These AP 10th Class Hindi Important Questions 3rd Lesson मनुष्यता will help students prepare well for the exams.
मनुष्यता AP Board 10th Class Hindi 3rd Lesson Important Questions and Answers
भाग – I Q.No. 1-12 भाषा की बात
* निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सूचना के अनुसार लिखिए।
1. तत्सम / तद्भव
* रेखांकित शब्द का सही तत्सम तद्भव रूप पहचानकर लिखिए।
1. मनुष्य को दूसरों के लिए जीना है। मानुष को पुण्यकार्य करना चाहिए।
उत्तर:
मानुष
2. हमारी मृत्यु दूसरों के लिए होना चाहिए। हमारी मौत सबके लिए आदर्श होनी चाहिए।
उत्तर:
मौत
3. सभी को एक समान प्रेम करता है। उसे सभी लोग प्यार करते हैं।
उत्तर:
प्यार
4. हमें अच्छे कर्म करना चाहिए। इससे अपने काम की सभी सराहना करते हैं।
उत्तर:
काम
5. हमें वित्त को संचित करना है। उस धन को गरीबों के लिए उपयोग करना है।
उत्तर:
धन
6. विपत्ति में साहस से काम करना है। मुसीबत में ही असली मित्र की पहचान होती है।
उत्तर:
मुसीबत
7. दयालु के हस्त बडे विशाल हैं। होठों से हाथ ही महान है।
उत्तर:
हाथ
8. कर्ण ने शरीर का चर्म भी दिया। वह चमडा देकर दान वीर बन गया।
उत्तर:
चमडा
9. दधीचि ने अस्थियाँ को दान दिया। इंद्र ने उन हड्डियों से वज्रायुध बनाया।
उत्तर:
हड्डियों
10. अच्छे काम करने में विघ्न पहुँचाते हैं। कितनी रुकावट आने पर भी धैर्य को नहीं खोना है।
उत्तर:
रुकावट
2. क्रिया विशेषण
* निम्न लिखित वाक्यों में से क्रिया विशेषण शब्द चुनकर लिखिए।
11. अभीष्ट मार्ग पर ध्यान से आगे बढना चाहिए।
उत्तर:
ध्यान से
12. रास्ते में आनेवाले बाधाओं को जल्दी जल्दी हटाना है।
उत्तर:
जल्दी-जल्दी
13. मनुष्य को अच्छा जीना चाहिए।
उत्तर:
अच्छा
14. रंतिदेव ने अपना भोजन तुरंत दे दिया।
उत्तर:
तुरंत
15. इंद्र ने वज्रा युध से जोर से मारा।
उत्तर:
जोर से
16. दधीचि ने अपनी अस्थियाँ शीघ्र दे दिया था।
उत्तर:
शीघ्र
17. दूसरों की सेवा खूब करने को कहा गया।
उत्तर:
खूब
18. संत अच्छी तरह काम करता है।
उत्तर:
अच्छी तरह
19. हमें यहाँ से मार्ग चुनना है।
उत्तर:
यहाँ से
20. परसों बुजुर्ग की मृत्यु हुई थी।
उत्तर:
परसों
3. संख्याओं में लिखना
21. अठारह सौ अठासी संख्याओं में लिखिए।
उत्तर:
1888
22. उन्नीस सौ चौसठ संख्याओं में लिखिए।
उत्तर:
1964
23. सात सौ चौदह संख्याओं में लिखिए।
उत्तर:
714
24. उन्नीस सौ चार संख्याओं में लिखिए।
उत्तर:
1904
25. सोलह सौ उन्नीस संख्याओं में लिखिए।
उत्तर:
1619
26. पंद्रह सौ बासठ संख्याओं में लिखिए।
उत्तर:
1562
27. सोलह सौ इकासी संख्याओं में लिखिए।
उत्तर:
1681
28. चौदह सौ बीस- संख्याओं में लिखिए।
उत्तर:
1420
29. उन्नीस सौ सैंतालीस संख्याओं में लिखिए।
उत्तर:
1947
30. दो हज़ार तेईस संख्याओं में लिखिए।
उत्तर:
2023
4. कारक चिन
* निम्न लिखित वाक्यों में से सही कारक चिह्न पहचानकर लिखिए।
31. उदार व्यक्ति दूसरों …. सहायता करता है। (के लिए / की / का)
उत्तर:
की
32. इंद्र ने वृत्तासुर …. देवताओं की रक्षा की। (से / में / की)
उत्तर:
से
33. आपस में भाईचारे …. भावना रहना चाहिए। (का / की / पर)
उत्तर:
की
34. मनुष्य के मन …. प्रेम, त्याग, परोपकार भावनाएँ होती हैं। ( से / की, / में)
उत्तर:
में
35. रंतिदेव के त्याग …. प्रेरणा मिलती है। (में / की / से)
उत्तर:
से
36. महान व्यक्ति की कथा …. गुणगान होता है। (का / के / की)
उत्तर:
का
37. हमें किसी …. अनाथ नहीं समझना चाहिए। (के / से / को)
उत्तर:
को
38. यश …. गर्व नहीं करना है। (पर / से / को)
उत्तर:
पर
39. ईश्वर हम सब …. पिता है। (का / के / को)
उत्तर:
के
40. सभी …. एक साथ लेकर आगे बढना चाहिए। (को / पर / से)
उत्तर:
को
5. समास
* रेखांकित शब्द का समास पहचानकर लिखिए।
41. मैथिलीशरण गुप्त राष्ट्रकवि के रूप में विख्यात हुए।
A) तत्पुरुष समास
B) बहुव्रीहि समास
उत्तर:
A) तत्पुरुष समास
42. गुप्त की शिक्षा-दीक्षा घर पर हुई थी।
A) तत्पुरुष समास
B) द्वंद्व समास
उत्तर:
B) द्वंद्व समास
43. त्रिदेव ने रंतिदेव को मोक्ष प्रदान किया था।
A) द्विगु समास
B) बहुव्रीहि समास
उत्तर:
A) द्विगु समास
44. मनुष्य में चेतना शक्ति प्रबल होती है।
A) तत्पुरुष समास
B) अव्ययीभाव समास
उत्तर:
A) तत्पुरुष समास
45. पशुप्रवृत्ति वालों का जीना – मरना बेकार है।
A) कर्मधारय समास
B) द्वंद्व समास
उत्तर:
B) द्वंद्व समास
46. ईश्वर का दया प्रवाह अनंत होता है।
A) अव्ययीभाव समास
B) तत्पुरुष समास
उत्तर:
B) तत्पुरुष समास
47. दधीचि ने लोककल्याण की भावना से रीढ को दान दे दिया ।
A) तत्पुरुष समास
B) कर्मधारय समास
उत्तर:
A) तत्पुरुष समास
48. बुद्ध ने विरुद्धवाद का खंडन किया।
A) कर्मधारय समास
B) तत्पुरुष समास
उत्तर:
A) कर्मधारय समास
49. कर्ण ने अपना शरीर चर्म को दान में दिया था।
A) द्वंद्व समास
B) तत्पुरुष समास
उत्तर:
A) द्वंद्व समास
50. त्रिलोकनाथ लोकरक्षक हैं।
A) द्विगु समास
B) बहुव्रीहि समास
उत्तर:
B) बहुव्रीहि समास
6. संधि विच्छेद
* निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित शब्दों का संधि विच्छेद कीजिए।
51. दूसरों के प्रति सहानुभूति दिखाना है।
उत्तर:
सह + अनुभूति
52. अभीष्ट मार्ग पर आगे सबको बढाना है।
उत्तर:
अभि + इष्ट
53. दया, करुणा वाला मनुष्य सदैव याद रहता है..
उत्तर:
सन्ना + एव
54. परोपकार ही उत्तम धर्म माना जाता है।
उत्तर:
पर + उपकार
55. महात्मा बुद्ध करुणा के मूर्ति थे।
उत्तर:
महा + आत्मा
56. तुच्छ वित्त में मदांध नहीं बनना चाहिए।
उत्तर:
मद + अंध
57. कर्म के फलानुसार बाह्य भेद होते हैं।
उत्तर:
फल + अनुसार
58. परोपकार करनेवाला सज्जन कहलाता है।
उत्तर:
सत् + जन
59. स्वार्थ को छोडने हर मोक्ष मिलता है।
उत्तर:
स्व + अर्थ
60. परहित से जीवन साकार होता है।
उत्तर:
स + आकार
7. अर्थ पहचानिए
61. अनाथ
A) जिसका कोई हो
B) जिसका कोई न हो
उत्तर:
B) जिसका कोई न हो
62. मदांध
A) जो गर्व से अंधा हो
B) जो विनम्र हो
उत्तर:
A) जो गर्व से अंधा हो
63. अनंत
A) जिसका अंत हो
B) जिसका कोई अंत न हो
उत्तर:
B) जिसका कोई अंत न हो
64. सनाथ
A) जिसके पास अपनों का साथ न हो
B) जिसके पास अपनों का साथ हो
उत्तर:
B) जिसके पास अपनों का साथ हो
65. स्वयंभू
A) स्वयं उत्पन्न होने वाला
B) स्वयं उत्पन्न न होनेवाला
उत्तर:
A) स्वयं उत्पन्न होनेवाला
66. पाठक
A) लिखनेवाला
B) पढनेवाला
उत्तर:
B) पढनेवाला
67. जिज्ञासा
A) जानने की इच्छा
B) न जानने की इच्छा
उत्तर:
A) जानने की इच्छा
68) अनादि
A) जिसका आरंभ हो
B) जिसका आरंभ न हो
उत्तर:
A) जिसका आरंभ न हो
69. कृतार्थ
A) जिसका कार्य सिद्ध हो गया हो।
B) जिसका कार्य सिद्ध न हो गया हो
उत्तर:
A) जिसका कार्य सिद्ध हो गया हो
70. अखंड
A) जिसके टुकडे किये जा सके
B) जिसके टुकडे न किये जा सके।
उत्तर:
A) जिसके टुकडे नं किये जा सके।
8. मुहावरे
* मुहावरेदार शब्द पहचानकर लिखिए।
71. बुजुर्ग का परलोक सिधारना कष्टदायक रहा।
A) बुजुर्ग का परलोक
B) परलोक सिधारना
उत्तर:
B) परलोक सिधारना
72. परहित के लिए जी जान लगाना है।
A) परहित के लिए जी
B) जी जान लगाना
उत्तर:
B) जी जान लगाना
73. राजा रंतिदेव ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया।
A) न्योछावर करना
B) सब कुछ न्योछावर
उत्तर:
A) न्योछावर करना
74. वृत्तासुर ने इंद्रलोक पर धावा बोल दिया था।
A) धावा बोलना
B) इंद्रलोक पर धावा
उत्तर:
A) धावा बोलना
75. अभीष्ट मार्ग में ठोकर खाकर भी आगे बढना चाहिए।
A) मार्ग में ठोकर
B) ठोकर खाना
उत्तर:
B) ठोकर खाना
76. लोककल्याण के लिए कटिबद्ध रहना चाहिए।
A) लोककल्याण रहना
B) कटिबद्ध रहना
उत्तर:
B) कटिबद्ध रहना
77. ईश्वर कृपा से संपत्ति पाकर अंधा नहीं बनना है।
A) ईश्वर कृपा
B) अंधा नहीं बनना
उत्तर:
B) अंधा नहीं बनना
78. रामू ऊँच-नीच जानकर सतर्क रहनेवाला है।
A) सतर्क रहना
B) ऊँच नीच जानना
उत्तर:
B) ऊँच-नीच जानना
79. मानव जीवन ओस के मोती की तरह होता है।
A) मानव जीवन
B) ओस के मीती
उत्तर:
B) ओस के मीती
80. रामू पर बाढ के कारण कहर टूट पडा।
A) कहर टूट पडना
B) बाढ के कारण
उत्तर:
A) कहर टूट पडना
9. लिंग बदलिए
* लिंग बदलकर वाक्य फिर से लिखिए।
81. दास अपने मालिक की सेवा करता है।
उत्तर:
दासी अपने मालिक की सेवा करती है।
82. सम्राट के शासन में राज्य समृद्ध था।
उत्तर:
सम्राज्ञी के शासन में राज्य समृद्ध था।
83. इंद्र स्वर्गलोक के राजा है।
उत्तर:
इंद्राणी स्वर्ग लोक की रानी है।
84. वे अनेक भाषाओं के विद्वान थे।
उत्तर:
वे अनेक भाषाओं की विदुषी थीं।
85. अंतरिक्ष में अनंत देव हैं।
उत्तर:
अंतरिक्ष में अनंत देवी है।
86. रंतिदेव ने शूद्र को दान दिया।
उत्तर:
रंतिदेव ने शूद्रा को दान दिया।
87. धोबी कपडे धोता है।
उत्तर:
धोबिन कपडे धोती है।
88. गुप्त के पिता विद्वान थे।
उत्तर:
गुप्त की माता विदुषी थी।
89. अध्यापक पाठ पढाते हैं।
उत्तर:
अध्यापिका पाठ पढाती हैं।
90. कवि ने मृत्यु को सुमृत्यु कहा था।
उत्तर:
कवइत्री ने मृत्यु को समृत्यु कहा था।
10. वचन बदलिए
* वचन बदलकर वाक्य फिर से लिखिए।
91. यह गुप्त की अच्छी कृति है।
उत्तर:
ये गुप्त की अच्छी कृतियाँ हैं।
92. मनुष्यता में एक कविता है।
उत्तर:
मनुष्यता में अनेक कविताएँ हैं।
93. धरती पर पानी की धारा बहती है।
उत्तर:
धरती पर पानी की धाराएँ बहती हैं।
94. अध्यापिका पाठ पढाती हैं।
उत्तर:
अध्यापिकाएँ पाठ पढाती हैं।
95. पेड से पत्ता झडता
उत्तर:
पेड से पत्ते झडते हैं।
96. लडका बहुत प्रतिभाशाली था।
उत्तर:
लडके बहुत प्रतिभाशाली थे।
97. उसने मैच जीता।
उत्तर:
उन्होंने मैच जीता।
98. रवि अपनी कॉपी में लिखता है।
उत्तर:
रवि अपनी कॉपियों में लिखता है।
99. बालक कपडा धोता है।
उत्तर:
बालक कपडे धोता है।
100. गाय घास चरती है।
उत्तर:
गायें घास चरती हैं।
11. काल बदल
* सूचना के अनुसार काल बदलकर लिखिए।
101. दधीचि ने अपनी रीढ को दान में दिया। वर्तमान काल में लिखिए।
उत्तर:
दधीचि अपनी रीढ को दान करते हैं।
102. कर्ण अपना शरीर चर्म देते हैं। भविष्यत काल में लिखिए।
उत्तर:
कर्ण अपना शरीर चर्म देंगे।
103. बुद्ध ने विरुद्धवाद का खंडन किया। वर्तमान काल में लिखिए।
उत्तर:
बुद्ध विरुद्धवाद का खंडन करते हैं।
104. मनुष्य ने माना। भविष्यत काल में लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य मानेगा।
105. वे अच्छे गुण के थे। वर्तमान काल में लिखिए।
उत्तर:
वे अच्छे गुण के हैं।
106. एक ईश्वर के संतान है। भूतकाल में लिखिए।
उत्तर:
एक ईश्वर के संतान थे।
107. मनुष्य दूसरों का कल्याण करेगा। भूतकाल में लिखिए।
उत्तर:
मनुष्य ने दूसरों का कल्याण किया।
108. वह अभीष्ट मार्ग में आगे चलता है। भविष्यत काल में लिखिए।
उत्तर:
वह अभीष्ट मार्ग में आगे चलेगा।
109. यहाँ कोई अनाथ नहीं है। भूतकाल काल में। लिखिए।
उत्तर:
यहाँ कोई अनाथ नहीं था।
110. मन में दया और करुणा के भाव होंगे। वर्तमान काल में लिखिए।
उत्तर:
मन में दया और करुणा के भाव होते हैं।
12. शुद्ध रूप में लिखना
* वाक्यों को शुद्ध रूप में लिखिए।
111. मैं ने बोला।
उत्तर:
मैं बोला।
112. साँप विषैली प्राणी है।
उत्तर:
साँप विषैला प्राणी है।
113. वह खेलता हूँ।
उत्तर:
वह खेलता है।
114. मुझे तुम्हारा बातें सुनना पडा।
उत्तर:
मुझे तुम्हारी बातें सुनना पडा ।
115. मेरे को कुछ याद नहीं।
उत्तर:
मुझे कुछ याद नहीं ।
116. चाय में कौन गिरा है?
उत्तर:
चाय में क्या गिरा है?
117. गोपाल और शीला स्कूल गई।
उत्तर:
गोपाल और शीला स्कूल गए।
118. वह बस पर यात्रा कर रहा है।
उत्तर:
वह बस से यात्रा कर रहा है।
119. घर पर सब कुशल है।
उत्तर:
घर में सब कुशल हैं।
120. तू जाते हो।
उत्तर:
तुम जाते हो।
भाग- II Q.No. 13-16 (अर्थग्राह्यता)
Q.No.14
* निम्नलिखित पद्यांश पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर विकल्पों में से चुनकर लिखिए।
1. विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी,
मरो, परंतु यों मरो कि याद जो करें सभी।
हुई न यों मृत्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए,
मरा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए।
वही पशु प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे ||
प्रश्न :
1. मनुष्य को कभी भी किससे डरना नहीं चाहिए? (C)
A) साँप
B) जीवन
C) मृत्यु
D) जानवर
उत्तर:
C) मृत्यु
2. कवि ने किसकी मृत्यु को सुमृत्यु माना है? (A)
A) परोपकारी व्यक्ति
B) पढे-लिखे व्यक्ति
C) अमीर
D) ज्ञानी
उत्तर:
A) परोपकारी व्यक्ति
3. अपने लिए क्या जीते हैं? (A)
A) जानवर
B) मानव
C) दानव
D) पक्षी
उत्तर:
A) जानवर
4. जो मनुष्य दूसरों की चिंता करता है, उसे क्या कहते हैं? (A)
A) दानव
B) असली मनुष्य
C) जानवर
D) देवता
उत्तर:
A) दानव
5. असली मनुष्य किसके लिए जीता है? (C)
A) धन के लिए
B) सोने के लिए
C) दूसरों के लिए
D) शांति के लिए
उत्तर:
C) दूसरों के लिए
2. उसी उदार की कथा सरस्वती बखानती,
उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती ।
उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती;
तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती।
अखंड आत्म भाव जो असीम विश्व में भरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।
प्रश्न :
1. किसकी कथा को पुस्तकों में किया जाता है? (B)
A) घमंडी
B) उदार
C) ज्ञानी
D) अमीर
उत्तर:
B) उदार
2. पूरी धरती किसकी आभारी रहती है? (A)
A) महान व्यक्ति
B) घमंडी
C) अमीर
D) गरीब
उत्तर:
A) महान व्यक्ति
3. पूरी सृष्टि किसकी पूजा करती है? (D)
A) ज्ञानी
B) अमीर
C) गरीब
D) उदार
उत्तर:
D) उदार
4. असली व्यक्ति संसार को किस भावना में बाँधता है? (C)
A) शांति
B) घमंड
C) भाई चारे
D) क्रोध
उत्तर:
C) भाई चारे
5. जो मनुष्य दूसरों के लिए जीते हैं, उनका गुणगान कितने वर्ष तक किया जाता है? (D)
A) दस वर्ष
B) बीस वर्ष
C) एक वर्ष
D) युगों तक
उत्तर:
D) युगों तक
3. क्षुधार्त रंतिदेव ने दिया करस्थ थाल भी,
तथा दधीचि ने दिया परार्थ अस्थिजाल भी।
उशीनर क्षितीश ने स्वमांस दान भी किया,
सहर्ष वीर कर्ण ने शरीर – चर्म भी दिया।
अनित्य देह के लिए अनादि जीव क्या डरे?
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे||
प्रश्न :
1. भूख से परेशान रंतिदेव ने क्या दान कर दी थी? (B)
A) पैसे
B) खाद्यान्न थाली
C) सोना
D) चर्म
उत्तर:
B) खाद्यान्न थाली
2. महर्षि दधीचि ने अपने शरीर की हड्डियों को क्या बनाने के लिए दान किया? (A)
A) वज्र
B) तलवार
C) बंदूक
D) छडी
उत्तर:
A) वज्र
3. राजा शिबि ने कबूतर की जान बचाने के लिए किसे दान कर दिया था? (C)
A) धन
B) सोना
C) माँस
D) राज्य
उत्तर:
C) माँस
4. वीर कर्ण ने क्या दान कर दिया था? (D)
A) दौ
B) राज्य
C) प्राण
D) शरीर का कवच
उत्तर:
D) शरीर का कवच
5. महान लोग किसे नश्वर समझते हैं? (A)
A) शरीर को
B) प्राण को
C) मन को
D) आत्मा को
उत्तर:
A) शरीर को
4. सहानुभूति चाहिए, महाविभूति है यह
वशीकृता सदैव है बनी हुई स्वयं मही।
विरुद्धवाद बुद्ध का दया – प्रवाह में बहा,
विनीत लोकवर्ग क्या न सामने झुका रहा?
अहा ! वही उदार है परोपकार जो करे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे॥
प्रश्न :
1. कवि के अनुसार मनुष्य के मन में कौन सा भाव होना चाहिए? (A)
A) करुणा
B) द्वेष
C) घमंड
D) ईर्ष्या
उत्तर:
A) करुणा
2. हम किन्हें दया और परोपकार के लिए आज भी याद करते हैं? (A)
A) गौतम बुद्ध
B) देवता
C) दानव
D) यक्ष
उत्तर:
A) गौतम बुद्ध
3. हम महान लोग कहकर किसे पुकारते हैं? (C)
A) धनवान
B) धैर्यवान
C) परोपकारी
D) बलवान
उत्तर:
C) परोपकारी
4. किनसे लोगों का दुःख देखा नहीं गया? (B)
A) अशोक
B) गौतम बुद्ध
C) चंद्रगुप्त
D) बाबर
उत्तर:
B) गौतम बुद्ध
5. कौन लोक कल्याण के लिए दुनिया के नियमों के विरुद्ध चले गए? (D)
A) अत्याचार
B) डाकू
C) नेता
D) गौतमबुद्ध
उत्तर:
D) गौतमबुद्ध
5. रहो न भूल के कभी मदांध तुच्छ वित्त में,
सनाथ जान आपको करो न गर्व चित्त में|
अनाथ कौन है यहाँ ? त्रिलोकनाथ साथ हैं,
दयालु दीनबंधु के बड़े विशाल हाथ हैं।
अतीव भाग्यहीन है अधीर भाव जो करे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे॥
प्रश्न :
1. हमें घमंड किस पर नहीं करना चाहिए? (A)
A) संपत्ति पर
B) परोपकार पर
C) भूल पर
D) युद्ध पर
उत्तर:
A) संपत्ति पर
2. कौन अनाथों के साथ रहता है? (D)
A) राजा
B) नेता
C) विद्वान
D) ईश्वर
उत्तर:
D) ईश्वर
3. किसका हाथ सबके ऊपर रहता है? (A)
A) दानी
B) कंजूस
C) भिखारी
D) धनवान
उत्तर:
A) दानी
4. हमारे चित्त में क्या नहीं होना चाहिए? (B)
A) प्रेम
B) गर्व
C) शांति
D) दया
उत्तर:
B) गर्व
5. इस कविता के कवि कौन है? (C)
A) वीरेन डंगवाल
B) कैफ़ी आज़मी
C) मैथिली शरण गुप्त
D) सुमित्रानंदन पंत
उत्तर:
C) मैथिली शरण गुप्त
6. अनंत अंतरिक्ष में अनंत देव हैं खड़े,
समक्ष ही स्वबाहु जो बढ़ा रहे बड़े – बड़े।
परस्परावलंब से उठो तथा बढ़ो सभी,
अभी अमर्त्य – अंक में अपंक हो चढ़ो सभी।
रहो न यों कि एक से न काम और का सरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे॥
प्रश्न :
1. इस अनंत अंतरिक्ष में कौन खडे होते हैं? (C)
A) अंतरिक्ष यात्री
B) दानव
C) देवता
D) मनुष्य
उत्तर:
C) देवता
2. किसके सामने खडे होकर देवता अपनी भुजाओं को फैलाकर स्वागत करता है? (D)
A) धनवान
B) बलवान
C) बुद्धिमान
D) परोपकारी
उत्तर:
D) परोपकारी
3. किसे देवता अपनी गोद में ले लेंगे? (B)
A) धनवान
B) कलंक रहितवान
C) धैर्यवान
D) ज्ञानी
उत्तर:
C) धैर्यवान
4. मनुष्य को किसके लिए जीना नहीं चाहिए? (B)
A) धन
B) मतलब
C) उपकार
D) आज़ादी
उत्तर:
B) मतलब
5. सच्चा मनुष्य किसके लिए मरता है? (A)
A) मनुष्य
B) जानवर
C) धन
D) गर्व
उत्तर:
A) मनुष्य
7. ‘मनुष्य मात्र बंधु है’ यही बड़ा विवेक है,
पुराणपुरुष स्वयंभू पिता प्रसिद्ध एक है।
फलानुसार कर्म के अवश्य बाह्य भेद हैं,
परंतु अंतरैक्य में प्रमाणभूत वेद हैं।
अनर्थ है कि बंधु ही न बंधु की व्यथा हरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे॥
प्रश्न :
1. हम सब किसकी संतान है? (A)
A) ईश्वर
B) दानव
C) देवता
D) मनुष्य
उत्तर:
A) ईश्वर
2. प्रत्येक मनुष्य के लिए अलग अलग भेद क्या हैं? (B)
A) धन
B) कर्म
C) प्रेम
D) बल
उत्तर:
B) कर्म
3. किनके अनुसार सभी की आत्मा एक है? (C)
A) उपनिषद
B) कहानी
C) वेद
D) पुराण
उत्तर:
C) वेद
4. किसका जीवन व्यर्थ है? (A)
A) स्वार्थी
B) उपकारी
C) व्यापारी
D) दानव
उत्तर:
A) स्वार्थी
5. कौन बुरे समय में दूसरे मनुष्यों के काम आता है? (B)
A) व्यापारी
B) सज्जन
C) नौकर
D) दुर्जन
उत्तर:
B) सज्जन
8. चलो अभीष्ट मार्ग में सहर्ष खेलते हुए,
विपत्ति, विघ्न जो पड़ें उन्हें ढकेलते हुए।
घटेन हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हों सभी।
तभी समर्थ भाव है कि तारता हुआ तरे,
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे॥
प्रश्न :
1. हम अपने मार्ग पर कैसे चलना चाहिए? (A)
A) खुशी से
B) दुःख से
C) आलसी सेर
D) शीघ्र से
उत्तर:
A) खुशी से
2. रास्ते में कोई संकट आने पर कैसे चले जाना चाहिए? (C)
A) जल्दी
B) धीरे से
C) हटते
D) दुःख से
उत्तर:
C) हटते
3. हमें अपने से पहले किसके कष्टों की चिंता करना है? (A)
A) दूसरों के
B) जानवरों के
C) पक्षियों के
D) पेड – पौधों के
उत्तर:
A) दूसरों के
4. यात्री किस तरह से एक साथ सभी को लेकर आगे बढना चाहिए? (A)
A) बिना तर्क वितर्क
B) अनेकता
C) भिन्नता
D) तर्क से
उत्तर:
A) बिना तर्क वितर्क
5. हमें कभी किसे बढने नहीं देना है? (B)
A) प्रेम
B) भिन्नता
C) एकता
(D) शांति
उत्तर:
B) भिन्नता
भाग- IIIQ.No.17-18 (अभिव्यक्ति)
Q.No.17
* सूचना के अनुसार निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
1. जोड़ी बनाइए।
A. मैथिली शरण गुप्त जी (4) 1) साकेत, यशोधरा, जयद्रथवध
B. गुप्तजी की भाषा (3) 2) सेठ रामचरण दास
C. प्रमुख कृतियाँ (1) 3) विशुद्ध खडीबोली
D. गुप्त जी के पिता (2) 4) रामभक्त कवि है
उत्तर:
A-4, B-3, C-1, D-2
2. जोड़ी बनाइए।
A. गुप्त जी के भाई (2) 1) राष्ट्रकवि थे।
B. गुप्तजी की शिक्षा दीक्षा (3) 2) सियारामशरण गुप्त
C. गुप्त जी का जन्म (4) 3) घर पर हुई।
D. मैथिलीशरण गुप्त (1) 4) 1886 में चिरगाँव में
उत्तर:
A-2, B-3, C-4, D-1
भाग- IV Q.No. 19-26 (अभिव्यक्ति)
Q.No.19-20
* निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन या चार वाक्यों में लिखिए।
प्रश्न 1.
‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर किन्हीं तीन मानवीय गुणों के बारे में लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने ‘मनुष्यता’ कविता के माध्यम से हमें मानवीय गुणों पर चलने की सलाह दी है। कवि के अनुसार जीना, मरना उसी को सार्थक हैं, जो दूसरों के लिए जीता – मरता है। परोपकार, दयालुता तथा उदारता ये तीन गुण ऐसे हैं, जो मानव जीवन को सार्थक बनाने में सक्षम हैं। केवल अपने लिए जीना पशु प्रवृत्ति है, जबकि दूसरों के लिए जीना ही सच्चे अर्थों में मनुष्यता है। सच्चा मनुष्य त्याग, बलिदान, सहानुभूति और करुणा का व्यवहार करता है। वह केवल खुद का ही उद्धार नहीं करता, किन्तु अन्य सभी के लिए भी उत्थान का मार्ग खोजता है।
प्रश्न 2.
‘मनुष्यता’ कविता के अनुसार पशु प्रवृत्ति क्या है? और मनुष्य किसे माना गया है?
उत्तर:
कवि के अनुसार स्वयं अपने लिए खाना, कमाना और जीना तो पशु का स्वभाव है। यही पशु प्रवृत्ति कहलाती है। किंतु जो मनुष्य स्वयं अपने लिए ही नहीं जीता बल्कि समाज के लिए जीता है, वह कभी नहीं मरता। ऐसा मनुष्य संसार में अमर हो जाता है। सच्चा मनुष्य वह है जो सम्पूर्ण मनुष्यता के लिए जीता और मरता है। पशु – प्रवृत्ति वह है जो स्वयं पूरा दिन अपने लिए खाना कमाना और अपने सुख के लिए जीना। कवि के शब्दों में यह पशु प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे।
प्रश्न 3.
कवि गर्वरहित जीवन जीने की सलाह क्यों दे रहा है?
उत्तर:
कवि गर्वरहित जीवन जीने की सलाह इसलिए देता है, क्योंकि गर्व मनुष्य को मानवता से गिराता है। गर्व अंधा व्यक्ति लोगों की मुश्किलों को नहीं समझ पाता, न ही उसे दुःखी व्यक्ति के कष्ट नज़र आते हैं। घमंडी व्यक्ति अपने व्यक्तिगत स्वार्थ की पूर्ति हेतु जीवन जीता है। जिसमें स्वार्थ भाव के स्थान पर परमार्थ भाव होता है वही वास्तव में, मनुष्य कहलाने का अधिकारी होता है।
प्रश्न 4.
कवि ने मनुष्य को मृत्यु से न डरने का संदेश क्यों दिया है?
उत्तर:
कवि ने ममुष्य को अभय जीने का वरदान दिया है। इसके दो कारण दिए हैं – पहला मनुष्य का शरीर नश्वर है। मरना सभी को है। अंतः मृत्यु से डरना बेकार है। दूसरा जीव अनादि है। वह सनातन काल से चला आ रहा है। वह आगे भी जन्म लेता रहेगा। अतः हमें मृत्यु से डरना नहीं चाहिए। मनुष्य मरणशील है। जिसका जन्म हुआ है, उसकी मृत्यु भी अवश्य होनी है। इसलिए जब मृत्यु निश्चित है, तो फिर उससे भयभीत नहीं होना चाहिए। हमारी मृत्यु ऐसी होनी चाहिए कि मृत्यु के उपरांत भी लोग हमारे महान कार्यों के लिए हमें सदैव स्मरण करें।
प्रश्न 5.
‘मनुष्यता’ कविता में ‘अभीष्ट मार्ग’ किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर:
इस कविता में कवि मानव की एकता के मार्ग को, मनुष्यता के मार्ग को ‘अभीष्ट मार्ग’ कहता है। कवि के अनुसार, आज संसार को मानवीय एकता और भाईचारे की आवश्यकता है, आपसी संघर्ष नहीं। जिससे समस्त समाज का कल्याण हों उसका लाभ हों।
प्रश्न 6.
‘मनुष्यता’ कविता में कवि ने सबको एक साथ होकर चलने की प्रेरणा क्यों दी है? इससे समाज को क्या लाभ हो सकता है? स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर:
कवि ने सबको एक साथ चलने की प्रेरणा इसलिए दी है। क्योंकि सभी मनुष्य एक ईश्वर की ही संतान है। जब सभी समान है तो आपस में भाई- भाई बनकर रहते हैं। वे परस्पर सहायता से आगे बढ़ते हैं। वे सभी मनुष्यों को अपना बंधु मानते हैं। इसलिए हर मनुष्य को दूसरे मनुष्य की व्यथा हरने का प्रयत्न करना चाहिए । हर मनुष्य को आपस में मेलजोल बढ़ाते हुए, राहे के रोडों को आपस में मेलजोल बढ़ाते हुए, राह के रोडों को हटाते हुए, भिन्नता की जगह एकता को बढाते हुए आगे बढना चाहिए । तब समाज का कल्याण होता है।
प्रश्न 7.
पृथ्वी स्वयं को धन्य कब मानती है?
उत्तर:
इस संसार में जो व्यक्ति उदारतापूर्वक मानव तन मन धन सब न्योछावर कर देते हैं ऐसे उदार पुरुषों को पाकर धरती भी स्वयं को धन्य मानती है। दूसरों के दुःख को अपना दुःख मानना और उसीके अनुसार आचरण करना मनुष्य की संचित पूँजी है। जो व्यक्ति सहानुभूति और परोपकार की भावना एवं करुणा को मानवता का सर्वोत्तम गुण मानकर आगे बढता है, उसे पृथ्वी भी सेवा करती है। ऐसे महान लोगों को पाकर धन्य समझती है।
प्रश्न 8.
कवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुसार, मनुष्य कब अहंकारी हो जाता है और क्यों?
उत्तर:
कवि मैथिलीशरण गुप्त का मानना है कि मनुष्य धन संपत्ति आने पर अहंकारी हो जाता है, क्योंकि वह इस तुच्छ धन संपत्ति की प्राप्ति होने पर स्वयं को बड़ा महत्वपूर्ण समझने लगता है। उसे अपनी संपत्ति का अभिमान हो जाता है। वह संपत्तिविहीन लोगों को तुच्छ एवं व्यर्थ समझने लगता | अतः कवि ने स्पष्ट किया है कि धन – दौलत देखकर कभी अहंभावना नहीं आनी चाहिए। यह एक तुच्छ उपलब्धि है इससे उनका चित्त मदहोश हो जाता है।
प्रश्न 9.
मनुष्य को किस प्रकार का सामाजिक जीवन जीना चाहिए?
उत्तर:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। समाज के बिना उसके अस्तित्व की कल्पना भी असंभव है। दैनिक जीवन में मनुष्यों में परस्पर आदान प्रदान, संवाद व सहभागिता हमेशा चलती रहती हैं। इसलिए मनुष्य जीवन में उदारता, सहयोग, भाईचारा व प्रेम का अत्यंत महत्व है। हमें सबका सहयोग करना चाहिए। ज़रूरतमंदों की मदद करनी चाहिए। अपनी समृद्धि व संपन्नता पर घमंड नहीं करना चाहिए। सबके साथ चलने से ही सबका कल्याण होता है। मानव सेवा को ही जीवन का उद्देश्य मानना चाहिए। मनुष्यों में वर्ग, जाति, रंगु – रूप, प्रांत, देश आदि के अंतर न बढनी चाहिए । मित्रता और एकता की भावना से आगे बढना है। आपस की भिन्नता में वृद्धि न करके, हँसी-खुशी से मिलकर चलना है। विश्व बंधुत्व की भावना से आगे चलना है।
प्रश्न 10.
‘विरुद्धवाद बुद्ध का दया प्रवाह में बहा’ से कवि का क्या आशय है?
उत्तर:
बुद्ध के विरुद्धवाद का अर्थ समाज में व्याप्त गलत नीतियों का विरोध करने से है। बुद्ध ने समाज में व्याप्त गलत धारणाओं का विरोध किया। उसी विरोध के दौरान लोगों ने बुद्ध का समर्थन नहीं किया। परंतु जब बुद्ध की करुणा, दया का भाव सबके समक्ष प्रस्तुत हुआ तो लोग बुद्ध के सामने नतमस्तक हो गए और बौद्ध ‘ धर्म अपनाया। जो उदार तथा परोपकारी है, दूसरों के हितार्थ अपना त्याग करनेवाला मनुष्य ही बुद्ध जैसा महान व परोपकारी बन सकता है। सभी लोग उदारता, विनम्रता के सम्मुख नतमस्तक हो जाते हैं।
भाग – V Q.No. 27-28 (अभिव्यक्ति)
Q.No.27
* निम्नलिखित निबंधात्मक प्रश्नों के उत्तर दस पंक्तियों में लिखिए।
प्रश्न 1.
हमें धन, क्षमता व उपलब्धियों पर गर्व क्यों नहीं करना चाहिए? कवि के अनुसार भाग्यहीन कौन है?
उत्तर:
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुसार, यह सांसारिकता व भौतिकता अस्थायी है। नश्वर वस्तुओं के आकर्षण में मनुष्यता के गुणों की उपेक्षा उपयुक्त नहीं है। धन, क्षमता व उपलब्धियों पर गर्व करना अज्ञानता है। इनमें स्थायित्व का अभाव है और यह हमें मानवतावादी कार्य करने के लिए प्रेरित नहीं करती, बल्कि इनसे व्यक्ति ईश्वरीय सत्ता पर विश्वास नहीं करता, वही भाग्यहीन है, क्योंकि समस्त संसार उसी ईश्वर की रचना है। वही सब कुछ करने वाला है। उसकी कृपा के बिना मनुष्य स्वयं कुछ भी करने में सक्षम नहीं है। जो ईश्वरीय कृपा को छोड़कर कुछ और पाने को अधीर एवं अशांत रहता है।
वास्तव में, वही भाग्यहीन है। कवि के अनुसार, इस संसार के भाग्यहीन व्यक्ति वे हैं, जो अधीर होकर लोक कल्याणकारी परमार्थ का मार्ग त्याग देते हैं। उनका जीवन केवल स्वार्थ पर ही आधारित होते हैं। ऐसे भाग्यहीन व्यक्ति ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास नहीं करते और स्वयं को जीवन पथ का एकांकी राही मानकर अपना जीवन दुःखमय बना लेते हैं। इसलिए हमें धन, क्षमता व उपलब्धियों पर गर्व नहीं करना चाहिए। सबसे मिलजुलकर मित्रता और एकता से रहना है। आपस की भिन्नता में वृद्धि न हो। मनुष्यों में जो वर्ग जाति, रंग, रूप, प्रांत आदि के अंतर न बढ़ें। सबसे सहयोग की भावना से रहे। सच्चा मनुष्य वही है जो औरों के लिए काम आए भाग्यवान लोग जन कल्याण करते हुए जीवन को सफल बना लेता है।
प्रश्न 2.
मनुष्य अपना जीवन किस प्रकार सार्थक कर सकता है? ‘मनुष्यता’ कविता के आधार पर बताइए।
उत्तर:
मनुष्य को संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करते हुए लक्ष्य पथ की ओर आगे बढते रहने चाहिए। जीवन में जिस मार्ग पर भी चलना चाहते हो, हँसी खुशी से चलते रहना है। रास्ते में जो भी संकट आएँ, बाधाएँ आएँ, उन्हें ढकेलते हुए आगे बढना चाहिए। मनुष्य में वर्ग – जाति आदि के अंतर न बढते हुए औरों का भी उद्धार करे तथा स्वयं भी तरे। संसार के सभी मनुष्यों को अपना बंधु समझना है। सबसे मिलजुल कर एक – दूसरे का सहयोग करने के लिए सदा तैयार रहना चाहिए । निराश्रितों को आश्रय प्रदान करना और पीडित की पीडा दूर करने के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए। परोपकार ही मनुष्य को महान बनाता है, इसलिए उदारता व परोपकार को अपना ध्येय बनाकर जीवन पथ पर आगे बढ़ना चाहिए, तभी मानव जीवन सार्थक हो सकता है।
प्रश्न 3.
कवि के अनुसार वेदों ने किस सत्य को उजागर किया है और अनर्थ क्या है?
उत्तर:
वेदों ने इस सत्य को उजागर किया है कि सबमें ईश्वरीय तत्व समान रूप से विद्यमान है। इस संसार का नियंता परमात्मा है। मनुष्य को अपने कर्मानुसार भिन्न- भिन्न जन्म व जीवन मिलते हैं। रंग-रूप, आकार – प्रकार में भले ही सब एक दूसरे से अलग दिखाई दें, परंतु सबमें उस परमशक्ति का वास है। यदि मनुष्य आपस में ही एक दूसरे के कष्टों का निवारण नहीं करेंगे, तो इससे बडा अनर्थ कोई और हो ही नहीं सकता। हर व्यक्ति को एक दूसरे के काम आना चाहिए। जो दूसरों की पीडा को दूर करने का प्रयास नहीं करते व सर्वसमर्थ होने पर भी एक- – दूसरे की मदद नहीं करते। यही सबसे बडा अनर्थ है। इस अनंत आकाश में असंख्य देव तुम्हारी सहायता करने को तैयार हैं। परंतु सब मनुष्यों को परस्पर सहायता से आगे बढना है। वे सभी मनुष्यों को अपना बंधु मानते । एक परमात्मा ही सबका पिता है। चाहे लोगों के कर्म विविध है किंतु अंतरात्मा से सभी एक है। इसे सभी जानकर अच्छे पथ पर जाना चाहिए।
प्रश्न 4.
कविता के आधार पर ‘मनुष्यता’ की परिभाषा बताइए।
उत्तर:
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त ने मनुष्यता की भावना को सबसे बडी विवेकशीलता माना है। ‘मनुष्यता’ कविता के अनुसार, इस संसार में कोई भी व्यक्ति पराया नहीं है। मनुष्य को मानवतावाद का पक्षधर होना चाहिए। सब मनुष्य भाई – भाई हैं, प्रत्येक मनुष्य के प्रति यही दृष्टिकोण उसकी विवेकशीलता का परिचायक है। कवि ने सर्व धर्म समभाव की चेतना का उभारते हुए, सृष्टि को ईश्वर की संरचना माना है। मनुष्य को अपने अपने कर्मानुसार विभिन्न जीवन व जन्म मिलते हैं। बाह्य रूप से कर्मफल की विभिन्नता के दर्शन होते हैं। परंतु प्रत्येक प्राणी में उस परमपिता परमेश्वर का अंश विद्यमान है।
इसीलिए जीना – मरना उसीका सार्थक है, जो दूसरों के लिए जीना मरना है। परोपकार, दयालुता, उदारता आदि गुण जीवन को सार्थक बनाने में सक्षम हैं। दूसरों का हित चिंतन अपनों के हित चिंतन की तरह ही महत्त्वपूर्ण है। केवल अपने लिए जीना पशु प्रवृत्ति है, जबकि दूसरों के लिए जीना ही ‘मनुष्यता’ है। निःस्वार्थ भाव से जीवन में दूसरों के काम आना व स्वयं को ऊँचा उठाने के साथ – साथ दूसरों को भी ऊँचा उठाना ही वास्तविक ‘मनुष्यता’ है। जो व्यक्ति सदैव दूसरों का कल्याण करे, वही मनुष्य कहलाने का सच्चा अधिकारी है। जो अपने जीवन का हर पल दूसरों की भलाई के लिए समर्पण करता है, वही मनुष्यता कहलाता है। जो मानव सेवा को माधव सेवा समझकर परोपकार की भावना से रहता है वही असली मनुष्य है।
प्रश्न 5.
मनुष्य और पशु में क्या अंतर है? मनुष्य कहलाने का सच्चा अधिकारी कौन है?
उत्तर:
सभी जीवधारी उस परमपिता परमेश्वर की संतान हैं, परंतु मनुष्य और पशु में यही अंतर है कि पशु मात्र अपने स्वार्थ में जीवन यापन करते हैं। वह बौद्धिक दृष्टि से भी मनुष्य के समान बुद्धिमान नहीं हैं। मनुष्य आत्मकेंद्रित नहीं होता। उसका जीवन केवल अपने निजी स्वार्थों की पूर्ति पर आधारित नहीं होता, अपितु वह संवेदनशील, भावुक व परमार्थ भाव से अपना जीवन बिताता है। लोक कल्याण की भावना से जीवन यापन करता है।
मनुष्य कहलाने का सच्चा अधिकारी वही व्यक्ति है, जिसके जीवन का हर पल दूसरों की भलाई के लिए समर्पित हो। जो व्यक्ति सदैव दूसरों का कल्याण करें, वही मनुष्य कहलाने का सच्चा अधिकारी है। जो मनुष्य बिना किसी भेदभाव के सब मनुष्यों के लिए जीता और मरता है, वही सच्चा मनुष्य है। वह सारे संसार को अपना मानता है। सच्चा मनुष्य त्याग, बलिदान, सहानुभूति और करुणा का व्यवहार करता है। आवश्यकता पडे तो वह सबके लिए अपना बलिदान भी दे देता है।
प्रश्न 6.
‘मनुष्यता’ कविता के द्वारा कवि ने क्या प्रतिपादित करना चाहा है? विस्तार से स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘मनुष्यता’ कविता के द्वारा कवि मानवता, एकता, सहानुभूति, सद्भाव, उदारता और करुणा आदि का भाव प्रतिपादित करना चाहता है। वह मनुष्य को स्वार्थ, भिन्नता, वर्गवाद, जातिवाद आदि संकीर्णताओं से मुक्त करना चाहता है। मनुष्य में उदारता के भाव भरना चाहता है। कवि चाहता है कि हर मनुष्य समस्त संसार में अपनत्व की अनुभूति करें। हर मनुष्य को दुखियों, वंचितों और जरूरतमंदों के लिए बड़े से बडा त्याग करने को भी तैयार रहना चाहिए। वह कर्ण, दधीची, रंतिदेव आदि के अतुल त्याग से प्रेरणा लें। वह अपने मन में करुणा का भाव जगाएँ।
वह अभिमान, लालच और आधीरात का त्याग करें। एक- दूसरे का सहयोग करके देवत्व को प्राप्त करें। वह हँसता-खेलता जीवन जिएँ तथा आपसी मेल- भाव को बढाने का प्रयास करें। उसी किसी भी सूरत में अलगाव और भिन्नता को जगह नहीं देनी चाहिए। आपसी सहयोग बढने से संबंध मज़बूत होते हैं। ऐसे ही संबंधों पर मानवीय समाज की स्थापना संभव हो जाती है। समाज भी प्रगति के पथ पर अग्रसर होता है और प्रत्येक मनुष्य में लोकहित की भावना जागृत होना है। भिन्नता की भावना को नष्ट करना चाहिए।
प्रश्न 7.
‘मनुष्यता’ कविता में कवि किन किन मानवीय गुणों का वर्णन करता है? आप इन गुणों को क्यों आवश्यक समझते हैं तर्क सहित उत्तर लिखिए।
उत्तर:
‘मनुष्यता’ कविता में कवि मानवता, एकता, सहानुभूति, सद्भाव, उदारता, परोपकार और करुणा आदि मानवीय गुणों का वर्णन करता है। कवि अपनी कविता के द्वारा मनुष्य को स्वार्थ, भिन्नता, वर्गवाद, जातिवाद आदि संकीर्णताओं से मुक्त करना चाहता है। मनुष्य अपने में उदारता के भाव को भरना चाहता है। कवि चाहता है कि हर मनुष्य समस्त संसार में अपनत्व की अनुभूति करे । कवि की इच्छा है कि हर मनुष्य को दुखियों, वंचितों और जरूरतमंदों के लिए बड़े से बड़ा त्याग करने के लिए तैयार रहना चाहिए। कवि कहता है कि मनुष्य कर्ण, दधीचि, रंतिदेव आदि के अतुल परोपकारमय त्याग से प्रेरणा मैं भी मानवता की रक्षा के लिए इन गुणों को आवश्यक समझता हूँ। परोपकार देवत्व का दूसरा रूप है। स्वार्थी मनुष्य केवल अपने लिए जीता है और केवल अपने सुख भोग के लिए जीवन को धारण करना पशु प्रवृत्ति है।
मनुष्यता कविता के आधार पर आदर्श मानव वही है जो सभी मनुष्यों को अपना बंधु माने। उसके लिए लोगों के कर्म बेशक विविध हों किंतु अंतरात्मा से सभी एक है। इसलिए हर मनुष्य को दूसरे की व्यथा हरने का प्रयत्न करना चाहिए। मनुष्य को चाहिए कि एक- दूसरे के साथ आपस में मेल-जोल बढ़ाते हुए राह के रोडों को हटाते हुए, भिन्नता की जगह एकता को बढ़ाते हुए औरों का उद्धार करें तथा सभी मनुष्यों को अपना बंधु मानते हुए, अच्छे काम करते हुए जीवन व्यतीत करना चाहिए। सब व्यक्तियों में यथासंभव सहायता और परोपकार की भावनाएँ होनी चाहिए।
प्रश्न 8.
राष्ट्र कवि मैथिलीशरण गुप्त के बारे में लिखिए।
उत्तर:
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त का जन्म 1886 ई में झाँसी के नज़दीक चिरगाँव में हुआ था। इनकी शिक्षा – दीक्षा घर पर ही हुई। अंग्रेज़ी, संस्कृत, बंग्ला और मराठी भाषा पर इनका समान अधिकार था । गुप्त राष्ट्रीयता के साथ- साथ राम भक्त कवि थे। राम का यशोगान इनकी चिरसंचित आकांक्षा रही। उन्होंने अपनी कविता के माध्यम से भारतीय जीवन को समग्रता में समझाने और प्रस्तुत करने का भी यथासंभव प्रयास किया। गुप्त जी की काव्य भाषा विशुद्ध खडीबोली है। इनकी भाषा संस्कृत से प्रभावित है। गुप्त जी की प्रमुख कृतियाँ साकेत, जयद्रथ वध, भारत – भारती आदि हैं।
उन्होंने अपने लेखन द्वारा कई लोगों को देशप्रेम के लिए प्रेरित किया और एक मज़बूत प्रभाव डाला। उन्होंने इतिहास में कुछ उपेक्षित भारतीय नारियों को अपने काव्य में स्थान दिया। जिसमें उन्होंने ऊर्मिला, यशोधरा व कैकेयी की महानता को लोगों के सामने पेश किया। भारत के अतीत का स्वर्ण चित्र पाठक के सामने उपस्थित करते 211 गुप्त जी के पिता सेठ रामचरण दास भी कवि थे। और इनके छोटे भाई सियारामशरण गुप्त भी प्रसिद्ध कवि थे। उनका निधन 1964 में हुआ।
भाग – VI Q.No. 29-30 (सृजनात्मक अभिव्यक्ति)
Q.No.29
* निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर सूचना के अनुसार लिखिए।
प्रश्न 1.
अपने भाई के जन्मदिन पर मित्र को आमंत्रित करते हुए निमंत्रण पत्र लिखिए।
उत्तर:
चेन्नई, प्रिय मित्र, तुम्हारा प्रिय मित्र, पता : |
प्रश्न 2.
किसी ऐतिहासिक स्थान का वर्णन करते हुए मित्र के नाम पत्र लिखिए। (SA-I: 2023-24)
उत्तर:
गुंटूर, दि. xxxxxx प्रिय मित्र, मैं यहाँ कुशल हूँ। आशा है कि तुम भी वहाँ सकुशल हो। परसों ही हम विज्ञान – यात्रा पर (विहार यात्रा) विजयवाडा देखकर आये हैं। विजयवाडा आन्ध्रप्रदेश में एक प्रमुख नगर है। यह राजधानी के समीप है। विजयवाडा में कई दर्शनीय स्थान हैं। हमने विजयवाडा में दुर्गामाता मंदिर, गाँधी पर्वत, भवानी द्वीप, कृष्णानदी, आकाशवाणी, प्रकाशम बैरेज, राजीवगांधी पार्क, विक्टोरिया मेमोरियल म्यूजियम, आदि स्थानों को देखा। विजयवाडा के पास ही कोंडपल्लि खिलौनों के लिए विश्व प्रसिद्ध है। विजयवाडा ऐतिहासिक प्रसिद्ध नगर है। तुम भी एक बार विजयवाडा हो आओ। माता – पिता को मेरा प्रणाम। तुम्हारा प्रिय मित्र, पता : |
प्रश्न 3.
अपनी मोटर साइकिल चोरी की शिकायत करते हुए पुलिस अधिकारी के नाम पत्र लिखिए।
उत्तर:
गुडिवाडा, X X X X प्रेषक सेवा में, धन्यवाद, भवदीय, |
Q.No.30
* संकेत शब्दों के आधार पर निम्न दिये गए शब्दों में से सही शब्दों को चुनकर किसी एक निबंध के रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए।
1. बाल दिवस : (बालकों, कपडे, जीवन, दुरुपयोग, भारत, निर्माता, चाचा नेहरू, नवंबर 14, पुरस्कार, प्रदर्शन, मिठाइयाँ, कार्यक्रम, बाल दिवस, छुट्टी, प्रोत्साहित, प्रतियोगिता)
पंडित जवाहरलाल नेहरू ..1.. के प्रथम प्रधान मंत्री थे। वे आधुनिक भारत के ..2.. हैं। वे बच्चों से बहुत प्यार करते थे। बच्चे भी बडे प्यार से उनको ..3.. कहते थे। उनका जन्म ..4.. को हुआ था। इसलिए हर साल नवंबर 14 को ..5.. मनाया जाता है। इस दिन स्कूलों को ..6.. जाती है।
बाल दिवस के दिन बच्चों को ..7.. करने के लिए अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। स्कूलों में बच्चों के लिए लेखन, भाषण, चित्रकला आदि में ..8.. होती है। विजेताओं को ..9.. दिये जाते हैं। बच्चों से संबंधित फ़िल्मों का ..10.. किया जाता हैं। बच्चों में ..11.. बाँटी जाती हैं।
नेहरूजी के जीवन से संबंधित कुछ ..12.. भी होते हैं। नेहरूजी की सेवाओं की याद करते हैं। कहीं-कहीं स्वस्थ और सुंदर ..13.. को पुरस्कार देते हैं। कुछ शहरों में गरीब बच्चों को ..14.. मिठाइयाँ आदि बाँटते हैं।
हमारे ..15.. में जो समय बीत गया है फिर नहीं आयेगा। जो समय का मूल्य नहीं जानते हैं, वे समय का ..16.. करते हैं। जो बचपन में पढाई से जी चुरा लेते हैं उन्हें आगे चलकर पछताना पड़ता है।
उत्तर:
- भारत
- निर्माता
- चाचा नेहरू
- नवंबर 14
- बाल दिवस
- छुट्टी
- प्रोत्साहित
- प्रतियोगिता
- पुरस्कार
- प्रदर्शन
- मिठाइयाँ
- कार्यक्रम
- बालकों
- कपडे
- जीवन
- दुरुपयोग
2. व्यायाम से लाभ
(व्यायाम, श्वासक्रिया, शरीर, शुद्ध, बहुत, साधन, सफलता, नीरोग, बीमारी, शक्ति, शरीर, आती, रीतियाँ, खेलना-कूदना, माने, टहलना)
व्यायाम से ..1.. लाभ हैं। व्यायाम शक्ति देने वाला है और सफलता का ..2.. भी है। इसीलिए व्यायाम स्वास्थ्य और ..3.. की कुँजी कहलाता है। नियम के अनुसार व्यायाम करेंगे तो हमेशा ..4.. रहते हैं। तंदुरुस्ती बनी रहती है।
व्यायाम करने की बहुत ..5.. हैं। कुस्ती लडना, कसरत करना, ..6.. दन्ड-बैठक आदि व्यायाम के भेद ..7.. जाते हैं। ..8.. और घूमना भी एक प्रकार का ..9.. है। व्यायाम करने ..10.. खूब होती है। उससे ..11.. का रक्त शुद्ध होता है। ..12.. रक्त से स्वास्थ्य बना रहता है और जल्दी कोई ..13.. नहीं आती। व्यायाम करने से पाचन ..14.. बढती है और ..15.. में स्फूर्ति है।
उत्तर:
- बहुत
- साधन
- सफलता
- नीरोग
- रीतियाँ
- खेलना-कूदना
- माने
- टहलना
- व्यायाम
- श्वासक्रिया
- शरीर
- शुद्ध
- बीमारी
- शक्ति
- शरीर
- आती