥
भाव : रहीम कहते हैं कि यदि हम एक- एक कार्यों का पूरा करने का प्रयास करें तो, उससे हमारे सारे कार्य पूरे हो जाएँगे। सब कार्य एक साथ आरंभ नहीं करना चाहिए। उसी प्रकार जड को सींचने से पूरा वृक्ष हरा – भरा होगा। फल फूलों से लदा रहता है।
భావం: మనం పనులను ఒక్కొక్కటిగా పూర్తి చేయాలి. దీంతో మన పనులన్నీ పూర్తవుతాయి. పనులన్నింటినీ ఒకేసారి ప్రారంభించకూడదు. అదేవిధంగా చెట్టు వేరుకు నీరు పోస్తే చెట్టంతా నిండుగా పచ్చగా ఉంటుంది. ఫల, పుష్పాలతో నిండి ఉంటుంది.
Meaning: Rahim says that if we try to complete each task, then all the tasks will be completed by that. All works should not be started at once. Similarly, the whole tree will become green if we pour water to the roots and loaded with fruits and flowers.
4. चित्रकूट में रमि रहे, रहिमन अवध – नरेस।
जा पर बिपदा पड़त है, सो आवत यह देस ॥
भाव : चित्रकूट मनोरम और धार्मिक प्रदेश है। श्रीराम को चित्रकूट में चौदह वर्ष वनवास प्राप्त हुआ था। इस स्थान की याद दुख में ही आती है। जिस पर विपत्ति आती है। वह इस स्थान पर खींचा चले आता है।
భావం : శ్రీరాముడు చిత్రకూట్ అనే అడవిలో పద్నాలుగు సంవత్సరాలు వనవాసం చేశాడు. ఈ ప్రదేశాన్ని తలచుకుంటేనే బాధ కలుగుతుంది. ఎవరికి విపత్తు వస్తుందో వారు ఈ ప్రదేశానికి ఆకర్షితులౌతారు.
Meaning: Shri Ram got fourteen years of exile in chitrakoot, the memory of this place gives sorrow. One who gets calamity, they will be attracted towards this place.
5. दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं ।
ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिटि कूदि चढ़ि जाहिं ||
भाव : रहीम कहते हैं कि दोहे में अक्षर थोडे ही होते हैं। लेकिन उसमें बहुत व्यापक अर्थ निहित रहता है। जिस प्रकार नट (कुशल बाजीगर) समेटकर, सिकोडकर तंग मुँहवाली कुंडली से निकल जाता है। उसी प्रकार दोहाकार दोहे के कम शब्दों में बडी और गहरी बातें कह देता है।
Meaning: Rahim says that Doha have few letters only. But it has a much wider meaning. Just like a skillful juggler rolds up, shrinks and comes out of a tight mouthed coil, similarly the Doha says big and deep things in it.
భావం : దోహాలో అక్షరాలు కొన్ని మాత్రమే ఉంటాయి. కానీ అందులో విస్తృతమైన అర్థం ఇమిడి ఉంటుంది. ఎలాగైతే గారడి చేసే వ్యక్తి ఇరుకుగా ఉన్న కుండలీలో నుండి సమాయించుకొని బయటకు వస్తాడో అదేవిధంగా దోహాను రాసే కవి తక్కువ పదాలతో విస్తృత మరియు లోతైన విషయాలను వివరిస్తాడు.
6. धनि रहीम जल पंक को लघु जिय पिअत अघाय ।
उदधि बड़ाई कौन है, जगत पिआसो जाय ॥
भाव : रहीम कहते हैं कि कीचड का जल सागर के जल से उत्तम है। क्योंकि उसे पीकर कीट – पतंग अपनी प्यास बुझा लेते हैं। सागर का जल खारा होता है। वह पीने योग्य नहीं हैं। वह किसी की प्यास बुझा नहीं पाता। उसकी तुलना में पंक का जल धन्य है। तात्पर्य है कि महान वही है जो किसी के काम आए।
భావం: సముద్రపు నీటి కంటే బురద నీరు గొప్పది. ఎందుకనగా బురద నీటిని తాగి కీటకాలు లాంటివి తమ దాహాన్ని తీర్చుకుంటాయి. సముద్రపు నీరు ఉప్పగా ఉండుట వల్ల త్రాగడానికి పనికిరాదు. సముద్రం ఎవరి దాహాన్ని తీర్చలేదు. దానితో పోలిస్తే బురద నీరు ఉత్తమం. ఇతరులకు ఉపయోగపడువాడే గొప్పవాడని అర్థం.
Meaning: Rahim says that the water of mud is better than the water of the ocean. Because insects and kites quench their thirst after drinking it. They are not drinkable as the sea water is salty. Sea cannot quench any one’s thirsty compared to that the waters of mud are better. Means that person is great one who helps others.
7. नाद रीझि तन देत मृग, नर धन हेत समेत ।
ते रहीम पशु से अधिक, रीझेहु कछू न देत ॥
भाव : रहीम कहते हैं कि संगीत की तान पर रीझकर हिरण शिकार हो जाता है। मनुष्य भी प्रेम के वशीभूत होकर अपना तन मन न्योछावर कर देता है। वे लोग पशु से भी हीन है, जो किसी से उनकी कला पर खुशी तो पाते हैं पर उसे कुछ भी नहीं देते हैं।
భావం : సంగీత బాణీకి జింక బలి అవుతుంది. మనిషి ప్రేమకు ప్రభావితుడయి తన సర్వస్వాన్ని అర్పిస్తాడు. ఎవరైతే ఇతరుల నుండి ఆనందాన్ని పొందాక వారికి ఏమియును ఇవ్వకుండా ఉంటారో వారు పశువుల కన్నా హీనము.
Meaning: Rahim says that by hearing the music of the deer gets hurted. Human being also sacrifices everything by the affection of live. One who didn’t give any thing after getting something from someone is lower than the animal.
8. बिगरी बात बनै नहीं, लाख करौ किन कोय।
रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय ॥
भाव : रहीम कहते हैं कि मनुष्य को सोच समझकर व्यवहार करना चाहिए। यदि किसी कारण बात – बिगड जाती है तो उसे बनाना कठिन होता है। जैसे एक बार दूध फट जाता है तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथकर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा।
భావం : మనిషి ఆలోచించి, వివేకంతో వ్యవహరించాలి. ఏదైనా కారణం వల్ల విషయం చెడిపోతే దానిని సవరించడం చాలా కష్టం. విరిగిన పాలను ఎంత చిలికినా వెన్న రాదు.
Meaning: Rahim says that the man should think of and deal with wisdom. It is difficult to edit if the subject is damaged by any reason. We didn’t get butter from the broken milk even though centrifuge it so many times.
9. रहिमन देखि बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि ।
जहाँ काम आवे सुई, कहा करे तरवारि ।।
भाव : रहीम कहते हैं कि हमें बड़ी वस्तु को देखकर छोटी वस्तु का अनादर नहीं करना चाहिए । छोटों का भी अपना महत्व होता है। जैसे छोटी सी सुई का काम तलवार नहीं कर सकता। हर वस्तु का अपना महत्व होता है।
భావం: పెద్ద వస్తువులను చూసి చిన్న వాటి పట్ల చిన్న చూపు ఉండరాదు. చిన్నవాటికి కూడా వాటి ప్రాముఖ్యత ఉంటుంది. చిన్నసూది చేసే పనిని పెద్ద ఖడ్గం చేయలేదు. ప్రతి వస్తువుకు దాని ప్రాముఖ్యత ఉంటుంది. దేనిపట్ల నిర్లక్ష్య భావన ఉండరాదు.
Meaning: Rahim says that we should not neglect the small things by seeing the big things. A great sword cannot do what a small needle does. Every thing has its importance. There should be no sense of negligence.
10. रहिमन निज संपत्ति बिना, कोउ न बिपति सहाय ।
बिनु पानी ज्यों जलज को, नहिं रवि सके बचाय ॥
भाव : रहीम कहते हैं कि संकट की स्थिति में मनुष्य की निजी धन दौलत ही उसकी सहायता करती है। कमल की मूल संपत्ति पानी है। उसी से वह जीवित रहता है। यदि पानी न रहे तो सूर्य भी कमल को जीवन नहीं दे सकता। उसी प्रकार मनुष्य को कितनी भी बाहरी सहायता मिलें – उसकी वास्तविक रक्षक तो उसकी निजी संपत्ति ही होती है।
భావం: ఆపద సమయంలో మనిషికి తన సంపదయే ఆసరాగా నిలుస్తుంది. తామరకు మూలం నీరు. దానిపై ఆధారపడే అది జీవిస్తుంది. నీరు లేకపోతే సూర్యుడు దానికి జీవం పోయడు. అలాగే మనిషికి బాహ్య సహాయాలు ఎంత లభించినా అతని నిజమైన రక్షణగా నిలిచేది తన సంపదయే. ఇతరులపై ఆధారపడకుండా తన సామర్థ్యాలనే నమ్ముకొని ప్రవర్తించాలి.
Meaning: Rahim says that in the situation of crisis, a person’s personal wealth only helps to over come it. Water is the original property of lotus. It lives on the base of water only. Without water, sun cannot give life to it. Similarly, no matter how much external wealth a man has, his real protection is his wealth. He should act on his own without relaying on others.
11. रहिमन पानी राखिए, बिनु पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरे, मोती, मानुष, चून ॥
भाव : रहीम के अनुसार पानी का बड़ा महत्व है। इसे बनाये रखना है। पानी के बिना मोती, मनुष्य, चूने का महत्व नहीं रहता । चमक के बिना मोती बेकार है। आत्म सम्मान के बिना मनुष्य का जीवन व्यर्थ है। पानी के बिना चूना (आटा) काम नहीं आ सकता । रोटी नहीं बन सकती है।
భావం: నీటికి చాలా ప్రాధాన్యత కలదు. అనగా నీరు లేకుండా ముత్యము, మనిషి మరియు సున్నము (పిండి)కు ప్రాముఖ్యత లేదు. ముత్యానికి మెరుపు లేకపోతే పనికిరాదు. ఆత్మ గౌరవం లేకపోతే జీవితం వ్యర్థం. నీరు
లేకుండా పిండితో వంటకాలు చేయలేము.
Meaning: Rahim says that, water is of great importance. Means without water there is no value for pearl, man & flour. A pearl without luster is worthless. Without self-respect man’s life is waste. Without water, we cannot make bread with flour.
शब्दार्थ/(అర్ధములు)/(Meanings) :
- चटकाय = चटकाकर, by snapping, చిటపట శబ్దం చేయు
- बिथा = व्यथा, दु:ख, वेदना, agour, distress, pain, వేదన
- गोंय = छिपाकर, to conceal, దాచడం
- अठिलैहैं = इठलाना, मजाक उड़ाना, to make fun, ఎగతాళి
- सींचिबो = सिंचाई करना, पोधों में पानी देना, irrigate, నీటిలో తడుపుట
- अघाय = तृप्त, meaning, అర్ధం
- अरथ (अर्थ) = मायने, आशय, means, అనగా
- थोरे = थोड़ा, कम, few, some, కొద్ది
- पंक = कीचड़, mud, బురద
- उदधि = सागर, sea, సముద్రం
- नाद = ध्वनि, sound, ధ్వని
- रीझि = मोहित होकर, to get fascinated, మోహించబడి
- बिगरी = बिगड़ी हुई, broken, చెడిన
- फाटे दूध = फटा हुआ दूध, skimmed milk, విరిగిన పాలు
- मथे = बिलोना, मथना, churn, మథునం
- आवे = आना, come, వచ్చుట
- निज = अपना, personal, తన
- बिपति = मुसीबत, संकट, trouble, ఆపద
- पिआसो = प्यासा, thirsty, దాహం
- चित्रकूट = वनवास के समय श्री रामचंद्र जी, सीता और लक्ष्मण के साथ कुछ समय तक चित्रकूट में रहे थे, a famous forest place where Sri Ram had resided for many days during exile, వనహాసంలో\శ్రీరాముడు గడిపిన ప్రదేశం