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पतझर में टूटी पत्तियाँ : (i) गिन्नी का सोना (ii) झेन की देन AP 10th Class Hindi Sparsh 13th Lesson Questions and Answers
प्रश्न – अभ्यास
मौखिक –
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक- दो पंक्तियों में दीजिए।
प्रश्न I. 1.
शुद्ध सोना और गिन्नी का सोना अलग क्यों होता है?
उत्तर:
शुद्ध सोने में कोई मिलावट नहीं होती है। शुद्ध सोना 24 कैरेट वाला, कमज़ोर और कीमती होता
है। गिन्नी के सोने में ताँबा मिला होता है। वह 22 कैरेट वाला मज़बूत और चमकदार होता है।
స్వచ్ఛమైన బంగారంలో కల్తీ ఉండదు. అది 24 క్యారట్ల బంగారం ఖరీదైనది మరియు అంత పటిష్టంగా ఉండదు. నాణెపు బంగారంలో రాగి కలుపబడి ఉంటుంది. అది 22 క్యారట్ల బంగారం దృఢంగా ఉంటుంది. మరియు మెరుస్తూ ఉంటుంది.
प्रश्न 2.
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट किसे कहते हैं ?
उत्तर:
आदर्शों को व्यावहारिकता के साथ प्रस्तुत करनेवालों को प्रैक्टिकल आइडियलिस्ट कहते हैं। शुद्ध आदर्श शुद्ध सोने के समान होते हैं। व्यावहारिकता ताँबा के समान होते हैं। शुद्ध आदर्शों में व्यावहारिकता मिलाने को प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट कहते हैं।
ఆచరణలో ఆదర్శాలను పాటించేవారిని ఆచరణాత్మక ఆదర్శవాదులు అని అంటారు. అసలైన ఆదర్శాలు స్వచ్ఛమైన బంగారం లాంటివి. ఆచరణ రాగి వంటిది. ఆదర్శాలను ఆచరణల్లో మిళితం చేసి వ్యవహరించేవారిని ఆచరణాత్మక ఆదర్శవాదులంటారు.
प्रश्न 3.
पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श क्या है ?
उत्तर:
शुद्ध आदर्श शुद्ध सोने के समान होते हैं। शुद्ध आदर्श में सबकी भलाई होती है। इसमें व्यावहारिकता नहीं होती। पाठ के संदर्भ में शुद्ध आदर्श सत्य, मूल्य सिद्धातों पर डटे रहना है।
ఆదర్శాలు స్వచ్ఛమైన బంగారం వంటివి. ఆదర్శాల్లో అందరి క్షేమం ఉంటుంది. ఇందులో ప్రాక్టికాలిటి ఉండదు. ఆదర్శాలు సత్యము, విలువలు, సిద్ధాంతాలు సూత్రాలకు కట్టుబడి ఉంటాయి.
प्रश्न II. 4.
लेखक ने जापानियों के दिमाग में ‘स्पीड’ का इंजन लगने की बात क्यों कही है?
उत्तर:
जापानी लोग विकास की प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे हैं। वे एक महीने में पूरा होनेवाला काम एक दिन में ही समाप्त करने की सोचते हैं। इसलिए लेखक ने जापानियों के दिमाग में स्पीड का इंजन लगने की बात कही है।
జపాను దేశ ప్రజలు అభివృద్ధి అనే పోటీలో ముందంజలో ఉన్నారు. వారు నెల రోజులు పట్టే పనిని ఒక్క రోజులో పూర్తి చేయాలని ఆలోచిస్తారు. అందుకే జపాన్ దేశీయుల మనసు స్పీడ్ ఇంజన్ వంటిదని అంటారు.
प्रश्न 5.
जापानी में चाय पीने की विधि को क्या कहते हैं?
उत्तर:
जापान में चाय पीने की विधि को चा नो- यू कहते हैं। इस टी- सेरेमनी में शांति की प्रमुखता होती है। चाय बनाने और पीने का यह काम अत्यंत शांतिपूर्ण वातावरण में होता है।
జపాన్ దేశంలో టీ సేవించే పద్ధతిని చా – నో – యూ అని అంటారు. ఈ టీ – వేడుకలో శాంతి ప్రధానంగా ఉంటుంది. అంటే దానికే ప్రాధాన్యత ఉంటుందని అర్థం. టీ తయారు చేయడం మరియు సేవించే ఈ ప్రక్రియ చాలా ప్రశాంతమైన వాతావరణంలో జరుగుతుంది.
प्रश्न 6.
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की क्या विशेषता है?
उत्तर:
जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है, उस स्थान की विशेषता :
- वह स्थान पर्णकुटी जैसा होता है। दीवारें लकडी सी होती हैं। वहाँ बहुत शांति होती है।
- प्राकृतिक ढंग से सज़ा होता है।
- उस छोटे स्थान में केवल तीन लोग बैठकर चाय पी सकते हैं।
- सबका स्वागत होता है।
- सारा काम बहुत गरिमा से होता है।
జపాన్ దేశంలో టీ అందించే ప్రదేశపు లక్షణాలు :
- ఆ ప్రదేశం కుటీరంలా ఉంటుంది. దాని గోడలు చెక్కతో కల్గి ఉంటాయి.
- ఆ ప్రదేశం చాలా ప్రశాంతంగా ఉంటుంది.
- అది సహజ పద్ధతిలో అలంకరించబడి ఉంటుంది.
- ఆ చిన్న ప్రదేశంలో ముగ్గురు మాత్రమే కూర్చొని టీ తాగేందుకు అనువుగా ఉంటుంది.
- అన్ని పనులు (టీ తయారీ అందించడం చేస్తారు) చాలా గౌరవంగా చేస్తారు.
लिखित –
क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए।
प्रश्न I. 1.
शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से और व्यावहारिकता की तुलना ताँबे से क्यों की गई है ?
उत्तर:
शुद्ध आदर्श शुद्ध सोने के समान मूल्यवान होते हैं। शुद्ध सोने में मिलावट नहीं होती। यदि उसमें ताँबा मिलाया जाता है तो, वह मज़बूत होता है। लेकिन उसकी शुद्धता कम हो जाती है। उसी प्रकार व्यावहारिकता में शुद्ध आदर्श समाप्त हो जाते हैं। आदर्शों के साथ व्यावहारिकता भी जरूरी है। इससे आदर्श मज़बूत हो जाते हैं।
ఆదర్శాలు స్వచ్ఛమైన బంగారం వలె విలువైనవి. స్వచ్ఛమైన బంగారంలో కల్తీ ఉండదు. దానిలో రాగిని కలిపితే అది దృఢంగా ఉంటుంది. కానీ దాని స్వచ్ఛత తగ్గిపోతుంది. అలాగే ఆచరణలో ఆదర్శాలు మాయమైపోతాయి. ఆదర్శాలతోపాటు ఆచరణాత్మకత కూడా చాలా ముఖ్యం.
प्रश्न II. 2.
चाजीन ने कौन सी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं ?
उत्तर:
चाजीन ने टी सेरेमनी से जुडी सभी क्रियाएँ गरिमापूर्ण ढंग से पूरी कीं। टी सेरेमनी एक पर्णकुटी में पूरी हुई थी। पहले अतिथि हाथ पैर धोकर अंदर गए थे। चाजीन से प्रेमपूर्वक उनका स्वागत किया। उन्हें बैठने की जगह दिखाई। अंगीठी सुलगाकर उस पर चायदानी रखी। कमरे से बर्तन लाकर उनको तौलिए से साफ़ किया। चाय को बर्तनों में डाला। ये सब क्रियाएँ अच्छे ढंग से की।
టీ తయారు చేయువాడు (టీ చాజీన్) టీ వేడుకకు సంబంధించిన అన్ని పనులను చాలా చక్కగా చేశాడు. టీ వేడుక ఒక కుటీరంలో జరిగింది. మొదటగా అతిథులు కాళ్ళు, చేతులు కడుక్కొని ప్రవేశించారు. చాజీన్ వారిని సాదరంగా ఆహ్వానించాడు. కూర్చోడానికి స్థలం చూపించాడు. పొయ్యి వెలిగించి దానిపై టీ పాత్రను ఉంచాడు. గదిలోని టీ కప్పులను తెచ్చి వాటిని మెత్తటి గుడ్డతో చక్కగా శుభ్రపరిచాడు. దీని కప్పులలో పోశాడు. కాగా ఈ పనులన్నింటినీ చాలా చక్కగా చేశాడు.
प्रश्न 3.
‘टी सेरेमनी’ में कितने आदमियों को प्रवेश दिया जाता था और क्यों ?
उत्तर:
टी – सेरेमनी में तीन आदमियों को प्रवेश दिया जाता था। भाग दौड की जिंदगी से दूर भूत भविष्य की चिंता छोड़कर शांत वातावरण में कुछ समय बिताना इसका मुख्य उद्देश्य होता है। टी सेरेमनी का स्थान शांतिपूर्वक था।
టీ – వేడుకకు ముగ్గురికే ప్రవేశం. గతం మరియు భవిష్యత్తుల ఆలోచనలన్నింటిని పక్కన పెట్టి, పరుగులు రోజువారి జీవితానికి దూరంగా ప్రశాంతమైన వాతావరణంలో కొంత సమయం గడపడం దీని ప్రధాన ఉద్దేశ్యం. ఈ ప్రదేశం చాలా ప్రశాంతంగా ఉంటుంది.
प्रश्न 4.
चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में क्या परिवर्तन महसूस किया ?
उत्तर:
चाय पीने के बाद लेखक ने स्वयं में ये परिवर्तन महसूस किया।
- उनके दिमाग से भूत भविष्यत उड गए थे। दिमाग सुन्न होता जा रहा था।
- केवल वर्तमान समय उसके सामने था।
- उन्हें लगा कि वे अनंतकाल से जी रहे हैं।
టీని సేవించాక రచయిత తనలో వచ్చిన మార్పును గమనించాడు : ఇప్పుడతనికి గతము మరియు భవిష్యత్తు ఆలోచనలు లేవు. మనస్సు చాలా ప్రశాంతంగా ఉంది. కేవలము ప్రస్తుత క్షణాలే అతని ముందున్నాయి. అనంత కాలం నుండి ఉంటున్నట్లు అనుభూతి కలిగింది.
ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए।
प्रश्न I. 1.
गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी; उदाहरण सहित इस बात की पुष्टि कीजिए ।
उत्तर:
गाँधीजी में नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी। उनका प्रयास था कि मानव व्यवहार आदर्श बने। वे आदर्शों का पालन करने में आगे रहे। व्यावहारिकता को आदर्शों पर चलाते थे। वे सोने में ताँबा नहीं, बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसका मूल्य बढ़ाते थे। उन्होंने सत्य और अहिंसा जैसा शाश्वत मूल्य समाज को दिए। उनके द्वारा चलाये गये अनेक आंदोलन इस बात की पुष्टि करते हैं। देशवासी उनके मार्गदर्शन को पूरा सहयोग दिया।
గాంధీజీలో అద్భుతమైన నాయకత్వ సామర్థ్యం కలదు. ప్రవర్తనయే ఆదర్శంగా ఉండాలనుకునేవారు ఆదర్శాలను పాటించుటలో ముందుండేవారు. ఆచరణాత్మకతను ఆదర్శాలలో చూసేవారు. బంగారంలో రాగిని కాకుండా, రాగిలోనే బంగారాన్ని కలిపి దాని విలువను పెంచేవారు. సత్యము, అహింస లాంటి శాశ్వత విలువలను సమాజానికి అందించారు. వారి అనేక ఉద్యమాలలో ఇవే గోచరిస్తాయి. దేశవాసులంతా వారి మార్గదర్శకత్వానికి పూర్తిగా సహకరించారు.
प्रश्न 2.
आपके विचार से कौन से ऐसे मूल्य हैं जो शाश्वत हैं? वर्तमान समय में इन मूल्यों की प्रासंगिकता
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
मेरे विचार में सत्य, अहिंसा, दया, प्रेम, त्याग, भाईचारा, परोपकार, ईमानदारी, मानवीयता आदि मूल्य शाश्वत हैं। जब इन मूल्यों में गिरावट आती है तो समाज का नैतिक पतन होता है। समाज को सत्य, अहिंसा आदि मूल्य आज भी अत्यंत आवश्यक हैं। इनके बिना राष्ट्र कल्याण नहीं हो सकता ।
నా దృష్టిలో సత్యము, అహింస, దయ, ప్రేమ, త్యాగము, సోదర భావం, పరోపకారం, దాతృత్వం, మానవత్వం మొదలగు విలువలే శాశ్వతమైనవి. ఈ విలువలు క్షీణించినప్పుడు సమాజపు నైతిక పతనం మొదలవుతుంది. సత్యము, అహింస, మొదలగు విలువలు సమాజానికి నేటికీ చాలా అవసరం. ఇవి లేకుండా దేశ సంక్షేమము
प्रश्न 3.
अपने जीवन की किसी ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जब –
1. शुद्ध आदर्श से आपको हानि लाभ हुआ हो।
2. शुद्ध आदर्श में व्यावहारिकता का पुट देने से लाभ हुआ हो ।
उत्तर:
1. एक बार मेरा मित्र परीक्षा में नकल कर रहा था। आदर्श का पालन करनेवाला मैं ने नकल के बारे में अध्यापक को बता दिया था। अध्यापक ने तो मेरी प्रशंसा की । लेकिन उस दिन से मेरे मित्र ने मुझसे बात करना छोड दिया।
ఒకసారి నా స్నేహితుడు పరీక్షల్లో కాపీ కొడుతుండగా, ఆదర్శాలను పాటించే నేను ఉపాధ్యాయునికి తెలియపర్చాను. దీనికై ఉపాధ్యాయుడు నన్ను అభినందించారు. కానీ అప్పట్నుండి నా స్నేహితుడు నాతో ‘మాట్లాడటం మానేశాడు.
2. एक बार मैं और मेरा मित्र स्कूल से निकलकर सिनेमा देखने की योजना बनायी। रास्ते में मैं ने अपने मित्र को झूठ और चोरी परिणामों से अवगत कराया। तुरंत वह मेरी बात मान गया। हम फिर वापस स्कूल आ गए।
ఓ సారి నేను నా స్నేహితుడు స్కూలు నుండి వెళ్ళిపోయి సినిమా చూడాలని ప్లాన్ వేసుకున్నాము. దార్లో నేను దొంగతనం, అసత్యం వల్ల జరిగే అనర్థాలను వివరించాను. వెంటనే నా మిత్రుడు నా మాట విని నాతో పాటు తిరిగి వెనక్కి వచ్చేశాం.
प्रश्न 4.
शुद्ध सोने में ताँबे की मिलावट या ताँबे में सोना, गाँधीजी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में यह बात किस तरह झलकती है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
शुद्ध सोना आदर्शों का प्रतीक है। ताँबा व्यावहारिकता का प्रतीक है। शुद्ध सोने में ताँबे की मिलावट का अर्थ है – आदर्शवाद में व्यवहारवाद को मिला देना। गाँधीजी ने शुद्ध आदर्शों पर चलकर व्यवहारिकता के मूल्य को पहचाना और व्यवहारिकता को आदर्शों के स्तर पर उठाने का प्रयास किया। वे ताँबे में सोना मिलाकर उसका मूल्य बढाते थे। उन्हें लोग प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट कहते थे।
స్వచ్ఛమైన మేలిమి బంగారం ఆదర్శాలకు ప్రతీక. రాగి ఆచరణ్మాకతకు ప్రతీక. బంగారంలో రాగిని కలపడం అంటే ఆదర్శవాదంలో వ్యావహారికవాదాన్ని కలపడమని అర్థం. గాంధీజీ ఆదర్శాలను అనుసరించడం ద్వారా ఆచరణాత్మకతల విలువలను గుర్తించారు. ఆచరణాత్మకతను ఆదర్శాల స్థాయికి పెంచడానికి ప్రయత్నించారు. వారు రాగిలో బంగారాన్ని కలిపి దాని స్థాయిని పెంచేవారు. అందుకే ప్రజలు గాంధీజీని ఆచరణాత్మక ఆదర్శవాది అంటారు.
प्रश्न 5.
‘गिरगिट’ कहानी में आपने समाज में व्याप्त अवसरानुसार अपने व्यवहार को पल पल में बदल डालने की एक बानगी देखी। इस पाठ के अंश ‘गिन्नी का सोना के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए कि ‘आदर्शवादिता’ और ‘व्यावहारिकता’ इनमें से जीवन में किसका महत्व है ?
उत्तर:
जीवन में आदर्शवादिता का ही महत्व है। यदि व्यावहारिकता को आदर्शों के साथ मिला दें तो उसकी
सार्थकता होती है। समाज का सही मार्गदर्शक आदर्शवादी होता है। आदर्श शुद्ध सोने के समान है। इसमें व्यवहारिकता रूपी ताँबा मिलाकर उपयोगी बनाया जा सकता है। व्यवहारवादी केवल अपने बारे में सोचता है।
జీవితంలో ఆదర్శవాదం ముఖ్యం. ఆదర్శాలతో ఆచరణాత్మకత కలిస్తే అది సార్థకమౌతుంది. ఆదర్శవాదులే సమాజానికి సరైన మార్గదర్శకులు. ఆదర్శాలు మేలిమి బంగారం వంటివి. వీటిలో ఆచరణాత్మకత (ప్రాక్టికాలిటీ) అనే రాగిని జోడించడం ద్వారా ఇది ఉపయోగకరంగా ఉంటుంది. వ్యావహారికవాది కేవలం తన లాభనష్టాల గురించే ఆలోచిస్తాడు.
प्रश्न II. 6.
लेखक के मिन्र ने मानसिक रोग के क्या – क्या कारण बताए? आप इन कारणों से कहाँ तक सहमत हैं?
उत्तर:
मानसिक रोग का प्रमुख कारण प्रतिस्पर्धा है। जापानी लोग प्रतिस्पर्धा की होड में है। वे एक महीने का काम एक दिन में करने की कोशिश करते हैं। उनके दिमाग की रफतार हमेशा तेज ही रहती है। इस भागदौड़ में उनको अपने स्वास्थ्य का ध्यान नहीं होता । इस कारण उनका मानसिक संतुलन बिगड जाता है। शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार रहने लगे हैं।
మానసిక అనారోగ్యానికి ప్రధాన కారణం పోటీతత్వం. జపాన్ దేశ ప్రజలు ఈ పోటీ అనే రేసులో ఉన్నారు. వారు ఒక నెలలో జరగాల్సిన పనిని ఒక్క రోజులో పూర్తి చేయాలని ప్రయత్నిస్తారు. వారి ఆలోచన చాలా వేగంగా ఉంటుంది. ఈ హడావిడిలో వారికి వారి ఆరోగ్యం పట్ల శ్రద్ధ ఉండదు. దీనివలన వారి మానసిక సమతుల్యత దెబ్బ తింటుంది. శారీరకంగా, మానసికంగా అనారోగ్యం పాలవుతారు.
प्रश्न 7.
लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है, उसी में जीना चाहिए। लेखक ने ऐसा क्यों कहा होगा ?
स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
लेखक के अनुसार सत्य केवल वर्तमान है। उसी में जीना चाहिए। हम अकसर भूत या भविष्यत काल में जीते हैं। वास्तव में ये दोनों काल मिथ्या है। वर्तमान ही सत्य है। इसलिए भूतकाल से शिक्षा लेकर, भविष्यत की योजनाओं को वर्तमान में ही लागू करना है। वर्तमान काल की वास्तविकता और सत्यता देखकर उसी में जीना चाहिए।
రచయిత ప్రకారం వర్తమానమంటే సత్యమే. సత్యం మాత్రమే ఉంటుంది. అందులోనే జీవించాలి. కానీ మనం తరచుగా గతం మరియు భవిష్యత్తులలో జీవిస్తాము. నిజానికి ఇవి రెండు తప్పు. అంటే భ్రమ లాంటివి. ప్రస్తుతం జరిగేది మాత్రమే నిజం. అందువల్ల గతం నుండి నేర్చుకొని, భవిష్యత్తు ప్రణాళికలను అమలుపరచాలి. ప్రస్తుతం జరిగే దానిలో వాస్తవికతను సత్యాన్ని చూసి దానిలోనే జీవించాలి.
ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए।
प्रश्न I. 1.
समाज के पास अगर शाश्वत मूल्यों जैसा कुछ है तो वह आदर्शवादी लोगों का ही दिया हुआ है।
उत्तर:
आदर्शवादी समाज को राह दिखाते हैं। व्यवहारवादी केवल अपने बारे में सोचते हैं। आदर्शवादी के व्यवहार में सत्य, अहिंसा, समानता, मानवता आदि दिखाई देती हैं। समाज को शाश्वत मूल्य उनके द्वारा ही प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 2.
जब व्यावहारिकता का बखान होने लगता है तब ‘प्रैक्टिकल आइडियालिस्टों’ के जीवन से आदर्श धीरे- धीरे पीछे हटने लगते हैं और उनकी व्यावहारिक सूझ बूझ ही आगे आने लगती है।
उत्तर:
जब लोग व्यावहारिकता को प्रमुखता देने पर आदर्शों को भूल जाते हैं। प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट लोगों में स्वार्थ भावना होती है। व्यावहारिकता उनके जीवन में हावी हो जाती है।
प्रश्न II. 3.
हमारे जीवन की रफ़्तार बढ़ गई है। यहाँ कोई चलता नहीं बल्कि दौड़ता है। कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब अकेले पड़ते हैं तब अपने आपसे लगातार बड़बड़ाते रहते हैं।
उत्तर:
इस पंक्ति में जापानियों के जीवन का वर्णन है। जापानी लोग अमेरिका से प्रतिस्पर्धा करने लगे। इससे उनका जीवन असामान्य होने लगा है। जीवन की भाग दौड में उनके पास न अपने और न अपनों के लिए समय है। उनके जीवन में चैन नहीं है। इससे जापानी लोग तनावपूर्ण जीवन बिताते हैं।
प्रश्न 4.
सभी क्रियाएँ इतनी गरिमापूर्ण ढंग से कीं कि उसकी हर भंगिमा से लगता था मानो जयजयवंती के सुर गूँज रहे हों।
उत्तर:
चाय परोसनेवाला चाजीन टी – सेरेमन पर्णकुटी में हर कार्य को बहुत ही शांति से करता है। ऐसा लगता है कि कोई कलाकार एकाग्रता से गीत गा रहा है।
भाषा-अध्ययन :
प्रश्न I. 1.
नीचे दिए गए शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए –
व्यावहारिकता, आदर्श, सूझ बूझ, विलक्षण, शाश्वत
उत्तर:
व्यावहारिकता – समय और अवसर देखकर कार्य करने की सूझ
हमारे प्रधानाध्यापक की व्यावहारिकता सीखने योग्य है।
आदर्श – उत्कृष्टता, श्रेष्ठतम अवस्था
हमें हमेशा अपने आदर्श ऊँचे रखना चाहिए।
सूझ-बूझ – काम करने की सूझ
सूझ-बूझ से काम करने पर सफलता मिलती है।
विलक्षण – अपूर्व, असाधारण
अब्दुल कलाम विलक्षण प्रतिभा के धनी थे।
शाश्वत – चिरस्थायी, सदैव रहनेवाला ।
सत्य, अहिंसा, त्याग जीवन के शाश्वत नियम हैं।
प्रश्न 2.
लाभ हानि’ का विग्रह इस प्रकार होगा लाभ और हानि
यहाँ द्वंद्व समास है जिसमें दोनों पद प्रधान होते हैं। दोनों पदों के बीच योजक शब्द का लोप करने के लिए योजक चिह्न लगाया जाता है। नीचे दिए गए द्वंद्व समास का विग्रह कीजिए –
क) माता-पिता = _______.
ख) पाप-पुण्य = _______.
गं) सुख-दुख = _______.
घ) रात-दिन = _______.
ङ) अन्न जल = _______.
च) घर-बाहर = _______.
छ) देश-विदेश = _______.
उत्तर:
क) माता- पिता = माता और पिता
ख) पाप-पुण्य = पाप और पुण्य
ग) सुख – दुख = सुख और दुख
घ) रात-दिन = रात और दिन
ङ) अन्न-जल = अन्न और जल
च) घर-बाहर = घर और बाहर
छ) देश-विदेश = देश और विदेश
प्रश्न 3.
नीचे दिए गए विशेषण शब्दों से भाववाचक संज्ञा बनाइए –
क) सफल = _______.
ख) विलक्षण = _______.
ग) व्यावहारिक = _______.
घ) सजग = _______.
ङ) आदर्शवादी = _______.
च) शुद्ध = _______.
उत्तर:
क) सफल = सफलता
ख) विलक्षण = विलक्षणता
ग) व्यावहारिक = व्यावहारिकता
घ) सजग = सजगता
ङ) आदर्शवादी = आदर्शवादिता
च) शुद्ध = शुद्धता
प्रश्न 4.
नीचे दिए गए वाक्यों में रेखांकित अंश पर ध्यान दीजिए और शब्द के अर्थ को समझिए
क) शुद्ध सोना अलग है।
ख) बहुत रात हो गई अब हमें सोना चाहिए।
ऊपर दिए गए वाक्यों में ‘सोना’ का क्या अर्थ है ? पहले वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है धातु ‘स्वर्ण’ । “दूसरे वाक्य में ‘सोना’ का अर्थ है ‘सोना नामक क्रिया अलग अलग संदर्भों में ये शब्द अलग अर्थ देते हैं अथवा एक शब्द के कई अर्थ होते हैं। ऐसे शब्द अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं। नीचे दिए गए शब्दों के भिन्न- भिन्न अर्थ स्पष्ट करने के लिए उनका उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए
उत्तर, कर, अंक, नग
उत्तर:
प्रश्न II. 5.
नीचे दिए गए वाक्यों को संयुक्त वाक्य में बदलकर लिखिए –
क) 1. अँगीठी सुलगायी।
2. उस पर चायदानी रखी।
उत्तर:
अँगीठी सुलगायी और उस पर चायदानी रखी।
ख) 1. चाय तैयार हुई।
2. उसने वह प्यालों में भरी ।
उत्तर:
चाय तैयार हुई और उसने वह प्यालों में भरी ।
ग) 1. बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया।
2. तौलिये से बरतन साफ़ किए ।
उत्तर:
बगल के कमरे से जाकर कुछ बरतन ले आया और तौलिये से बरतन साफ़ किए ।
प्रश्न II. 6.
नीचे दिए गए वाक्यों से मिश्र वाक्य बनाइए –
क) 1. चाय पीने की यह एक विधि है।
2. जापानी में उसे चा नो यू कहते हैं।
उत्तर:
चाय पीने की यह एक विधि है जिसे जापानी में चा- नो- यू कहते हैं।
ख) 1. बाहर बेढ़ब सा एक मिट्टी का बरतन था।
2. उसमें पानी भरा हुआ था।
उत्तर:
बाहर बेढब – सा एक मिट्टी का बरतन था। जो पानी से भरा हुआ था।
ग) 1. चाय तैयार हुई |
2. उसने वह प्यालों में भरी ।
3. फिर वे प्याले हमारे सामने रख दिए ।
उत्तर:
जब चाय तैयार हुई तब वह प्यालों में भरकर हमारे सामने रखी गई।
योग्यता – विस्तार :
प्रश्न I. 1.
गाँधीजी के आदर्शों पर आधारित पुस्तकें पढ़िए जैसे महात्मा गाँधी द्वारा रचित ‘सत्य के प्रयोग’ गिरिराज किशोर द्वारा रचित उपन्यास ‘गिरमिटिया’ ।
उत्तर:
स्वतंत्रता आंदोलन के नेता हमारे राष्ट्रपिता माने जाते हैं। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी है। उनके जीवन को आधारित बनाकर गिरिराज किशोर ने गिरमिटिया उपन्यास लिखा। इस उपन्यास में गाँधीजी समुच्च मानव जाति के लिए मिसाल बताया गया है। उन्होंने हर परिस्थिति में सत्य और अहिंसा का पालन किया। लोगों से भी पालन करने के लिए कहा। उन्होंनें अपना जीवन सदाचार में बिताया। वे हमेशा परंपरागत भारतीय पोशाक धोती और सूत से बनी शाल पहनते थे।
सदैव शाकाहारी भोजन करते थे। इस उपन्यास में गाँधीजी के जीवन की सभी घटनाओं का जिक्र है। जैसे जन्म, पढाई, बचपन, पसंद, उनकी परेशानी, चोरी और प्रायश्चित्त आदि का जिक्र है। इस तरह से गाँधीजी के जीवन पर आधारित ‘ गिरमिटिया’ उपन्यास लिखा गया है। यह गाँधीजी के जीवन के आदर्शों को ध्यान में रखकर लिखा गया है।
प्रश्न 2.
पाठ में वर्णित ‘टी- सेरेमनी’ का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर:
टी. सेरेमनी में जापानी लोग अपने आपको सुकून देने जाते हैं। वहाँ तीन से अधिक लोग नहीं होते। वहाँ थोडी सी चाय को तीन या चार घुँटों में पिया जाता है। वहाँ चाय पीने से तन और मन दोनों को शांति मिलती है। जापान में कोई आराम से नहीं चलता। एक- दूसरे से आगे निकलने की सोच रखते हैं। कोई भी आदमी आराम से बात नहीं करता। वे लोग केवल काम की बात करते हैं।
जापानी लोग अमेरिका से स्पर्धा करते हैं। वे एक महीने में पूरे होनेवाले काम को एक दिन में करने की सोच. करते हैं। इसलिए उनमें मानसिक बीमारी फैल गई है। इसलिए लेखक के मित्र ने उन्हें एक चाय पीने के स्थान पर ले गया । वह एक छः मंज़िल की इमारत थी। उसकी छत पर एक सरकनेवाली दीवार थी। जिस पर चित्रकारी की गई थी। पत्तों की एक कुटिया बनी हुई थी जिसमें ज़मीन पर चटाई बिछी हुई थी।
परियोजना कार्य :
प्रश्न 1.
भारत के नक्शे पर वे स्थान अंकित कीजिए जहाँ चाय की पैदावार होती है। इन स्थानों से संबंधित भौगोलिक स्थितियों और अलग-अलग जगह की चाय की क्या विशेषताएँ हैं, इनका पता लगाइए और परियोजना पुस्तिका में लिखिए।
उत्तर:
भारत में चाय की पैदावर होनेवाले प्रांत :
- असम : दुनिया में चाय का सबसे बडा उत्पादन क्षेत्र है। यहाँ की चाय दुनिया में सबसे बेहतरीन चाय मानी जाती है।
- दार्जिलिंग : पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग में मिलनेवाली हल्के रंग की चाय अपनी खुशबू और स्वाद के लिए मशहूर है।
- नीलगिरि : तमिलनाडु के एक जिले का नाम नीलगिरि है। यह एक पर्वत श्रृंखला है जो तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल में फैली है। इन पहाडियों पर उगाई जानेवाली चाय अपने काले रंग, सुगंध और स्वाद के लिए मशहूर है।
- मुन्नार यह केरल में स्थित है। मुन्नार में विशाल चाय के बागान है। ये स्थान अपने खूबसूरत नज़ारों के लिए प्रसिद्ध है।
- कोलक्कुमालै: यह चाय एस्टेट काफ़ी ऊँचाई पर स्थित है। ऊँचाई पर होनेवाली चाय की खेती से चाय में एक अनूठा स्वाद और सुगंध शामिल हो जाती है।
व्याकरणांश (వ్యాకరణాంశాలు)
पर्यायवाची शब्द :
- जागरूक – सचेत, चौकन्ना
- सोना – स्वर्ण, कनक
- विलक्षण – निराला, अनोखा, बेजोड
- आदर्श – मानक, प्रतिरूप, मिसाल
- शुद्ध – साफ़, पवित्र, निर्मल
- ताँबा – ताम्र, ताम्रक
- कीमत – मूल्य, दाम
- कोशिश – प्रयत्न, प्रयास
- तनाव – उत्तेजना, खिंचाव
- उलझन – दुविधा, अनिश्चय
- प्रतिस्पर्धा – होड, प्रतिद्वंद्विता
- दिमाग – मस्तिष्क, बुद्धि
- मिथ्या – भ्रम, झूठा
विलोम शब्द :
- पक्ष × विपक्ष
- ज़्यादा × कम
- सक्रिय × निष्क्रिय
- हमेशा × कभी – कभी
- शुद्ध × अशुद्ध, अस्वच्छ
- तनाव × शांत
- शाश्वत × क्षफिक, अशाश्वत, नश्वर
- जागरूक × बेखबर, उदासीन, अचेत
- चिंतन × नश्वर
- खट्टा × मीठा
- याद × भूल
- आगे × पीछे
- ऊपर × नीचे
- अंदर × बाहर
- कठिन × सरल
- मिथ्या × सत्य
- चैन × बेचैन
- मज़ूत × कमज़ोर
- तेज़ × धीमा
- बंद × खुला
बचन :
- पत्ता – पत्ते
- गहना – गहनें
- रोग – रोग
- बरतन – बरतन
- कथा – कथाएँ
- बात – बातें
- कृटिया – कुटियाँ
- घूँट – घूँटें
- कहानी – कहानियाँ.
- बीमारी – बीमारियाँ
- प्याला – प्याले
लिंग :
- कवि – कवइत्री
- गायक – गायिका
- नेता – नेत्री
- बालक – बालिका
- विद्वान – विदुषी
- साधु – साध्वी
- सेवक – सेविका
- ऊँट – ऊँटनी
- घोडा – घोडी
- नौकर – नौकरानी
- मालिक – मालकिन
- शिष्य – शिष्या
- स्वामी – स्वामिनी
- भाग्यवान – भाग्यवती
- गधा – गधी
- देव – देवी
- पुरुष – स्त्री
- शिक्षक – शिक्षिका
- श्रीमान – श्रीमती
- पान – छात्रा
- मर्द – औरत
समास :
- माता-पिता – माता और पिता – द्वंद्व समास
- पाप-पुण्य – पाप और पुण्य – द्वंद्व समास
- सुख-दुख – सुख और दुख – द्वंद्व समास
- रात-दिन – रात और दिन – द्वंद्व समास
- अन्न-जल – अन्न और जल – द्वंद्व समास
- घर-बाहर – घर और बाहर – द्वंद्व समास
- देश-विदेश – देश और विदेश – द्वंद्व समास
- रसोई घर – रसोई के लिए घर – तत्पुरुष समास
- राजपुत्र – राजा का पुत्र – तत्पुरुष समास
- प्रतिदिन – प्रत्येक दिन – अव्ययीभाव समास
- घर-घर – प्रत्येक घर – अव्ययीभाव समास
- बेशक – शक के बिना – तत्पुरुष समास
- धर्म ग्रंथ – धर्म का ग्रंथ – तत्पुरुष समास
- पंचवटी – पाँचों वटों का समाहार – द्विगु समास
- दाल-रोटी – दाल और रोटी – तत्पुरुष समास
शब्दार्थ और टिप्पणियाँ :
व्यावहारिकता = समय और अवसर देखकर कार्य करने की सूझ, అవకాశం ఆధారంగా పని చేసే సామర్థ్యం, act ability based on opportunity
प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट = व्यावहारिक आदर्श, ఆచరణాత్మక ఆదర్శం, practical ideal
बखान = वर्णन करना / बयान करना, మరణించుట, to narrate
सूझ – बूझ = काम करने की समझ, పని పట్ల అవగాహన, working understanding
स्तर = श्रेणी, వర్గము, category
के स्तर = के बराबर, సమానంగా, equal to
सजग = सचेत, జాగరూకత, alert, conscious
शाश्वत = जो सदैव एक – सा रहे / जो बदला न जा सके, శాశ్వతమైన, eternal
शुद्ध सोना = 24 कैरेट का (बिना मिलावट का) सोना, స్వచ్ఛమైన మేలిమి బంగారం, pure gold
गिन्नी का सोना = 22 कैरेट का (सोने में ताँबा मिला हुआ) का सोना जिससे गहने बनाए जाते हैं, గినియా బంగారం, 22 క్యారెట్ల బంగారం (రాగి కలసినది), 22 carat gold
मानसिक = मस्तिष्क संबंधी / दिमागी, మానసిక, mental
मनोरुग्ण = तनाव के कारण मन से अस्वस्थ, ఒత్తిడి వల్ల మానసిక అశాంతి, mentally ill due to stress
प्रतिस्पर्द्धा = होड़, పోటీ, competition
स्पीड = गति, చలనం, వేగం, motion, speed
टी-सेरेमनी = जापान में चाय पीने का विशेष आयोजन, టీ వేడుక – జపానులో టీ సేవించే ప్రత్యేక కార్యక్రమం,
tea ceremony
चा – नो – यू = जापान में टी – सेरेमनी का नाम, జపాన్ భాషలో టీ వేడుక పేరు, a tea ceremony name in Japanese
दफ़्ती = लकड़ी की खोखली सरकने वाली दीवार जिस पर चित्रकारी होती है, చెక్కతో తయారైన స్లైడింగ్ గోడ, carton, wooden sliding wall
पर्णकुटी = पत्तों से बनी कुटिया, గుడిసె, hut
बेढब-सा = बेडोल – सा, ఆకారం లేని, out of slope
चाजीन = जापानी विधि से चाय पिलाने वाला, జపాను దేశ పద్ధతిలో టీ చేయువాడు, Japanese tea maker
गरिमापूर्ण = सलीके से, మర్యాద పూర్వకంగా, politely
भंगिमा = मुद्रा, భంగిమ, procedure
जयजयवंती = एक राग का नाम, ఒక రాగం పేరు, name of a raga
खदबदाना = उबलना, ఉడుకుట, boil
उलझन = असमंजस की स्थिति, గందరగోళం, state of confusion
अनंतकाल = वह काल जिसका अंत न हो, ఎప్పటికీ ముగియని సమయం, eternity
सत्नाटा = खामोशी, నిశ్శబ్దం, silence
मिथ्या = भ्रम, భ్రమలు, false illusions
लेखक परिचय :
7 मार्च, 1925 को कोंकण क्षेत्र में जन्मे रवींद्र केलेकर छात्र जीवन से ही गोवा मुक्ति आंदोलन में शामिल हो गए थे। गाँधीवादी चिंतक के रूप में विख्यात केलेकर ने अपने लेखन में जन – जीवन के विविध पक्षों, मान्यताओं और व्यक्तिगत विचारों को देश और समाज के परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया है। इसकी अनुभवजन्य टिप्पणियों में अपने चिंतन की मौलिकता के साथ ही मानवीय सत्य तक पहुँचने की सहज चेष्टा रहती है।
कोंकणी और मराठी के शीर्षस्थ लेखक और पत्रकार रवींद्र केलेकर की कोंकणी में पच्चीस, मराठी में तीन, हिंदी और गुजराती में भी कुछेक पुस्तकें प्रकाशित हैं। केलेकर ने काका कालेलकर की अनेक पुस्तकों का संपादन और अनुवाद भी किया है।
गोवा कला अकादमी के साहित्य पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित केलेकर की प्रमुख कृतियाँ हैं – कोंकणी में उजवाढ़ाचे सूर, समिधा, सांगली, ओथांबे ; मराठी में कोंकणीचें राजकरण, जापान जसा दिसला और हिंदी में पतझर में टूटी पत्तियाँ।
I. गिन्नी का सोना Summary in Telugu
స్వచ్ఛమైన బంగారానికి, బంగారు నాణేలకు చాలా తేడా ఉంది. బంగారు నాణేనికి కొద్దిగా రాగి కలుపబడుతుంది. దీని కారణంగా ఇది స్వచ్ఛమైన బంగారం కంటే ఎక్కువగా మెరుస్తుంది. స్వచ్ఛమైన బంగారం కంటే (బలంగా) దృఢంగా ఉంటుంది. మహిళలు తరచుగా ఈ బంగారపు ఆభరణాలనే తయారు చేయించుకుంటారు. అవి స్వచ్ఛమైన బంగారంతో తయారైనవి కావు. గినియా బంగారు నగలనే అర్థం.
ఆదర్శం (ఉన్నతమైన వ్యక్తిత్వం) స్వచ్ఛమైన బంగారం వంటిది. కొంత మంది ఈ గుణాలలో ప్రాక్టికాలిటి లాంటి కొద్దిగా రాగిని కలుపుతారు. అంటే ఉదాత్త వ్యక్తిత్వంలో ప్రాక్టికాలిటీని జోడిస్తారని అర్థం. అప్పుడు మనం వారిని.. ఆచరణాత్మక ఆదర్శవాదులు అని కీర్తిస్తాము.
వ్యక్తిత్వ వర్ణన ఎప్పుడూ ఆదర్శాలకు సంబంధించినదే కాదు. అది ఆచరణాత్మకత గురించి అని కూడా తెల్సుకోవాలి. ఎప్పుడైతే ఆచరణాత్మకతను కీర్తిస్తారో అప్పుడు ఆచరణాత్మక ఆదర్శవాదుల జీవితాల నుండి ఆదర్శాలు క్రమేపి తగ్గిపోతాయి. వారి ఆలోచనాశక్తి పెరుగుతుంది. అంటే బంగారం కంటే ఎక్కువగా రాగి కన్పిస్తుంది.
గాంధీజీని ఆచరణాత్మక ఆదర్శవాదని కొద్దిమంది అంటుంటారు. ఆయన తనలోని ప్రాక్టికాలిటి విలువ తెల్సుకొని విలక్షణ ఆదర్శాలను కొనసాగేలా చేయగలిగారు. అలా గాంధీజీ చేయకుంటే అవి నిరర్థకంగానే ఉండేవి. దేశం ఎప్పటికీ ఆయనను అనుసరించేది కాదు. గాంధీజీ తన ఆశయాలకు ప్రాధాన్యత ఇవ్వకపోతే దేశం మొత్తం ఆయనతో చేయి – చేయి కలిపి ఎల్లవేళలా నిలబడి ఉండేది కాదు.
గాంధీజీ తన ప్రవర్తనలో తన ఆదర్శాలను కొనసాగించడానికి ప్రయత్నించాడు. ఆచరణలోనే ఆదర్శాలను కలగలిపాడు. ఆయన బంగారానికి రాగిని జోడించలేదు. రాగికి బంగారాన్ని జోడించి దాని విలువను పెంచారు. అందువల్లనే బంగారం లాంటి గుణాలే కన్పిస్తాయి.
ఆచరణాత్మక వ్యక్తులు ఎప్పుడూ అప్రమత్తంగా ఉంటారు. లాభనష్టాలను బేరీజు వేసుకునే ముందుకు అడుగు వేస్తారు. కాబట్టే వారు తమ జీవితంలో విజయవంతమయ్యారు. మరియు ఇతరుల కంటే మెరుగ్గా ముందుంటారు. ముందుగా వారు ఉన్నత స్థానానికి చేరాలి. తర్వాత తమతో పాటుగా ఇతరులను తీసుకువెళ్ళాలి. అయితే ఇది చాలా ఉదాత్తమైన విషయం. ఎల్లప్పుడూ ఆదర్శవాదులు మాత్రమే ఇలాంటి పనిని చేస్తారు. మన సమాజంలో శాశ్వతమైన విలువలు ఏమైనా మిగిలి ఉంటే అవి ఆదర్శప్రాయమైన వారి వల్లనే మనుగడలో ఉన్నాయి. అయితే ఆచరణాత్మక వ్యక్తులు తాము మాత్రమే వృద్ధిలోకి రావాలనుకుంటారు. సమాజం నష్టపోతున్నా వారికేం పట్టదు.
I. गिन्नी का सोना Summary in English
There is a lot of difference between pure gold and gold coins. A little copper is mixed to gold coin. Because of this reason gold coin has more shining than pure gold. It is even stronger than pure gold. Women often. That’s why women often get ornaments made with this gold coin. They are not made with pure gold. They are called orna- ments of Guinea gold.
Idealism or Noble personality is just like pure gold. Some people add practicality like copper with these characteristics. It means that they add practicality to the noble personality. Then we praise them as practical idealists.
The description of personality is not at all connected with ideals: we have to realise that it is also about practicality. Whenever practicality is praised ideals gradually di- minish from the lives of practical idealists. Their capacity to think or contemplate increases. That means that copper appears more than Gold.
Some people say that Gandhiji was a practical idealist. He was able to continue his ideals having known the value of practicality in him. If Gandhiji had not done the same they would have been useless the country would never have followed him. If Gandhiji had not given importance to his ideals the whole country would not stand by him and followed him hand in hand all the time.
Gandhiji tried to continue his ideals in his attitude. He mixed his ideals in his prac- ticality. He did not add copper to gold. By adding gold to copper he increased its value. That’s why only the character like gold appear.
Practical people are always vigilant. They move forward after careful evaluating the profits and losses. That’s why they became successful in their lives. And thus they are ahead before others. First they have to reach the highest position.
Later they have to take others with them. But this is the noble act. Only idealists can only do this thing. If permanent values remain in our society that they exist just because of these ideal- ists. But practice people only want to develop themselves. They don’t mind if society is lost.
II. झेन की देन Summary in Telugu
ఒకసారి నేను జపానులో ఉన్న స్నేహితుడితో, ఇక్కడి ప్రజలు ఏ వ్యాధులతో ఎక్కువగా బాధపడుతున్నారని అడిగాను. దానికి నా స్నేహితుడు ఇక్కడ 80% ప్రజలు మానసిక అనారోగ్యంతో బాధపడుతున్నారని జవాబిచ్చాడు. ఈ మానసిక వ్యాధి ఇంత తీవ్రంగా ఉండడానికి కారణం ఏమిటని ప్రశ్నించగా ఇక్కడి ప్రజల జీవితం చాలా వేగవంతమైనది (స్పీడు). ఇక్కడి ప్రజల జీవితాలలో నడిచే ఓపిక కానీ తీరక కానీ వారికి ఉండవు. జీవిత పరుగులో పరిగెడుతూనే ఉంటారు. ప్రతి ఒక్కరికి ముందుకు వెళ్ళాలనే తపనే ఉంటుందని బదులిచ్చాడు. జపాన్ లోని ప్రజలు ఎవరు ఎవరితోనూ మాట్లాడరు. అంటే అంత ఖాళీగా ఉండరని అర్థం.
ఒకవేళ ఒంటరిగా ఉన్నారని భావిస్తే తమలో తామే మాట్లాడుతారు కానీ ఇతరులతో మాట్లాడరు. జపాన్వాసులు అమెరికా దేశంతో పోటీ పడతారు. నెల రోజులు పట్టే పనిని ఒక్కరోజులో పూర్తి చేసే ఆలోచన చేస్తారు. ఏమైనప్పటికీ వారి మేధస్సు చాలా చురుకుగా ఉంటుంది. ఆ మేధస్సుకి స్పీడ్ అనే ఇంజన్ను అమర్చితే అది అనేక రెట్ల వేగంతో పరిగెడుతుంది. అటువంటి సమయంలో మనసు బాగా అలసిపోయి, మానసిక ఉద్రిక్తత కారణంగా ఇంజన్ మొత్తం పాడయ్యే సమయం వస్తుంది. ఇక్కడి ప్రజలలో ఈ మానసిక అనారోగ్యం పెరగడానికి ఇదే కారణం.
ఒకరోజు సాయంత్రం జపాన్ లో ఉన్న నా స్నేహితుడు ‘టీ’ తాగే ఒక ప్రత్యేక కార్యక్రమానికి తీసుకువెళ్ళాడు. జపాన్లో ‘టీ’ – తాగే పద్ధతిని చా – నో – యు అని అంటారు.
మేము టీ – పార్టీ కోసం వెళ్ళిన స్థలం ఆరంతస్తుల భవనం. దానిపై కప్పుపై నేలపై, చాపలతో, ఆకులతో చేసిన చిన్న గుడిసె ఉంది. బయట ఆకారం లేని ఒక మట్టి కుండ ఉంది. దాని నిండా నీళ్ళు ఉన్నాయి. ఆ నీళ్ళతో కాళ్ళు చేతులు కడుక్కుని తువ్వాలుతో తుడుచుకొని లోపలికి వెళ్ళాం. లోపల చానీజ్ (టీ ఇచ్చే వ్యక్తి) ఉన్నాడు. మమ్మల్ని చూడగానే లేచి నిలబడ్డాడు. వినయంగా వంగి మమ్మల్ని నమస్కరించాడు.
రండి విచ్చేయండని స్వాగతం పలికాడు. కూర్చునే చోటు చూపించాడు. పొయ్యి వెలిగించి దాని పై ‘టీ’ కాచే గిన్నె ఉంచాడు. పక్కనున్న గదిలోకి వెళ్ళి కొన్ని పాత్రలు తెచ్చాడు. టవలుతో ఆ తెచ్చిన పాత్రలను శుభ్రం చేశాడు. అతను పాత్రలు తేవడం మరియు వాటిని శుభ్రం చేయడం లాంటి పనులన్నీ చాలా చక్కగా చేశాడు. అక్కడ పాత్రలో టీ కోసం మరుగుతున్న శబ్దం కూడా వినిపించేంత ప్రశాంతంగా ఉంది అక్కడ వాతావరణం.
అతను టీని తాగడానికి ఏర్పాట్లు సిద్ధం చేశాడు. కప్పుల్లో టీ పోసి మా ముందు ఉంచాడు. అక్కడ మేం ముగ్గురు స్నేహితులు మాత్రమే ఉన్నాం. జపాన్లో జరిగే ఈ వేడుకలో అత్యంత ప్రత్యేకమైనది శాంతి. అందుకే అక్కడ ముగ్గురి కంటే ఎక్కువ మందిని అనుమతించరు. ఆ కప్పుల్లో టీ రెండు గుటకలకు మించి లేదు. మేము పెదాలను కప్పులకు ఆనించి నెమ్మదిగా టీ తాగసాగాం. టీని చప్పరిస్తూ ఆస్వాదిస్తూ తాగే ఈ క్రమం సుమారు గంటన్నర పాటు కొనసాగింది. ఇలా నెమ్మదిగా టీని ఆస్వాదిస్తూ తాగే పది పదిహేను నిముషాలు నేను చాలా ఇబ్బంది పడ్డాను. క్రమంగా నా మెదడు మందగించసాగింది. కాసేపయాక మెదడు పూర్తిగా స్తబ్దుగా అనిపించసాగింది. నిశ్శబ్దం కూడా విన్పించేంత శూన్య స్థితిలో ఉంటున్నట్లు అన్పించింది.
తరచుగా మనం గీతం యొక్క మంచి, చెడుల జ్ఞాపకాల్లో ఉండిపోతాం లేదా రాబోయే భవిష్యత్తు గురించి కలలు కంటుంటాం. మనం గతంలో కానీ భవిష్యత్తులో కానీ జీవిస్తూ ఉంటాం. కానీ ఈ రెండు కాలాలు భ్రమే. ఒకటి ఉంటే మరొకటి ఉండదు. అయితే మన ముందున్న క్షణం మాత్రమే సత్యం. ఇప్పుడు జరుగుతున్న కాలమే సత్యం. మనం అందులోనే బ్రతకాలి. ఆ రోజు టీ తాగుతుంటే నా మది నుండి గతం, భవిష్యత్తూ అదృశ్యమైనాయి. ప్రస్తుత క్షణం మాత్రమే ఉంది. జీవించడం అంటే ఏమిటో ఆరోజు నాకు తెలిసింది. జపాన్ దేశీయులు ఈ ధ్యాన సంప్రదాయాన్ని వారసత్వంగా పొందారు.
II. झेन की देन Summary in English
Once in Japan, I asked a friend of mine with what kind of diseses in the people are suffering there. For that my friend answered that 80% of people there are suffering from psychological diseases. When I asked him the reason for severity of the psycho- logical disease there he said that it was because of rapid life of the people.
There is no any partience or time in the lives of people there. They always keep running in their life run. He answered that everyone has earnest desire to no move forward in his life. In Japan people don’t speak to one another. That means that they are that much free.
If they feel that they are alone they speak to themselves but not to others. It means that they are not that much free. Japanese always compete with Americans. They always tries to complete one month’s work in one day. Their intelligence is that much fast and active.
If a speed engine is added to their intelligence, it runs faster by many times. At this instance their mind gets tired very much and because of psychological anxiety or emotional tension there will be a time when the total engine gets damaged. That is the reason for the psychological ill health of the people there.
One evening a friend of mine in Japan took me to a special tea drinking programme. The process of drinking tea in Japan is called ‘Da – no – o-you’.
The place of our tea party was six-storeyed building. On the floor of its terrace there was a hut made of mats and leaves, out side of it there was a shapeless pot. There was full of water in it. We washed our hands and legs with that water wiped out the wetness with a towel and entered the hut.
There was a Doneej (a person who serves tea) inside the hut us. He stood up on seeing. He bowed and greeted us politely. He welcomed us, showed us the place where we should sit. He lit the stove and put the kettle on it.
He went into another room and brought some vessels out. He cleaned the vessels he brought out with a towel. He beautifully did the activities like bringing the vessels and cleaning them. There was such a peaceful, serence atmosphere there that one could listen the sound of boiling tea. He made all the arrangements for drinking tea.
He poured tea in cups and put them before us. Only our three friends were there peace is the exclusively a special thing in the celebration that takes place in Japan. That’s why they won’t allow more than three people there. There was not atleast two guips of tea there in the cups. We were sipping the tea slowly keeping the cups touch- ing to our lips.
The process of enjoying the tea by smacking and sipping continued for an hour and a half. Thus I troubled …….. with these ten or fifteen times of sipping and enjoying the tea slowly. Gradually my mind was slumping. After sometime it became numb. It appeared that we were in deafening vacuum.
Often we will remain in the good and bad memeories of the past or we will be dream- ing about imminent future. Thus we live either in the past or in the future. But both these times are illusion. If one is there the other is not there. But the moment that is before us is true. The present is true. We should live in it. On that day when were drinking tea the past and the future disappeared from my mind. But only this moment is there. Thus I came to know what is meant by living. The Japanese got this tradition of meditation as heritage.